रामनगर: उत्तराखंड में नैनीताल जिले में स्थित जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क (Jim Corbett National Park) में हर साल बड़ी संख्या में पर्यटक टाइगर का दीदार करने आते हैं. लेकिन कई बार उन्हें मायूस होकर लौटना पड़ता है. हालांकि अब ऐसा नहीं होगा. क्योंकि पर्यटक अब टाइगर का दीदार करे बिना वापस नहीं लौटेंगे. क्योंकि जल्द ही कॉर्बेट पार्क में टाइगर सफारी (Tiger Safari) शुरू होने जा रही है.
राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी (Rajya Sabha MP Anil Baluni) ने बताया कि जल्द ही जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में टाइगर सफारी (Tiger Safari) शुरू होने जा रही है. इसको लेकर शासन स्तर पर काम चल रहा है. इसके बाद कॉर्बेट नेशनल पार्क (Corbett National Park) आने वाले किसी भी पर्यटक की बाघ को देखने की चाहत अधूरी नहीं रहेगी.
क्या है टाइगर सफारी?
कॉर्बेट प्रशासन जंगल के एक बड़े क्षेत्र को चारों ओर से बंद करके बाड़े के रूप में बदल देगा. इस बाड़े में घायल और बीमार बाघों को ठीक करके छोड़ा जाएगा. यहां बंद गाड़ी में पर्यटक आसानी से टाइगर सफारी (Tiger Safari in Corbett Park) का आनंद ले सकेंगे. इस क्षेत्र में पर्यटक हर हाल में बाघ का दीदार कर सकेंगे. इस बारे में ज्यादा जानकारी देते हुए राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी ने कहा कि उत्तराखंड टूरिज्म से जुड़ा हुआ क्षेत्र है. उत्तराखंड के लिए ये सौभाग्य की बात है कि यहां 10 से ज्यादा नेशनल पार्क हैं. वाइल्ड लाइफ टूरिज्म के लिए उत्तराखंड बहुत ही अच्छा डेस्टिनेशन है.
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के कॉर्बेट नेशनल पार्क में बड़ी संख्या में पर्यटक बाघों का दीदार करने आते हैं. लेकिन घने जंगल होने के कारण कई बार उन्हें मायूस लौटना पड़ता है. ऐसे में सरकार का प्रयास है कि कॉर्बेट नेशनल पार्क में टाइगर सफारी शुरू की जाए. ताकि यहां आने वाले सभी पर्यटक बाघ का दीदार कर सकें.
2019 में पीएम मोदी ने की थी घोषणा
राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी ने बताया कि 2019 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के भ्रमण पर आए, तो तब उन्होंने पाखरों में टाइगर सफारी बनाने की घोषणा की थी. तभी से कॉर्बेट प्रशासन इस पर कार्य योजना बना रहा है. उन्होंने बताया कि जल्द ही कॉर्बेट पार्क के ढेला रेस्क्यू सेंटर के आसपास या अन्य क्षेत्रों में टाइगर सफारी बनाई जाएगी.
बता दें कि जिम कॉर्बेट देश का पहला नेशनल पार्क होने के साथ ही पहला टाइगर रिजर्व भी है. देश के राष्ट्रीय पशु बाघ के संरक्षण के लिए यहां की मिसाल दी जाती है. वन्य जीवों और जंगलों से प्यार करने वाले इसे सूब पसंद करते हैं. यही वजह है कि यहां के बाघों को देखने देश और दुनिया से बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं. लेकिन घने जंगलों के बीच बाघ को ढूंढना बहुत मुश्किल है.