हल्द्वानी: तराई केंद्रीय वन प्रभाग के पीपलपड़ाव रेंज में ट्रेन से टकराने से 6 माह के हाथी के बच्चे व उसकी मां की मौत हो गयी. घटना के बाद रेलवे पटरी पर हाथियों का झुंड खड़ा हो गया, जिसके कारण ट्रेन को वापस लौटना पड़ा. यही नहीं, काशीपुर से लालकुआं आने वाली काशीपुर पैसेंजर को भी रद्द करना पड़ा. इसके अलावा डेमो ट्रेन के समय में भी फेरबदल किया गया. वन विभाग ने हाथियों के शवों का पोस्टमार्टम कर उन्हें दफना दिया है.
हाथियों ने ट्रैक को घेरा: तराई केंद्रीय वन प्रभाग के पीपल पड़ाव रेंज स्थित भूरा खत्ता के पास रेलवे की पुलिया नम्बर 10 के पास ट्रेन से टकरा कर दो हाथियों की मौत हो गयी. घटना आज सुबह 5.25 की बताई जा रही है. सुबह आगरा फोर्ड एक्सप्रेस यात्रियों को लेकर काशीपुर जा रही थी, तभी भूरा खत्ता के पास ट्रैक पार कर रहे हाथियों के झुंड में 6 माह का हाथी का बच्चा और 30 साल की मादा हाथी ट्रेन की चपेट में आ गयी. हादसा देख हाथियों के झुंड का झुंड पटरी पर आ खड़ा हुआ, जिसके बाद ट्रेन को वापस लालकुआं भेजा गया.
50 मीटर तक घसीटता रहा शव: हथिनी ने ट्रेन से अपने 6 माह के बच्चे को बचाने का प्रयास किया. जब बच्चा ट्रेन की पटरी से नीचे नहीं उतर पाया तो सामने से आ रही ट्रेन के आगे अपने बच्चे को बचाने के लिए खड़ी हो गई. इस दौरान इंजन से धक्का लगने पर दोनों जख्मी हो गए. प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक बच्चे का शव करीब 10 मीटर और हथिनी का शव करीब 50 मीटर तक इंजन में फंसकर घसीटता रहा, जिसकी वजह से दोनों की मौत हो गई.
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टक्कर में ट्रेन के हौज प्रेशर पाइप टूटा: टक्कर के बाद हथिनी और उसके बच्चे का शव काफी दूर तक घसीटता रहा, जिसकी वजह से ट्रेन का हौज पाइप टूटकर पटरियों पर गिर गया.
ट्रेन में सवार थे 65 यात्री: ट्रेन में मौजूद 65 लोगों को रेलवे विभाग ने बस से काशीपुर और रामनगर भेजा. घटना की सूचना पर वन विभाग सहित रेलवे प्रशासन भी मौके पर पहुंचा. बाद में हाथियों के झुंड के जाने के बाद वन विभाग के कर्मचारियों ने शवों का पोस्टमॉर्टम करवाकर दफना दिया. सूचना पर डीएफओ, एसडीओ, काशीपुर रेलवे के अधिकारी, लालकुआं रेलवे स्टेशन से आरपीएफ की टीम और टांडा रेंज और पीपल पड़ाव रेंज की टीम मौके पर मौजूद रही.
ट्रेन की स्पीड पर लगाम लगाने का प्रस्ताव: एसडीओ ध्रुव सिंह भदौरिया ने बताया कि ट्रेन की चपेट में आकर दो हाथियों की मौत हुई है. उन्होंने बताया पूर्व में रेलवे प्रशासन को टांडा जंगल से गुजरने वाली ट्रेनों की स्पीड कम करने का प्रस्ताव भेजा गया था, लेकिन अब तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है. प्रथम दृष्टया रेलवे प्रशासन की पूरे मामले में चूक रही है. जांच के बाद जो भी तथ्य सामने आएंगे उसके अनुसार एक्शन भी लिया जाएगा.
100 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ती है ट्रेन: आये दिन जंगलों में ट्रेन की टक्कर से वन्य जीवों की मौत होती रहती है. घटना के समय ट्रेन करीब 100 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से दौड़ रही थी. इस घटना के बाद रेलवे प्रशासन लालकुआं और काशीपुर के बीच पड़ने वाले जंगल में ट्रेन की रफ्तार कम करने को लेकर मंथन कर रहा है. सूत्रों के अनुसार, टांडा जंगल से गुजरने के दौरान ट्रेन की स्पीड 30 किमी प्रति घंटा हो सकती है.