हल्द्वानी: पर्वतीय इलाकों में होने वाले पहाड़ी फलों का स्वाद इस बार फीका है. एक तो बेमौसम बारिश से फलों को नुकसान पहुंचा है. दूसरी तरफ कोरोना की वजह से फलों को मार्केट नहीं मिल पा रहा है. इस वजह से पहाड़ के काश्तकार बहुत परेशान हैं.
नैनीताल जिले के रामगढ़, मुक्तेश्वर, धारी नैनीताल जनपद के ऐसे इलाके हैं जहां आड़ू, खुमानी, पुलम, सेब और आलू का बेहतर उत्पादन होता है. रामगढ़ के आड़ू, पुलम मुंबई में भी फेमस हैं. लेकिन इस बार बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से पहाड़ी फलों को काफ़ी नुकसान पहुंचा है. आड़ू 50 रुपये प्रति किलो बिक रहा है. आड़ू की जो पेटी 600 से 700 रुपये में बिकती थी, वह 400 से 500 रुपये में बिक रही है. फलों की डिमांड भी कम है. कोरोना की वजह से फलों की सप्लाई पर भी असर पड़ रहा है, क्योंकि ट्रांसपोर्ट कम है लिहाजा काश्तकारों की आर्थिकी पर बहुत बुरा असर पड़ा है.
काश्तकार बताते हैं कि बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि ने पहाड़ के किसानों की कमर तोड़ दी है. जो थोड़ा बहुत फसल बची है उसकी पैकिंग हो रही है लेकिन उसकी लागत निकलना भी बहुत मुश्किल हो गया है., काश्तकारों को कोरोना से बचने की भी चिंता है. फसल बचायें या कोरोना से बचें ये बड़ी मुश्किल है.
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पहाड़ी क्षेत्रों में फलों के नुकसान को लेकर हल्द्वानी मंडी समिति के अध्यक्ष मनोज शाह के मुताबिक ओलावृष्टि से फलों को भारी मात्रा में नुकसान हुआ है. डीएम के निर्देश पर बीमा कम्पनी बर्बाद फसल का सर्वे कर रही हैं. काश्तकारों को उचित मुआवजा दिलाने की कोशिश की जायेगी.