हल्द्वानी: पर्यावरण संरक्षण और जैव विविधता संरक्षण के क्षेत्र में उत्तराखंड वन अनुसंधान केंद्र लगातार नए प्रयास कर रहा है. वहीं अब आम लोगों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक करने के लिए उत्तराखंड वन अनुसंधान केंद्र नई शुरूआत की. इसी के तहत अनुसंधान केंद्र हल्द्वानी में महाभारत वाटिका की स्थापना की है, जिसके माध्यम से लोगों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक किया जा रहा है.
अनुसंधान केंद्र में बनाए गए महाभारत वाटिका के माध्यम से महाभारत काल की गाथा को दर्शाया गया है, जिसमें भीष्म पितामह मृत्युशय्या पर लेटे हुए युधिष्ठिर को वृक्षारोपण के उपदेश दे रहे हैं. मान्यता है कि महाभारत काल में भीष्म पितामह मृत्युशय्या पर लेटे हुए युधिष्ठिर को वृक्षारोपण के उपदेश दिए थे, जिसमें कहा गया था कि वृक्षारोपण कर इस संसार को बचाया जा सकता है. यह भी कहा था कि जंगल में बाघ रहेगा तो जंगल बचेगा और जंगल रहेगा तो बाघ बचेगा.
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वाटिका के माध्यम से भीष्म पितामह के संदेशों को भी दर्शाया गया है, जिसमें कहा गया है कि वृक्षारोपण करने वाला मनुष्य अतीत में जन्में पूर्वजों और भविष्य में जन्म लेने वाले संतानों और पितृवंश का तारण करता है. मनुष्य द्वारा लगाए गए वृक्ष वास्तव में पुत्र के समान होता है, इसलिए पेड़-पौधे लगाएं.
अनुसंधान केंद्र में बनाए गए महाभारत वाटिका में भीष्म पितामह की विशाल प्रतिमा बनाई गई है. तीरों के ऊपर लेटे भीष्म पितामह की प्रतिमा के साथ-साथ साइन बोर्ड के माध्यम से लोगों को पर्यावरण संरक्षण के संदेश भी दिए गए हैं.
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गौरतलब है कि हल्द्वानी अनुसंधान केंद्र इससे पहले पर्यावरण के क्षेत्र में अपनी कई उपलब्धि हासिल करते हुए रामायण वाटिका, कृष्ण वाटिका, सर्वधर्म वाटिका, स्वामी विवेकानंद वाटिका, वाल्मीकि वाटिका, देवी वाटिका और डायनासोर संरक्षण पार्क के अलावा कई अन्य पर्यावरण संरक्षण से जुड़े पार्क को तैयार कर चुका है. जिसके माध्यम से पर्यावरण संरक्षण और उन पौधों के महत्व के संदेश दिए गए हैं.
वन अनुसंधान केंद्र के वन क्षेत्राधिकारी मदन बिष्ट का कहना है कि महाभारत वाटिका में महाभारत काल से जुड़ी घटनाओं को दर्शाया गया है, जिसमें वृक्षारोपण के संदेश दिए गए. ताकि लोग पर्यावरण के महत्व के समझ सके और पेड़ो-पौधों को बचाया जा सके.