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दून मे नदियों किनारे हुए अतिक्रमण का सरकार ने दिया जवाब, एकतरफा कार्रवाई पर HC सख्त

देहरादून की रिस्पना और बिंदाल नदी समेत अन्य नालों में हुए अतिक्रमण मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को 2 हफ्ते के भीतर प्रति शपथ पत्र पेश करने को कहा है. वहीं, कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त करते हुए राज्य सरकार और डीएम देहरादून को आदेश दिए हैं.

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Published : Nov 22, 2019, 10:03 PM IST

नैनीतालः देहरादून की रिस्पना और बिंदाल नदी समेत अन्य नालों में हुए अतिक्रमण पर राज्य सरकार ने हाई कोर्ट में अपना जवाब पेश किया. जिस पर याचिकाकर्ता ने आपत्ति दर्ज करते हुए कहा कि सरकार ने केवल गरीब स्तर के लोगों पर कार्रवाई कर उन्हें अतिक्रमण के नाम पर हटाया है. जबकि, किसी बड़े और प्रभावशाली अतिक्रमणकारी पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है. वहीं, एकतरफा कार्रवाई पर कोर्ट ने याचिकाकर्ता को शपथ-पत्र पेश करने को कहा है.

जानकारी देते अधिवक्ता याचिकाकर्ता.

बता दें कि देहरादून निवासी पार्षद उर्मिला थापा ने नैनीताल हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि लोगों ने रिस्पना और बिंदाल नदी के किनारे अतिक्रमण कर लिया है. साथ ही नदी में बने चाल-खाल पर भी अतिक्रमण किया है. जिससे आने वाले समय में बाढ़ जैसी स्थिति का खतरा बढ़ गया है.

ये भी पढ़ेंः स्वामी चिदानंद के अतिक्रमण मामले पर HC सख्त, डीएम और प्रदूषण बोर्ड से मांगा जवाब

याचिकाकर्ता का कहना है कि लोगों ने नदी के आसपास से हजारों की संख्या में हरे पेड़ों को काट दिया है. जिससे भी आने वाले समय में केदारनाथ जैसी स्थिति उत्पन्न होगी. लिहाजा, इन अतिक्रमणकारियों को हटाया जाए और बेतहाशा हो रहे पेड़ों के कटान पर रोक लगाई जाए.

पिछली सुनवाई के दौरान देहरादून के डीएम ने अपना शपथ-पत्र के साथ रिपोर्ट कोर्ट में पेश की. जिसमें उन्होंने माना कि दून घाटी में करीब 270 एकड़ भूमि पर नदी के किनारे अतिक्रमण हुआ है और केवल देहरादून में 100 एकड़ भूमि पर अतिक्रमण हुआ है.

ये भी पढ़ेंः पंचायत चुनाव में हुई अनियमितताओं पर हाईकोर्ट सख्त, राज्य सरकार से मांगा जवाब

अतिक्रमण मामले में मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने नाराजगी व्यक्त करते हुए राज्य सरकार और डीएम देहरादून को आदेश दिए हैं कि राजपुर क्षेत्र में तत्काल अतिक्रमण पर रोक लगाएं. साथ ही 2 महीने के भीतर घाटी में हुए अतिक्रमण को चिह्नित कर उसकी रिपोर्ट कोर्ट में पेश करें.

वहीं, मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को 2 हफ्ते के भीतर प्रति शपथ पत्र पेश करने को कहा है. साथ ही याचिकाकर्ता से कहा है कि वह कोर्ट को बताएं कि किन-किन स्थानों पर अतिक्रमण के नाम पर कार्रवाई की गई है और किन जगह पर नहीं की गई है? ऐसे में अब इस मामले की अगली सुनवाई 2 दिसंबर को होगी.

नैनीतालः देहरादून की रिस्पना और बिंदाल नदी समेत अन्य नालों में हुए अतिक्रमण पर राज्य सरकार ने हाई कोर्ट में अपना जवाब पेश किया. जिस पर याचिकाकर्ता ने आपत्ति दर्ज करते हुए कहा कि सरकार ने केवल गरीब स्तर के लोगों पर कार्रवाई कर उन्हें अतिक्रमण के नाम पर हटाया है. जबकि, किसी बड़े और प्रभावशाली अतिक्रमणकारी पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है. वहीं, एकतरफा कार्रवाई पर कोर्ट ने याचिकाकर्ता को शपथ-पत्र पेश करने को कहा है.

जानकारी देते अधिवक्ता याचिकाकर्ता.

बता दें कि देहरादून निवासी पार्षद उर्मिला थापा ने नैनीताल हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि लोगों ने रिस्पना और बिंदाल नदी के किनारे अतिक्रमण कर लिया है. साथ ही नदी में बने चाल-खाल पर भी अतिक्रमण किया है. जिससे आने वाले समय में बाढ़ जैसी स्थिति का खतरा बढ़ गया है.

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याचिकाकर्ता का कहना है कि लोगों ने नदी के आसपास से हजारों की संख्या में हरे पेड़ों को काट दिया है. जिससे भी आने वाले समय में केदारनाथ जैसी स्थिति उत्पन्न होगी. लिहाजा, इन अतिक्रमणकारियों को हटाया जाए और बेतहाशा हो रहे पेड़ों के कटान पर रोक लगाई जाए.

पिछली सुनवाई के दौरान देहरादून के डीएम ने अपना शपथ-पत्र के साथ रिपोर्ट कोर्ट में पेश की. जिसमें उन्होंने माना कि दून घाटी में करीब 270 एकड़ भूमि पर नदी के किनारे अतिक्रमण हुआ है और केवल देहरादून में 100 एकड़ भूमि पर अतिक्रमण हुआ है.

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अतिक्रमण मामले में मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने नाराजगी व्यक्त करते हुए राज्य सरकार और डीएम देहरादून को आदेश दिए हैं कि राजपुर क्षेत्र में तत्काल अतिक्रमण पर रोक लगाएं. साथ ही 2 महीने के भीतर घाटी में हुए अतिक्रमण को चिह्नित कर उसकी रिपोर्ट कोर्ट में पेश करें.

वहीं, मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को 2 हफ्ते के भीतर प्रति शपथ पत्र पेश करने को कहा है. साथ ही याचिकाकर्ता से कहा है कि वह कोर्ट को बताएं कि किन-किन स्थानों पर अतिक्रमण के नाम पर कार्रवाई की गई है और किन जगह पर नहीं की गई है? ऐसे में अब इस मामले की अगली सुनवाई 2 दिसंबर को होगी.

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देहरादून की रिस्पना और बिंदल नदी किनारे हुए अतिक्रमण मामले में राज्य सरकार ने कोर्ट में पेश करा जवाब।

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देहरादून की रिस्पना और बिंदाल नदी समेत नालों, चाल खालो में हुए अतिक्रमण पर राज्य सरकार द्वारा अपना जवाब कोर्ट में पेश किया गया जिस पर याचिकाकर्ता द्वारा आपत्ति दर्ज करते हुए कहा गया कि सरकार द्वारा केवल गरीब स्तर के लोगों पर कार्रवाई की गई है और उनको अतिक्रमण के नाम पर हटाया गया है, जबकि सरकार द्वारा किसी बड़े और प्रभावशाली अतिक्रमणकारी पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
मामले में सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को 2 सप्ताह के भीतर प्रति शपथ पत्र पेश करने को कहा है और याचिकाकर्ता से कहा है कि वह कोर्ट बताएं किन-किन स्थानों पर अतिक्रमण के नाम पर कार्रवाई की गई है और किन जगह पर नहीं की गई है।

पिछली सुनवाई के दौरान देहरादून के डीएम ने अपना शपथ पत्र के साथ रिपोर्ट कोर्ट में पेश की जिसमें उन्होंने माना कि दून घाटी में करीब 270 एकड़ भूमि पर नदी के किनारे अतिक्रमण हुआ है,और केवल देहरादून में 100 एकड़ भूमि पर अतिक्रमण हुआ है, अतिक्रमण मामले में मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने नाराजगी व्यक्त करते हुए राज्य सरकार और डीएम देहरादून को आदेश दिए हैं कि राजपुर क्षेत्र में तत्काल अतिक्रमण पर रोक लगाएं और 2 माह के भीतर घाटी में हुए अतिक्रमण को चिन्हित कर उसकी रिपोर्ट कोर्ट में पेश करें।




Body:आपको बता दें कि देहरादून निवासी पार्षद उर्मिला थापा ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि लोगों ने रिस्पना और बिंदाल नदी के किनारे अतिक्रमण कर लिया है, साथ ही नदी में बने चाल- खाल पर भी अतिक्रमण कर दिया है, जिससे आने वाले समय में बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हुई, वहीं याचिकाकर्ता का कहना है कि लोगों नदी के आसपास से हजारों की संख्या में हरे पेड़ों को काट दिया है जिससे आने वाले समय में केदारनाथ जैसी स्थिति उत्पन्न होगी लिहाजा इन अतिक्रमण करियो को हटाया जाए और बेतहाशा हो रहे पेड़ों के कटान पर रोक लगाई जाए।


Conclusion:आज मामले में सुनवाई करते हुए नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को राज्य सरकार द्वारा पेश किए गए जवाब पर अपनी आपत्ति दर्ज कराने के लिए प्रति शपथ पत्र पेश करने के आदेश दिए और याचिकाकर्ता से कहा कि वह कोर्ट को बताएं कि देहरादून में किन-किन स्थानों पर अतिक्रमण पर सही कार्यवाही की गई है, मामले की अगली सुनवाई 2 दिसंबर को होगी ।

बाईट- अभिजय नेगी,अधिवक्ता याचिकाकर्ता।
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