ETV Bharat / state

महाभारत वाटिका: यहां भीष्म पितामह मृत्युशय्या पर लेटे युधिष्ठिर को दे रहे वृक्षारोपण का संदेश!

आम लोगों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरुक करने के लिए उत्तराखंड वन अनुसंधान केंद्र नई शुरूआत की. इसी के तहत अनुसंधान केंद्र हल्द्वानी में महाभारत वाटिका की स्थापना की है, जिसके माध्यम से लोगों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक किया जा रहा है.

Mahabharata Vatika in Haldwani
महाभारत वाटिका
author img

By

Published : Nov 23, 2021, 12:56 PM IST

Updated : Nov 23, 2021, 1:44 PM IST

हल्द्वानी: पर्यावरण संरक्षण और जैव विविधता संरक्षण के क्षेत्र में उत्तराखंड वन अनुसंधान केंद्र लगातार नए प्रयास कर रहा है. वहीं अब आम लोगों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक करने के लिए उत्तराखंड वन अनुसंधान केंद्र नई शुरूआत की. इसी के तहत अनुसंधान केंद्र हल्द्वानी में महाभारत वाटिका की स्थापना की है, जिसके माध्यम से लोगों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक किया जा रहा है.

अनुसंधान केंद्र में बनाए गए महाभारत वाटिका के माध्यम से महाभारत काल की गाथा को दर्शाया गया है, जिसमें भीष्म पितामह मृत्युशय्या पर लेटे हुए युधिष्ठिर को वृक्षारोपण के उपदेश दे रहे हैं. मान्यता है कि महाभारत काल में भीष्म पितामह मृत्युशय्या पर लेटे हुए युधिष्ठिर को वृक्षारोपण के उपदेश दिए थे, जिसमें कहा गया था कि वृक्षारोपण कर इस संसार को बचाया जा सकता है. यह भी कहा था कि जंगल में बाघ रहेगा तो जंगल बचेगा और जंगल रहेगा तो बाघ बचेगा.

यहां भीष्म पितामह मृत्युशय्या पर लेटे युधिष्ठिर को दे रहे वृक्षारोपण का संदेश

पढ़ें- अस्तित्‍व में आया देश का पहला घास संरक्षण क्षेत्र, भू-कटाव रोकने के साथ ये होगा फायदा

वाटिका के माध्यम से भीष्म पितामह के संदेशों को भी दर्शाया गया है, जिसमें कहा गया है कि वृक्षारोपण करने वाला मनुष्य अतीत में जन्में पूर्वजों और भविष्य में जन्म लेने वाले संतानों और पितृवंश का तारण करता है. मनुष्य द्वारा लगाए गए वृक्ष वास्तव में पुत्र के समान होता है, इसलिए पेड़-पौधे लगाएं.

haldwani
हल्द्वानी में महाभारत वाटिका

अनुसंधान केंद्र में बनाए गए महाभारत वाटिका में भीष्म पितामह की विशाल प्रतिमा बनाई गई है. तीरों के ऊपर लेटे भीष्म पितामह की प्रतिमा के साथ-साथ साइन बोर्ड के माध्यम से लोगों को पर्यावरण संरक्षण के संदेश भी दिए गए हैं.

पढ़ें- उत्तराखंड : वन अनुसंधान केंद्र ने नैनीताल जिले में देश का पहला सुगंधित उद्यान विकसित किया

गौरतलब है कि हल्द्वानी अनुसंधान केंद्र इससे पहले पर्यावरण के क्षेत्र में अपनी कई उपलब्धि हासिल करते हुए रामायण वाटिका, कृष्ण वाटिका, सर्वधर्म वाटिका, स्वामी विवेकानंद वाटिका, वाल्मीकि वाटिका, देवी वाटिका और डायनासोर संरक्षण पार्क के अलावा कई अन्य पर्यावरण संरक्षण से जुड़े पार्क को तैयार कर चुका है. जिसके माध्यम से पर्यावरण संरक्षण और उन पौधों के महत्व के संदेश दिए गए हैं.

Mahabharata Vatika in Haldwani
वृक्षारोपण का संदेश

वन अनुसंधान केंद्र के वन क्षेत्राधिकारी मदन बिष्ट का कहना है कि महाभारत वाटिका में महाभारत काल से जुड़ी घटनाओं को दर्शाया गया है, जिसमें वृक्षारोपण के संदेश दिए गए. ताकि लोग पर्यावरण के महत्व के समझ सके और पेड़ो-पौधों को बचाया जा सके.

हल्द्वानी: पर्यावरण संरक्षण और जैव विविधता संरक्षण के क्षेत्र में उत्तराखंड वन अनुसंधान केंद्र लगातार नए प्रयास कर रहा है. वहीं अब आम लोगों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक करने के लिए उत्तराखंड वन अनुसंधान केंद्र नई शुरूआत की. इसी के तहत अनुसंधान केंद्र हल्द्वानी में महाभारत वाटिका की स्थापना की है, जिसके माध्यम से लोगों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक किया जा रहा है.

अनुसंधान केंद्र में बनाए गए महाभारत वाटिका के माध्यम से महाभारत काल की गाथा को दर्शाया गया है, जिसमें भीष्म पितामह मृत्युशय्या पर लेटे हुए युधिष्ठिर को वृक्षारोपण के उपदेश दे रहे हैं. मान्यता है कि महाभारत काल में भीष्म पितामह मृत्युशय्या पर लेटे हुए युधिष्ठिर को वृक्षारोपण के उपदेश दिए थे, जिसमें कहा गया था कि वृक्षारोपण कर इस संसार को बचाया जा सकता है. यह भी कहा था कि जंगल में बाघ रहेगा तो जंगल बचेगा और जंगल रहेगा तो बाघ बचेगा.

यहां भीष्म पितामह मृत्युशय्या पर लेटे युधिष्ठिर को दे रहे वृक्षारोपण का संदेश

पढ़ें- अस्तित्‍व में आया देश का पहला घास संरक्षण क्षेत्र, भू-कटाव रोकने के साथ ये होगा फायदा

वाटिका के माध्यम से भीष्म पितामह के संदेशों को भी दर्शाया गया है, जिसमें कहा गया है कि वृक्षारोपण करने वाला मनुष्य अतीत में जन्में पूर्वजों और भविष्य में जन्म लेने वाले संतानों और पितृवंश का तारण करता है. मनुष्य द्वारा लगाए गए वृक्ष वास्तव में पुत्र के समान होता है, इसलिए पेड़-पौधे लगाएं.

haldwani
हल्द्वानी में महाभारत वाटिका

अनुसंधान केंद्र में बनाए गए महाभारत वाटिका में भीष्म पितामह की विशाल प्रतिमा बनाई गई है. तीरों के ऊपर लेटे भीष्म पितामह की प्रतिमा के साथ-साथ साइन बोर्ड के माध्यम से लोगों को पर्यावरण संरक्षण के संदेश भी दिए गए हैं.

पढ़ें- उत्तराखंड : वन अनुसंधान केंद्र ने नैनीताल जिले में देश का पहला सुगंधित उद्यान विकसित किया

गौरतलब है कि हल्द्वानी अनुसंधान केंद्र इससे पहले पर्यावरण के क्षेत्र में अपनी कई उपलब्धि हासिल करते हुए रामायण वाटिका, कृष्ण वाटिका, सर्वधर्म वाटिका, स्वामी विवेकानंद वाटिका, वाल्मीकि वाटिका, देवी वाटिका और डायनासोर संरक्षण पार्क के अलावा कई अन्य पर्यावरण संरक्षण से जुड़े पार्क को तैयार कर चुका है. जिसके माध्यम से पर्यावरण संरक्षण और उन पौधों के महत्व के संदेश दिए गए हैं.

Mahabharata Vatika in Haldwani
वृक्षारोपण का संदेश

वन अनुसंधान केंद्र के वन क्षेत्राधिकारी मदन बिष्ट का कहना है कि महाभारत वाटिका में महाभारत काल से जुड़ी घटनाओं को दर्शाया गया है, जिसमें वृक्षारोपण के संदेश दिए गए. ताकि लोग पर्यावरण के महत्व के समझ सके और पेड़ो-पौधों को बचाया जा सके.

Last Updated : Nov 23, 2021, 1:44 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.