हल्द्वानी: हाॅलैंड के फूल लिलियम की डिमांड अब पूरे देश में की जाती है. लिलियम फूल की खेती उत्तराखंड के लिहाज से बेहतर साबित हो रही है. मैदानी क्षेत्रों में लिलियम की खेती साल में केवल एक बार की जाती है, जबकि पहाड़ों पर इस खेती को साल में दो बार कर सकते हैं. यही कारण है कि नैनीताल के 25 युवा किसान लिलियम के फूलों की खेती कर अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर रहे हैं.
लिलियम फूल की खेती कर युवा हो रहे मालामाल: जिला उद्यान अधिकारी नैनीताल आरके सिंह ने बताया कि पहाड़ के मौसम के अनुकूल यहां के किसानों के लिए लिलियम की खेती वरदान साबित हो रही है. साल में दो बार इस फसल को तैयार किया जा सकता है, जिसके लिए सरकार द्वारा अनुदान भी दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि नैनीताल में करीब 25 युवा किसान लिलियम फूल की बड़े पैमाने पर खेती कर आत्मनिर्भर बन रहे हैं.
बाजार में लिलियम फूल की कीमत 60 से 80 रुपए: बाजार में लिलियम के एक फूल की कीमत 60 से 80 रुपए है. अगर काश्तकार ख़ुद फूलों के कारोबारियों से संपर्क कर अपनी पैदावार बेचे, तो उसे बहुत अच्छी आमदनी हासिल हो सकती है. लिलियम की खेती बेरोजगारों के लिए आमदनी का एक बेहतर जरिया है. पहाड़ों पर बेमौसमी सब्जी के साथ-साथ लिलियम की फूलों की खेती किसानों का तीसरा विकल्प है.
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पॉली हाउस बनाने के लिए 80% का अनुदान : लोग फरवरी में लिलियम की पहली पैदावार कर सकते हैं, जबकि दूसरी खेती जुलाई में कर सकते हैं. गर्मियों के सीजन में पहाड़ के लिलियम के फूलों की अधिक डिमांड होती है. जिला उद्यान अधिकारी ने बताया कि फूलों की खेती करने के लिए पहाड़ के काश्तकारों को हॉर्टिकल्चर विभाग द्वारा प्रोत्साहित किया जा रहा है. लिलियम फूलों की खेती करने के लिए किसानों को, जहां पॉली हाउस बनाने के लिए 80% का अनुदान दिया जा रहा है, तो वहीं उसमें लगने वाले लिलियम के फूल पर बल्ब पर ₹24 प्रति पौधे का अनुदान दिया जा रहा है. ऐसे में अगर कोई लिलियम के फूलों की खेती करना चाहता है, तो अपने नजदीकी उद्यान विभाग कार्यालय के जाकर संपर्क कर सकता है.
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