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उत्तराखंडः पहाड़ों में वरदान साबित हो रही अदरक की खेती, मुनाफे में किसान - हल्द्वानी न्यूज इन हिंदी

पहाड़ के काश्तकार पारंपरिक खेती के बजाय अदरक की खेती की ओर रुख कर रहे हैं. जंगली जानवरों की नापसंदगी अदरक की खेती अब किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है. किसान अच्छा मुनाफा भी कमा रहे हैं.

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अदरक
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Published : Dec 26, 2019, 2:17 PM IST

हल्द्वानीः कहावत है कि 'बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद' भले बंदर को अदरक के स्वाद का पता न हो लेकिन, पहाड़ के काश्तकारों को अदरक का स्वाद खूब भा रहा है. जिन्होंने अब पारंपरिक खेती छोड़ अदरक की खेती शुरू कर दी है. वहीं, जंगली जानवर भी अदरक की खेती को नुकसान नहीं पहुंचाते, लिहाजा पहाड़ के काश्तकारों ने अदरक की खेती वरदान साबित हो रही है. पहाड़ के काश्तकार अदरक की खेती करके खूब मुनाफा कमा रहे हैं. देखिए एक रिपोर्ट...

पहाड़ के काश्तकार बंदर और जंगली जानवर के आतंक से परेशान हैं और खेती से मुंह मोड़ रहे हैं. ऐसे में पहाड़ के काश्तकारों के आगे रोजी-रोटी का संकट भी खड़ा हो रहा है. तो पलायन भी मुख्य वजहों में से एक है.

वरदान साबित हो रही अदरक की खेती.

वहीं,अब पहाड़ के किसानों ने अपनी आजीविका चलाने के लिए पारंपरिक खेती छोड़कर अदरक की खेती को अपनाया है. काश्तकारों की मानें तो जंगली जानवर उनकी पारंपरिक खेती को काफी नुकसान किया करते थे. ऐसे में उन्होंने खेती करना छोड़ दिया था, लेकिन अब उन्होंने अदरक की खेती को अपनाया है, जिसे जंगली जानवर भी नुकसान नहीं पहुंचा रहे हैं. साथ ही अदरक की खेती से उन्हें अच्छा मुनाफा हो रहा है.

किसानों का कहना है कि हल्द्वानी के गौलापार क्षेत्र में जंगली जानवरों का ज्यादा आतंक है. ऐसे में उनकी धान, गेहूं और मक्के जैसी पारंपरिक फसलों को जंगली जानवर लगातार नुकसान पहुंचा रहे हैं. ऐसे में उन्होंने अब पारंपरिक खेती छोड़ अदरक की खेती को अपनाया है, जो मुनाफे की खेती साबित हो रही है.

यह भी पढ़ेंः नो टू सिंगल यूज प्लास्टिक : हैदराबाद के इंजीनियर ने कचरे से ईंधन बनाने का ढूंढा नया तरीका

यही नहीं यहां के हल्द्वानी सहित अन्य मंडियों में अदरक की भारी मांग है. किसानों का कहना है कि यहां के अदरक की गुणवत्ता भी काफी अच्छी है. सरकार को चाहिए कि उत्तराखंड में पैदा होने वाले अदरक को लेकर कोई ठोस नीति बनाए, जिससे यहां के किसानों की आय में वृद्धि हो और यहां उत्पादित अदरक को नई पहचान मिल सके.

हल्द्वानीः कहावत है कि 'बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद' भले बंदर को अदरक के स्वाद का पता न हो लेकिन, पहाड़ के काश्तकारों को अदरक का स्वाद खूब भा रहा है. जिन्होंने अब पारंपरिक खेती छोड़ अदरक की खेती शुरू कर दी है. वहीं, जंगली जानवर भी अदरक की खेती को नुकसान नहीं पहुंचाते, लिहाजा पहाड़ के काश्तकारों ने अदरक की खेती वरदान साबित हो रही है. पहाड़ के काश्तकार अदरक की खेती करके खूब मुनाफा कमा रहे हैं. देखिए एक रिपोर्ट...

पहाड़ के काश्तकार बंदर और जंगली जानवर के आतंक से परेशान हैं और खेती से मुंह मोड़ रहे हैं. ऐसे में पहाड़ के काश्तकारों के आगे रोजी-रोटी का संकट भी खड़ा हो रहा है. तो पलायन भी मुख्य वजहों में से एक है.

वरदान साबित हो रही अदरक की खेती.

वहीं,अब पहाड़ के किसानों ने अपनी आजीविका चलाने के लिए पारंपरिक खेती छोड़कर अदरक की खेती को अपनाया है. काश्तकारों की मानें तो जंगली जानवर उनकी पारंपरिक खेती को काफी नुकसान किया करते थे. ऐसे में उन्होंने खेती करना छोड़ दिया था, लेकिन अब उन्होंने अदरक की खेती को अपनाया है, जिसे जंगली जानवर भी नुकसान नहीं पहुंचा रहे हैं. साथ ही अदरक की खेती से उन्हें अच्छा मुनाफा हो रहा है.

किसानों का कहना है कि हल्द्वानी के गौलापार क्षेत्र में जंगली जानवरों का ज्यादा आतंक है. ऐसे में उनकी धान, गेहूं और मक्के जैसी पारंपरिक फसलों को जंगली जानवर लगातार नुकसान पहुंचा रहे हैं. ऐसे में उन्होंने अब पारंपरिक खेती छोड़ अदरक की खेती को अपनाया है, जो मुनाफे की खेती साबित हो रही है.

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यही नहीं यहां के हल्द्वानी सहित अन्य मंडियों में अदरक की भारी मांग है. किसानों का कहना है कि यहां के अदरक की गुणवत्ता भी काफी अच्छी है. सरकार को चाहिए कि उत्तराखंड में पैदा होने वाले अदरक को लेकर कोई ठोस नीति बनाए, जिससे यहां के किसानों की आय में वृद्धि हो और यहां उत्पादित अदरक को नई पहचान मिल सके.

Intro:sammry- पहाड़ के काश्तकारों के लिए अदरक की खेती बन रही है वरदान। अदरक की खेती को जंगली जानवर भी नहीं पहुंचा रहे हैं नुकसान।
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एंकर- कहावत कहां जाता है बंदर क्या जाने अदरक के स्वाद। बंदर को अदरक का स्वाद भले ही पता नहीं हो लेकिन पहाड़ के काश्तकारों ने अदरक के स्वाद लेते हुए अब परंपरिक खेती छोड़ अदरक की खेती शुरू कर दी है ।बंदरों और जंगली जानवरों की नापसंदगी अदरक की खेती अब पहाड़ों के काश्तकारों के लिए वरदान साबित हो रही है ।पहाड़ के काश्तकारों अब अदरक की खेती कर जमकर मुनाफा कमा रहे हैं।
देखिए एक रिपोर्ट....


Body:पहाड़ के काश्तकार बंदर और जंगली जानवर के आतंक से परेशान है ऐसे में किसान अब खेती को धीरे-धीरे मुँह मोड़ रहे है। ऐसे में पहाड़ के काश्तकारों के आगे रोजी-रोटी का संकट भी खड़ा हो रहा है साथ ही पलायन भी मुख्य जरिया बन रहा है। ऐसे में अब पहाड़ के किसानों ने अपनी आजीविका चलाने के लिए पारंपरिक खेती छोड़ अदरक की खेती को अपनाया है। काश्तकारों की मानें तो जंगली जानवर उनके पारंपरिक खेती को काफी नुकसान किया करते थे ऐसे में उन्होंने खेती करना छोड़ दिया था लेकिन अब उन्होंने अदरक की खेती को अपनाया है जिसे जंगली जानवर भी नुकसान नहीं पहुंचा रहे हैं साथ ही अच्छा मुनाफा भी कमा रहे हैं।

बाइट- महिला किसान

वहीं किसानों का कहना है कि हल्द्वानी के गौलापार क्षेत्र में जंगली जानवरों का ज्यादा आतंक है ऐसे में उनकी पारंपरिक खेती धान गेहूं और मक्के को जंगली जानवर लगातार नुकसान पहुंचा रहे हैं। ऐसे में अब उन्होंने पारंपरिक खेती छोड़ अदरक की खेती को अपनाया है जो मुनाफे की खेती साबित हो रहा है। यही नहीं यहां के अदरक की डिमांड हल्द्वानी सहित अन्य मंडी में खूब डिमांड की जा रही है।

बाइट- नरेंद्र मेहरा प्रगतिशील किसान


Conclusion:किसानों का कहना है कि यहां के अदरक की क्वालिटी अन्य अदरक की क्वॉलिटी के तुलना में बेहतर है । सरकार को चाहिए कि उत्तराखंड में पैदा होने वाले अदरक को लेकर कोई ठोस नीति बनाएं जिससे कि यहां के किसानों की आय में वृद्धि हो और यहां के अदरक की पहचान उत्तराखंड सहित देश-विदेश में हो सके।
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