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भारत वाटिका में विभिन्न राज्यों के राज्य वृक्षों को किया जा रहा संरक्षित - Trees of different states are being protected

हल्द्वानी वन अनुसंधान केंद्र विलुप्त प्रजातियों के पौधों का संरक्षण कर रही है. यहां देश के सभी राज्यों के राज्य पौधों को संरक्षित किया जा रहा है.

भारत वाटिका में विभिन्न राज्यों के वृक्षों को किया जा रहा सरंक्षित
भारत वाटिका में विभिन्न राज्यों के वृक्षों को किया जा रहा सरंक्षित
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Published : Jun 16, 2021, 3:18 PM IST

Updated : Jun 17, 2021, 7:49 AM IST

हल्द्वानी: उत्तराखंड का सबसे बड़ा हल्द्वानी वन अनुसंधान केंद्र वैसे तो अपनी कई उपलब्धियों के लिए जाना जाता है. इन दिनों यहां जैव विविधता के साथ-साथ कई विलुप्त प्रजातियों के पौधों का संरक्षण करने का काम चल रहा है. इसके तहत अनुसंधान केंद्र ने भारत वाटिका तैयार की है. यहां लगभग देश के सभी राज्यों के राज्य वृक्ष लगाने का काम किया गया है.

हल्द्वानी वन अनुसंधान केंद्र के मदन सिंह बिष्ट ने बताया कि भारत वाटिका बनाने का मुख्य उद्देश्य उन राज्यों के राज्य वृक्षों को संरक्षित करने के साथ-साथ लोगों को उन वृक्षों के बारे में जानकारी देना है. उन्होंने बताया कि अलग-अलग राज्यों से उनके वृक्ष लाकर वाटिका में स्थापित करने का काम किया गया है.

सभी राज्यों के पौधों को संरक्षित कर रहा है हल्द्वानी वन अनुसंधान केंद्र

यहां तक कि वाटिका में लगाए गए बोर्ड के माध्यम से सभी वृक्षों की पहचान भी बताई गई है. इन वृक्षों के लोकल और वैज्ञानिक नाम भी बोर्ड पर दर्ज किए गए हैं. उन्होंने बताया कि मुख्य रूप से उत्तराखंड के बुरांस, कश्मीर के चिनार, मणिपुर का टोना, कर्नाटक का चंदन, अंडमान व निकोबार के पड़ौक पेड़ यहां लगाए गए हैं.

पढ़ें: काठगोदाम-नई दिल्ली शताब्दी ट्रेन पर पथराव, रेलवे पुलिस ने दर्ज किया मामला

अरुणाचल और असम के होलांग, गोवा का कोकोनट, तमिलनाडु का पापीरा पाम, लक्षद्वीप का ब्रेड फ्रूट, मिजोरम का आयरनवुड, वेस्ट बंगाल का चितवन, हिमाचल का देवदार, मेघालय का वाइट टिक, त्रिपुरा का अगर, तेलंगाना का जम्मी, उत्तर प्रदेश का अशोक, उड़ीसा का गूलर, सिक्किम का रोडोडेनड्रोन, नागालैंड का आल्ड्र, गुजरात और मध्य प्रदेश के बरगद, दिल्ली का गुलमोहर जैसे वृक्ष शामिल हैं.

हल्द्वानी: उत्तराखंड का सबसे बड़ा हल्द्वानी वन अनुसंधान केंद्र वैसे तो अपनी कई उपलब्धियों के लिए जाना जाता है. इन दिनों यहां जैव विविधता के साथ-साथ कई विलुप्त प्रजातियों के पौधों का संरक्षण करने का काम चल रहा है. इसके तहत अनुसंधान केंद्र ने भारत वाटिका तैयार की है. यहां लगभग देश के सभी राज्यों के राज्य वृक्ष लगाने का काम किया गया है.

हल्द्वानी वन अनुसंधान केंद्र के मदन सिंह बिष्ट ने बताया कि भारत वाटिका बनाने का मुख्य उद्देश्य उन राज्यों के राज्य वृक्षों को संरक्षित करने के साथ-साथ लोगों को उन वृक्षों के बारे में जानकारी देना है. उन्होंने बताया कि अलग-अलग राज्यों से उनके वृक्ष लाकर वाटिका में स्थापित करने का काम किया गया है.

सभी राज्यों के पौधों को संरक्षित कर रहा है हल्द्वानी वन अनुसंधान केंद्र

यहां तक कि वाटिका में लगाए गए बोर्ड के माध्यम से सभी वृक्षों की पहचान भी बताई गई है. इन वृक्षों के लोकल और वैज्ञानिक नाम भी बोर्ड पर दर्ज किए गए हैं. उन्होंने बताया कि मुख्य रूप से उत्तराखंड के बुरांस, कश्मीर के चिनार, मणिपुर का टोना, कर्नाटक का चंदन, अंडमान व निकोबार के पड़ौक पेड़ यहां लगाए गए हैं.

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अरुणाचल और असम के होलांग, गोवा का कोकोनट, तमिलनाडु का पापीरा पाम, लक्षद्वीप का ब्रेड फ्रूट, मिजोरम का आयरनवुड, वेस्ट बंगाल का चितवन, हिमाचल का देवदार, मेघालय का वाइट टिक, त्रिपुरा का अगर, तेलंगाना का जम्मी, उत्तर प्रदेश का अशोक, उड़ीसा का गूलर, सिक्किम का रोडोडेनड्रोन, नागालैंड का आल्ड्र, गुजरात और मध्य प्रदेश के बरगद, दिल्ली का गुलमोहर जैसे वृक्ष शामिल हैं.

Last Updated : Jun 17, 2021, 7:49 AM IST
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