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उत्तराखंड के इस जिले में बढ़ रही टीबी के मरीजों की संख्या, आप भी रहें सावधान

रामनगर के कई इलाके ऐसे हैं, जहां टीबी के रोगियों की संख्या अधिक देखने को मिल रही है. रामनगर के सरकारी अस्पताल के रिकॉर्ड पर नजर डाले तो यहां हर महीने 4 से 5 टीबी के मरीज आ रहे है.

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Published : May 24, 2019, 2:46 PM IST

Updated : May 24, 2019, 4:31 PM IST

रामनगर: सरकार टीबी जैसी बीमारी को जड़ से उखाड़ फेंकना चाहती है, लेकिन नैनीताल जिले के रामनगर में उल्टा हो रहा है. यहां टीबी के मरीजों की संख्या घटने के बजाय बढ़ती जा रही है. इसके अलावा पहाड़ी इलाकों के गांवों में भी टीबी के मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी देखी गई है.

पढ़ें- आज बदलेगा उत्तराखंड में मौसम, 11 जिलों में बारिश के आसार

पहाड़ों की तलहटी में बसे रामनगर की आबादी एक लाख से अधिक है. रामनगर को कुमाऊं व गढ़वाल का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है. यहां के सरकारी अस्पताल में दोनों ही इलाकों के लोग उपचार के लिए आते हैं. चारों ओर जंगलों से घिरे रामनगर का वातावरण देखने में शुद्ध दिखाई देता है. बावजूद इसके यहां टीबी के मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है, जोकि आश्चर्यजनक है.

पढ़ें- मां गंगा के धरती पर अवतरण की ये है रोचक कहानी, यहां अस्थि विसर्जन से मिलता है मोक्ष

रामनगर के कई इलाके ऐसे हैं, जहां टीबी के रोगियों की संख्या अधिक देखने को मिल रही है. गुलरघट्टी, खताड़ी, बम्बाघेर और मालधन क्षेत्र में टीबी के मरीज सबसे ज्यादा सामने आ रहे हैं. रामनगर के सरकारी अस्पताल के रिकॉर्ड पर नजर डाले तो यहां हर महीने 4 से 5 टीबी के मरीज आ रहे हैं.

साल टीबी के मरीजों की संख्या
2013 215
2014 317
2015 310
2016 308
2017 327
2018 332
2019 हर महीने 4 से 5 मरीज

सरकारी अस्पताल में हर महीने कई मरीज सांस लेने में परेशानी और खांसी रहने की शिकायत लेकर पहुंच रहे हैं. डॉक्टर इसे टीबी के लक्षण बता रहे हैं. रामनगर की हाबोहवा काफी साफ बताई जाती है. ऐसे में इस छोटे से कस्बे से हर महीने 5 से 6 टीबी के मरीज सामने आ रहे हैं, जो चिंता का विषय है.

टीबी के लक्षण

  • तीन हफ्ते से ज्यादा खांसी
  • बुखार जो खासतौर पर शाम को बढ़ता है
  • सीने में तेज दर्द
  • वजन का अचानक घटना
  • भूख में कमी
  • बलगम के साथ खून आना
  • फेफड़े में बहुत ज्यादा इंफेक्शन
  • सांस लेने में परेशानी

इस बारे में टीबी विभाग रामनगर के अधिकारी डॉ प्रशांत कौशिक का कहना है कि थोड़ी सी सावधानी से टीबी जैसी बीमारी को फैलने से रोका जा सकता है. एक व्यक्ति को टीबी होने का मतलब है ये बीमारी तीन से चार लोगों को फैल सकती है. इसलिए समय पर उपचार करवाना आवश्यक है. टीबी का उपचार पूरी तरह संभव है. सभी सरकारी केंद्रों पर टीबी का उपचार निशुल्क किया जा रहा है. अगर मरीज पूरी समयावधि तक दवाई का सेवन करता है तो इस बीमारी को खत्म किया जा सकता है

रामनगर: सरकार टीबी जैसी बीमारी को जड़ से उखाड़ फेंकना चाहती है, लेकिन नैनीताल जिले के रामनगर में उल्टा हो रहा है. यहां टीबी के मरीजों की संख्या घटने के बजाय बढ़ती जा रही है. इसके अलावा पहाड़ी इलाकों के गांवों में भी टीबी के मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी देखी गई है.

पढ़ें- आज बदलेगा उत्तराखंड में मौसम, 11 जिलों में बारिश के आसार

पहाड़ों की तलहटी में बसे रामनगर की आबादी एक लाख से अधिक है. रामनगर को कुमाऊं व गढ़वाल का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है. यहां के सरकारी अस्पताल में दोनों ही इलाकों के लोग उपचार के लिए आते हैं. चारों ओर जंगलों से घिरे रामनगर का वातावरण देखने में शुद्ध दिखाई देता है. बावजूद इसके यहां टीबी के मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है, जोकि आश्चर्यजनक है.

पढ़ें- मां गंगा के धरती पर अवतरण की ये है रोचक कहानी, यहां अस्थि विसर्जन से मिलता है मोक्ष

रामनगर के कई इलाके ऐसे हैं, जहां टीबी के रोगियों की संख्या अधिक देखने को मिल रही है. गुलरघट्टी, खताड़ी, बम्बाघेर और मालधन क्षेत्र में टीबी के मरीज सबसे ज्यादा सामने आ रहे हैं. रामनगर के सरकारी अस्पताल के रिकॉर्ड पर नजर डाले तो यहां हर महीने 4 से 5 टीबी के मरीज आ रहे हैं.

साल टीबी के मरीजों की संख्या
2013 215
2014 317
2015 310
2016 308
2017 327
2018 332
2019 हर महीने 4 से 5 मरीज

सरकारी अस्पताल में हर महीने कई मरीज सांस लेने में परेशानी और खांसी रहने की शिकायत लेकर पहुंच रहे हैं. डॉक्टर इसे टीबी के लक्षण बता रहे हैं. रामनगर की हाबोहवा काफी साफ बताई जाती है. ऐसे में इस छोटे से कस्बे से हर महीने 5 से 6 टीबी के मरीज सामने आ रहे हैं, जो चिंता का विषय है.

टीबी के लक्षण

  • तीन हफ्ते से ज्यादा खांसी
  • बुखार जो खासतौर पर शाम को बढ़ता है
  • सीने में तेज दर्द
  • वजन का अचानक घटना
  • भूख में कमी
  • बलगम के साथ खून आना
  • फेफड़े में बहुत ज्यादा इंफेक्शन
  • सांस लेने में परेशानी

इस बारे में टीबी विभाग रामनगर के अधिकारी डॉ प्रशांत कौशिक का कहना है कि थोड़ी सी सावधानी से टीबी जैसी बीमारी को फैलने से रोका जा सकता है. एक व्यक्ति को टीबी होने का मतलब है ये बीमारी तीन से चार लोगों को फैल सकती है. इसलिए समय पर उपचार करवाना आवश्यक है. टीबी का उपचार पूरी तरह संभव है. सभी सरकारी केंद्रों पर टीबी का उपचार निशुल्क किया जा रहा है. अगर मरीज पूरी समयावधि तक दवाई का सेवन करता है तो इस बीमारी को खत्म किया जा सकता है

Intro:एंकर- रामनगर में टीवी की बीमारी के मामले हर साल बढ़ रहे हैं। शहर के कई क्षेत्र ऐसे हैं जहां पर टीवी के मरीज बढ़ रहे हैं ।इसके अलावा गांव और पहाड़ से आने वाले मरीजों में भी टीवी की बीमारी अधिक देखने को मिल रही है।जो एक गंभीर विषय है। हालांकि टीवी की दवाइयां अस्पताल में फ्री मौजूद है।लेकिन डॉक्टरों का मानना है।कि इस बीमारी पर लगाम लगाने के लिए लोगों में जागरूकता की आवश्यकता है।


Body:वीओ- पहाड़ों की तलहटी में बसे रामनगर की आबादी एक लाख से अधिक है। रामनगर को कुमाऊ गढ़वाल का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है यहां के सरकारी अस्पताल में दोनों ही इलाकों के लोग उपचार के लिए यहां आते हैं ।चारों और जंगलों से घिरे रामनगर का वातावरण देखने में शुद्ध दिखाई देता है।एक पर्यटन स्थल होने के नाते देश-विदेश से लोग यहां घूमने आते हैं।और यहां के वातावरण से काफी प्रभावित भी होते हैं।बावजूद इसके यहां के रहने वाले लोगों को टीवी जैसी बीमारी ने जकड़ रखा है।जो कि आश्चर्यजनक है रामनगर के अंतर्गत कई इलाके ऐसे हैं जहां टीवी के रोगियों की संख्या अधिक देखने को मिल रही है। गुलरघट्टी, खताड़ी,बम्बाघेर और मालधन क्षेत्र में टीवी से पीड़ित रोगी अधिक संख्या देखने को मिल रही है।जबकि नगर के दुर्गा पुरी,पम्पापुरी और भरतपुरी से कम संख्या में टीवी के होगी आ रहे हैं।यह बहुत चिंताजनक बात है कि टीवी जैसे रोग ने रामनगर के कई इलाकों को अपनी जद में जकड़ रखा है।डॉक्टर इस बीमारी का कारण इन क्षेत्रों में गंदगी का होना बताते हैं। इन क्षेत्रों में अधिक गंदगी होना ही टीवी के कीटाणुओं को बढ़ावा देना है। जिसके चलते यह बीमारी बढ़ रही है।हालांकि भारत के प्रत्येक सरकारी अस्पताल में टीवी का इलाज मुफ्त मौजूद है। यदि इस बीमारी का सही समय पर पता चल जाए तो यह बीमारी अब जानलेवा नहीं है।परंतु इस बीमारी की अनदेखी करने और सही से इलाज न करने पर प्राणघातक भी हो सकती है।रामनगर के सरकारी अस्पताल के रिकॉर्ड के मुताबिक देखें तो इस बीमारी के आंकड़े चौकाने वाले दिखाई देते हैं।यदि सरकारी अस्पताल के अनुसार टीवी के रोगियों के 6 वर्ष के आँकड़े पर नजर डालें तो वर्ष 2013 में 215 टीवी के मरीज,वर्ष 2014 में 317,वर्ष 2015 में 310 ,वर्ष 2016 में टीवी के मरीजों की संख्या 308, वर्ष 2017 में टीवी के मरीजों की संख्या बढ़कर 327 हो गई है जबकि 2018 में यह संख्या 332 हो गई है।जबकि बात करें 2019 की तो हर माह 3 से 4 टीबी के मरीज अस्पताल रहे हैं। सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक यह संख्या है जिन रोगियों में टीवी के लक्षण पॉजिटिव पाए गए हैं। लगभग 200 के रोगियों का इलाज व संयुक्त चिकित्सालय में किया जाता है। यदि टीवी विभाग के अधिकारी की मानें तो थोड़ी सी सावधानी से टीवी जैसी बीमारी को फैलने से रोका जा सकता है।बावजूद इसके टीवी के रोगियों की संख्या बढ़ती देखते हुए संयुक्त चिकित्सालय रामनगर में अभी तक टीवी आइसोलेशन वार्ड नहीं बनाया गया है।

बाइट-1-डॉ राजीव बुडलाकोटी( टीबी विभाग)
बाइट-2-डॉ प्रशांत कौशिक(अधिकारी,टीबी विभाग रामनगर)



Conclusion:
Last Updated : May 24, 2019, 4:31 PM IST
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