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मॉनसून की चुनौतियों से निपटने की तैयारी, पहाड़ी जिलों में भेजा जा रही 3 माह का अतिरिक्त राशन

उत्तराखंड में मॉनसून सीजन के दौरान होने वाली मुश्किलों को देखते हुए सभी विभाग अपने-अपने स्तर पर अभी से तैयारियों में जुटे हुए हैं. मॉनसून सीजन में पहाड़ी जिलों में किसी भी तरह के खाद्यान्न की कमी हो इसको लेकर वहां पर तीन महीने का आतिरिक्त राशन भेजा जा रहा है.

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Published : May 30, 2022, 4:22 PM IST

हल्द्वानी: उत्तराखंड में मॉनसून अपने साथ आपदा लेकर भी आता है. मॉनसून सीजन में उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों को संपर्क मैदान से कट जाता है. ऐसे में वहां पर खाद्यान्न की कमी हो जाती है. उसकी को ध्यान में रखते हुए आरएफसी ने पहाड़ों पर 3 महीनों का अतिरिक्त राशन भेजने क काम करना शुरू कर दिया है. पहाड़ी जिलों से मॉनसून सीजन के लिए 14,435 मीट्रिक टन खाद्यान्न की मांग की है.

कुमाऊं मंडल के अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, बागेश्वर और चंपावत जिलों के लिए खाद्य विभाग 3 महीने का अतिरिक्त राशन भेजा जा रहा है. इन जिलों से 3 महीने के लिए 14,435 मीट्रिक टन राशन की डिमांड आई है, जिसके सापेक्ष आरएसी ने अभी तक 3,167 मीट्रिक टन गेहूं और चावल पहाड़ों पर भेजा है.
पढ़ें- उत्तराखंड में राशन कार्ड सरेंडर की तिथि 30 जून तक बढ़ी, अब तक 30 हजार लोग करवा चुके जमा

आरएफसी हरवीर सिंह ने बताया कि शासन के निर्देश पर अगले 3 महीनों का खाद्यान्न रसद सामग्री पहुंचाने का कार्य शुरू कर दिया गया है. जिला पूर्ति अधिकारी द्वारा डिमांड भेजी गई थी, जहां डिमांड के अनुसार खाद्यान्न पहुंचाए जाने का काम चल रहा है.

उन्होंने बताया कि कुमाऊं मंडल के पहाड़ी जनपद के 4 जिलों के लिए 8,950 मीट्रिक टन चावल और 5,485 मीट्रिक टन गेहूं की डिमांड आई है. डिमांड से मुताबिक अभीतक 1,242 मीट्रिक टन चावल और 1,905 मीट्रिक टन गेहूं भेजा जा चुका है. उन्होंने बताया कि जुलाई से सितंबर माह तक के लिए यह सभी राशन भेजे जाने हैं.

उन्होंने बताया कि जिन जगहों पर बड़ी गाड़ियां नहीं पहुंचने की स्थिति में है. वहां पर छोटी गाड़ियों से खाद्यान्न पहुंचाए जाने का काम चल रहा है. मानसून सीजन से पहले खाद्यान्न को शत-प्रतिशत पहुंचा दिया जाएगा, जबकि अभी तक 40% खाद्यान्न भेजा जा चुका है.

हल्द्वानी: उत्तराखंड में मॉनसून अपने साथ आपदा लेकर भी आता है. मॉनसून सीजन में उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों को संपर्क मैदान से कट जाता है. ऐसे में वहां पर खाद्यान्न की कमी हो जाती है. उसकी को ध्यान में रखते हुए आरएफसी ने पहाड़ों पर 3 महीनों का अतिरिक्त राशन भेजने क काम करना शुरू कर दिया है. पहाड़ी जिलों से मॉनसून सीजन के लिए 14,435 मीट्रिक टन खाद्यान्न की मांग की है.

कुमाऊं मंडल के अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, बागेश्वर और चंपावत जिलों के लिए खाद्य विभाग 3 महीने का अतिरिक्त राशन भेजा जा रहा है. इन जिलों से 3 महीने के लिए 14,435 मीट्रिक टन राशन की डिमांड आई है, जिसके सापेक्ष आरएसी ने अभी तक 3,167 मीट्रिक टन गेहूं और चावल पहाड़ों पर भेजा है.
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आरएफसी हरवीर सिंह ने बताया कि शासन के निर्देश पर अगले 3 महीनों का खाद्यान्न रसद सामग्री पहुंचाने का कार्य शुरू कर दिया गया है. जिला पूर्ति अधिकारी द्वारा डिमांड भेजी गई थी, जहां डिमांड के अनुसार खाद्यान्न पहुंचाए जाने का काम चल रहा है.

उन्होंने बताया कि कुमाऊं मंडल के पहाड़ी जनपद के 4 जिलों के लिए 8,950 मीट्रिक टन चावल और 5,485 मीट्रिक टन गेहूं की डिमांड आई है. डिमांड से मुताबिक अभीतक 1,242 मीट्रिक टन चावल और 1,905 मीट्रिक टन गेहूं भेजा जा चुका है. उन्होंने बताया कि जुलाई से सितंबर माह तक के लिए यह सभी राशन भेजे जाने हैं.

उन्होंने बताया कि जिन जगहों पर बड़ी गाड़ियां नहीं पहुंचने की स्थिति में है. वहां पर छोटी गाड़ियों से खाद्यान्न पहुंचाए जाने का काम चल रहा है. मानसून सीजन से पहले खाद्यान्न को शत-प्रतिशत पहुंचा दिया जाएगा, जबकि अभी तक 40% खाद्यान्न भेजा जा चुका है.

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