ETV Bharat / state

जमरानी बांध प्रोजेक्ट के आड़े आया टाइगर कॉरिडोर, NTCA के साथ गठित कमेटी

Jamrani Dam Project कुमाऊं मंडल की बहुप्रतीक्षित जमरानी बांध परियोजना को केंद्र सरकार से स्वीकृति मिलने के बाद अब इस परियोजना में टाइगर कॉरिडोर ने अड़चन डाल दिया है. इस कारण प्रोजेक्ट शिलान्यास की तैयारी में देरी हो रही है.

Jamrani Dam Project
जमरानी बांध प्रोजेक्ट
author img

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jan 6, 2024, 3:18 PM IST

जमरानी बांध प्रोजेक्ट के आड़े आया टाइगर कॉरिडोर.

हल्द्वानी: कुमाऊं की जमरानी बांध परियोजना को केंद्र सरकार से स्वीकृति तो मिल गई है. लेकिन परियोजना क्षेत्र टाइगर कॉरिडोर में होने के कारण नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (एनटीसीए) की तरफ से अब संबंधित कॉरिडोर के संरक्षण को लेकर कोशिश की जा रही है. जमरानी बांध के लिए वन भूमि हस्तांतरण की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है. लेकिन अभी भी इसके लिए एनटीसीए की हरी झंडी की जरूरत है.

क्षेत्रीय लोकसभा सांसद और केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट का कहना है कि टाइगर कॉरिडोर की अड़चन को दूर करने के लिए एक कमेटी का गठन किया गया है. इसमें एनटीसीए, पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया आदि के विशेषज्ञ शमिल हैं. हालांकि, जमरानी बांध क्षेत्र में वन्यजीवों का पता करने के लिए कैमरा ट्रैप लगाए गए थे. इसमें किसी भी बाघ की फोटो नहीं आई है. इलाके में वाइल्डलाइफ कंजर्वेशन और टाइगर कंजर्वेशन को लेकर प्लान बनाए गए हैं.
ये भी पढ़ेंः जमरानी बांध खत्म करेगा यूपी उत्तराखंड की पेयजल समस्या, सीएम धामी ने पीसी कर पीएम मोदी का जताया आभार

उन्होंने बताया कि जमरानी बांध के लिए 352 हेक्टेयर से अधिक वन भूमि हस्तांतरित हो चुकी है. परियोजना 'प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना' कार्यक्रम के तहत पूरी की जाएगी. ये उत्तराखंड के साथ उत्तर प्रदेश के कई जिलों में सिंचाई, बिजली और पेयजल की सुविधा उपलब्ध कराएगी.

परियोजना की विशेषता: परियोजना के जरिए 57, हजार 65 हेक्टेयर भूमि को सिंचाई के दायरे में लाया जाएगा. इसमें 9458 हेक्टेयर जमीन उत्तराखंड और 47607 हेक्टेयर जमीन उत्तर प्रदेश की है. इस परियोजना से प्रतिदिन 14 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जाएगा. इसके अलावा हल्द्वानी और आसपास के क्षेत्रों के लिए 42.70 मिलियन क्यूबिक मीटर (एमसीएम) पेयजल भी उपलब्ध होगा. इससे लगभग साढ़े दस लाख लोगों को फायदा होगा. इस परियोजना के लिए केंद्र सरकार करीब 1557 करोड़ रुपये उत्तराखंड को देगी.
ये भी पढ़ेंः जमरानी बांध निर्माण की आस लगाए बैठे लोगों के लिए खुशखबरी, केंद्र ने दी परियोजना को मंजूरी

बताया जा रहा है कि बांध परियोजना क्षेत्र में टाइगर कॉरिडोर क्षेत्र भी है, जिसे लेकर एनटीसीए काफी गंभीर है. इस कॉरिडोर के सहारे बाघ नंधौर अभयारण्य होते हुए दुधवा और नेपाल तक मूवमेंट करते थे. कॉरिडोर के संरक्षण की दिशा में कवायद तेज हो गई है, जिससे भविष्य में वन्यजीवों का मूवमेंट प्रभावित न हो. इसे देखते हुए एक कमेटी का गठन किया गया है. उमीद जताई जा रही कि इस अड़चन को जल्द दूर कर लिया जाएगा.

जमरानी बांध प्रोजेक्ट के आड़े आया टाइगर कॉरिडोर.

हल्द्वानी: कुमाऊं की जमरानी बांध परियोजना को केंद्र सरकार से स्वीकृति तो मिल गई है. लेकिन परियोजना क्षेत्र टाइगर कॉरिडोर में होने के कारण नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (एनटीसीए) की तरफ से अब संबंधित कॉरिडोर के संरक्षण को लेकर कोशिश की जा रही है. जमरानी बांध के लिए वन भूमि हस्तांतरण की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है. लेकिन अभी भी इसके लिए एनटीसीए की हरी झंडी की जरूरत है.

क्षेत्रीय लोकसभा सांसद और केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट का कहना है कि टाइगर कॉरिडोर की अड़चन को दूर करने के लिए एक कमेटी का गठन किया गया है. इसमें एनटीसीए, पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया आदि के विशेषज्ञ शमिल हैं. हालांकि, जमरानी बांध क्षेत्र में वन्यजीवों का पता करने के लिए कैमरा ट्रैप लगाए गए थे. इसमें किसी भी बाघ की फोटो नहीं आई है. इलाके में वाइल्डलाइफ कंजर्वेशन और टाइगर कंजर्वेशन को लेकर प्लान बनाए गए हैं.
ये भी पढ़ेंः जमरानी बांध खत्म करेगा यूपी उत्तराखंड की पेयजल समस्या, सीएम धामी ने पीसी कर पीएम मोदी का जताया आभार

उन्होंने बताया कि जमरानी बांध के लिए 352 हेक्टेयर से अधिक वन भूमि हस्तांतरित हो चुकी है. परियोजना 'प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना' कार्यक्रम के तहत पूरी की जाएगी. ये उत्तराखंड के साथ उत्तर प्रदेश के कई जिलों में सिंचाई, बिजली और पेयजल की सुविधा उपलब्ध कराएगी.

परियोजना की विशेषता: परियोजना के जरिए 57, हजार 65 हेक्टेयर भूमि को सिंचाई के दायरे में लाया जाएगा. इसमें 9458 हेक्टेयर जमीन उत्तराखंड और 47607 हेक्टेयर जमीन उत्तर प्रदेश की है. इस परियोजना से प्रतिदिन 14 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जाएगा. इसके अलावा हल्द्वानी और आसपास के क्षेत्रों के लिए 42.70 मिलियन क्यूबिक मीटर (एमसीएम) पेयजल भी उपलब्ध होगा. इससे लगभग साढ़े दस लाख लोगों को फायदा होगा. इस परियोजना के लिए केंद्र सरकार करीब 1557 करोड़ रुपये उत्तराखंड को देगी.
ये भी पढ़ेंः जमरानी बांध निर्माण की आस लगाए बैठे लोगों के लिए खुशखबरी, केंद्र ने दी परियोजना को मंजूरी

बताया जा रहा है कि बांध परियोजना क्षेत्र में टाइगर कॉरिडोर क्षेत्र भी है, जिसे लेकर एनटीसीए काफी गंभीर है. इस कॉरिडोर के सहारे बाघ नंधौर अभयारण्य होते हुए दुधवा और नेपाल तक मूवमेंट करते थे. कॉरिडोर के संरक्षण की दिशा में कवायद तेज हो गई है, जिससे भविष्य में वन्यजीवों का मूवमेंट प्रभावित न हो. इसे देखते हुए एक कमेटी का गठन किया गया है. उमीद जताई जा रही कि इस अड़चन को जल्द दूर कर लिया जाएगा.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.