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तीन तलाक पर वकीलों ने रखी राय, कहा- 3 साल से ज्यादा सजा का हो प्रावधान

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Published : Aug 2, 2019, 9:16 PM IST

तीन तलाक कानून में सजा बढ़ाने की मांग कर रहे हैं हल्द्वानी के अधिवक्ता. अधिवक्ताओं का कहना है इस कानून को और कठोर बनाने की आवश्यकता है.

तीन तलाक

हल्द्वानीः राज्यसभा से ट्रिपल तलाक बिल पास होने के बाद देश में इस कानून को लेकर अलग-अलग तरह की चर्चाएं हैं. अधिवक्ताओं में असमंजस की स्थिति बनी हुई है. यह बिल राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद 19 सितंबर 2018 से लागू माना जाएगा. हल्द्वानी में अधिवक्ताओं का कहना है कि तीन तलाक को लेकर बनाए गए कानून में और सख्त सजा देने का प्रावधान किया जाना चाहिए.

अधिवक्ताओं का कहना है कि इस कानून के तहत दोषी पाए जाने पर 6 माह से 3 साल तक की सजा हो सकती है और सजा को कम करना या बढ़ाना मजिस्ट्रेट पर निर्भर करता है. अधिवक्ताओं का कहना है इस कानून को और कठोर बनाकर 3 साल से ज्यादा सजा रखनी चाहिए. ताकि आरोपी इस तरह के अपराध करने से बचें.

तीन तलाक में सजा में बढ़ोत्तरी हो.

यह भी पढ़ेंः तीन तलाक कानून बनने के बाद देहरादून में दर्ज हुआ पहला मुकदमा

अधिवक्ताओं का कहना है कि तीन तलाक के खिलाफ बिल पास हो जाने के बाद थोड़ा अपराध में कमी तो आएगी और लोग तलाक देने से पहले लोग सोचेंगे.

गौरतलब है कि लंबे समय से तीन तलाक बिल को लेकर असमंजस की स्थिति थी. लोकसभा में पास होने के बाद राज्यसभा में तीन तलाक बिल अटक गया था. मोदी सरकार के दोबारा सत्ता में आने के बाद तीन तलाक बिल राज्यसभा में पास हुआ.

हल्द्वानीः राज्यसभा से ट्रिपल तलाक बिल पास होने के बाद देश में इस कानून को लेकर अलग-अलग तरह की चर्चाएं हैं. अधिवक्ताओं में असमंजस की स्थिति बनी हुई है. यह बिल राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद 19 सितंबर 2018 से लागू माना जाएगा. हल्द्वानी में अधिवक्ताओं का कहना है कि तीन तलाक को लेकर बनाए गए कानून में और सख्त सजा देने का प्रावधान किया जाना चाहिए.

अधिवक्ताओं का कहना है कि इस कानून के तहत दोषी पाए जाने पर 6 माह से 3 साल तक की सजा हो सकती है और सजा को कम करना या बढ़ाना मजिस्ट्रेट पर निर्भर करता है. अधिवक्ताओं का कहना है इस कानून को और कठोर बनाकर 3 साल से ज्यादा सजा रखनी चाहिए. ताकि आरोपी इस तरह के अपराध करने से बचें.

तीन तलाक में सजा में बढ़ोत्तरी हो.

यह भी पढ़ेंः तीन तलाक कानून बनने के बाद देहरादून में दर्ज हुआ पहला मुकदमा

अधिवक्ताओं का कहना है कि तीन तलाक के खिलाफ बिल पास हो जाने के बाद थोड़ा अपराध में कमी तो आएगी और लोग तलाक देने से पहले लोग सोचेंगे.

गौरतलब है कि लंबे समय से तीन तलाक बिल को लेकर असमंजस की स्थिति थी. लोकसभा में पास होने के बाद राज्यसभा में तीन तलाक बिल अटक गया था. मोदी सरकार के दोबारा सत्ता में आने के बाद तीन तलाक बिल राज्यसभा में पास हुआ.

Intro:sammry- ट्रिपल तलाक पर अधिवक्ताओं का राय।

ट्रिपल तलाक को लेकर राज्यसभा से बिल पास होने के बाद देश में इस कानून को लेकर अलग-अलग तरह की चर्चाएं हैं इस कानून को लेकर अभी अधिवक्ताओं में असमंजस की स्थिति बनी हुई है यह बिल राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद 19 सितंबर 2018 से लागू माना जाएगा हल्द्वानी में भी अधिवक्ताओं का कहना है की तीन तलाक को लेकर बनाए गए कानून में अभी और भी सख्त सजा देने का प्रावधान किया जाना चाहिए


Body:अधिवक्ताओं का कहना है इस कानून के तहत दोषी पाए जाने पर 6 माह से 3 साल तक की सजा हो सकती है । और सजा को कम करना या बढ़ाना मजिस्ट्रेट पर निर्भर करता है । अधिवक्ताओं का कहना है इस कानून को और कठोर बना कर 3 साल से सजा ज्यादा रखनी चाहिए ऐसे में आरोपी इस तरह के अपराध करने से बचें। अधिवक्ताओं का कहना है कि तीन तलाक के खिलाफ बिल पास हो जाने के बाद थोड़ा अपराध में कमी तो आएगी, तलाक देने से पहले लोग सोचेंगे।।

बाइट- आमिरएम खान अधिवक्ता।
बाइट संगीता टाकुली अधिवक्ता


Conclusion:गौरतलब है कि लंबे समय से तीन तलाक बिल को लेकर असमंजस की स्थिति थी लोकसभा में पास होने के बाद राज्यसभा में तीन तलाक बिल अटक गया था अब दोबारा मोदी सरकार आने के बाद तीन तलाक बिल राज्यसभा के साथ राष्ट्रपति के पास से पास हो गया है से भी पास हो गया है और कानूनी रूप ले चुका है अब देखना यह होगा कि तीन तलाक की घटनाओं में इस कानून को बनने के बाद कितनी कमी आती है।
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