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घर में सांप दिखते ही लोगों को याद आते हैं कश्यप अंकल, 40 सालों से कर रहे रेस्क्यू

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Published : Jul 22, 2019, 2:04 PM IST

Updated : Jul 22, 2019, 7:46 PM IST

रामनगर का कश्यप परिवार सांपों को देवी देवताओं का रूप मान कर उनके संरक्षक के पिछले लगभग 40 सालों से लगा हुआ है. 15 साल की उम्र से चंद्रसेन कश्यप ये कार्य कर रहे हैं. क्षेत्र के जिन घरों में सांप घुस जाया करते हैं पता चलने पर वे स्वयं ही वहां पहुंच कर सांप को पकड़ते हैं.

सर्प विशेषज्ञ चंद्र सेन कश्यप.

रामनगर: सांप छोटा हो या बड़ा उसके फन उठाते ही अच्छे-अच्छों के पसीने छूट जाते हैं. उसके फुहारने मात्र से ही कलेजा कांपने लगता है. लेकिन सांप पारिस्थिति तंत्र को बनाने रखता जो काफी अहम है. जहां लोग चाहे- अनजाने में सांप को मार देते हैं वहीं रामनगर का कश्यप परिवार इन्हें बचाने के लिए पूरी शिद्दत से लगा हुआ है.

40 सालों से सांपों का रेस्क्यू कर रहा कश्यप परिवार.

नागों का पौराणिक कथाओं में भी वर्णन मिलता है. देवभूमि में नाग देवताओं के कई धाम हैं, जो लोगों की अटूट आस्था के केन्द्र हैं. रामनगर का कश्यप परिवार सांपों को देवी देवताओं का रूप मानकर उनके संरक्षण के लिये पिछले लगभग 40 सालों से लगा हुआ है. साथ ही लोगों को सांपों को न मारने के लिए जागरुक भी करता है. वहीं कश्यप परिवार लोगों को सांप के काटने से भी बचा रहा है.

पढ़ें- देखते ही देखते बड़े सांप ने छोटे सांप को निगला, उत्तराखंड का ये Video हुआ वायरल

सर्प विशेषज्ञ चंद्रसेन कश्यप जब स्कूल में पढ़ते थे, उनके माता-पिता से सांपों के प्रति मिले भक्ति ज्ञान से उनके दिलो-दिमाग पर ऐसी छाप छोड़ी कि वो उनके संरक्षण में लग गए. क्षेत्र के जिन घरों में सांप घुस जाया करते हैं पता चलने पर वे स्वयं ही वहां पहुंच कर सांप को पकड़ते हैं.

सांप को पकड़ने के बाद वे अपने घर ले आते हैं और सांपों की सेवा करने के बाद उन्हें जंगल छोड़ आते हैं. यह सिलसिला वर्षों से जारी है. उम्र के साथ-साथ उनका तजुर्बा भी बढ़ गया है.

kashyap family rescue snakes
40 सालों से सांपों में रेस्क्यू में लगा कश्यप परिवार.

रामनगर की अधिकांश लोगों को चंद्रसेन का मोबाइल नंबर पता है. जब भी किसी के घर में सांप घुस जाता है, तुरंत चंदसेन को बुलाया जाता है. जिसके बाद मौके पर पहुंचकर वे सांप का रेस्क्यू करते हैं, फिर उसे जंगल में छोड़ आते हैं. इस कार्य में रामनगर वन विभाग, कॉर्बेट प्रशासन और तराई पश्चिमी वन प्रभाग भी इनकी मदद लेता है.

kashyap family rescue snakes
40 सालों से सांपों में रेस्क्यू में लगा कश्यप परिवार.

सरकारी अस्पताल के डॉक्टर भी यह जानकारी करने के लिए इन्हें बुलाते हैं कि मरीज को कितने जहरीले सांप ने काटा है. चंद्रसेन स्वयं भी सांप के काटे का इलाज करते हैं. वह अबतक कई लोगों की जान बचा चुके हैं.

उनके परिवार के सदस्यों को सांपों के साथ खेलने और उनके साथ रहने की आदत सी पड़ चुकी है. उनके तीनों बेटे सांप पकड़ने में अपने पिता की तरह माहिर हैं. हालांकि, कई बार चंद्रसेन और उनके पुत्र को सांप का रेस्क्यू करने में सांप ने काटा है परंतु इन्हें सर्पदंश के उपचार की जानकारी होने के चलते उनका जहर बेसर हो जाता है.

kashyap family rescue snakes
40 सालों से सांपों में रेस्क्यू में लगा कश्यप परिवार.

विरासत में मिले निस्वार्थ सेवाभाव और हुनर में उनके बच्चे भी निपुण हो चुके हैं. अपने पिता के सांपों के प्रति प्रेम भाव को देखते वे भी उनकी राह पर निकल पड़े हैं. साथ ही लोगों को जीव जंतुओं के संरक्षण के लिए प्रेरित कर रहे हैं.

रामनगर: सांप छोटा हो या बड़ा उसके फन उठाते ही अच्छे-अच्छों के पसीने छूट जाते हैं. उसके फुहारने मात्र से ही कलेजा कांपने लगता है. लेकिन सांप पारिस्थिति तंत्र को बनाने रखता जो काफी अहम है. जहां लोग चाहे- अनजाने में सांप को मार देते हैं वहीं रामनगर का कश्यप परिवार इन्हें बचाने के लिए पूरी शिद्दत से लगा हुआ है.

40 सालों से सांपों का रेस्क्यू कर रहा कश्यप परिवार.

नागों का पौराणिक कथाओं में भी वर्णन मिलता है. देवभूमि में नाग देवताओं के कई धाम हैं, जो लोगों की अटूट आस्था के केन्द्र हैं. रामनगर का कश्यप परिवार सांपों को देवी देवताओं का रूप मानकर उनके संरक्षण के लिये पिछले लगभग 40 सालों से लगा हुआ है. साथ ही लोगों को सांपों को न मारने के लिए जागरुक भी करता है. वहीं कश्यप परिवार लोगों को सांप के काटने से भी बचा रहा है.

पढ़ें- देखते ही देखते बड़े सांप ने छोटे सांप को निगला, उत्तराखंड का ये Video हुआ वायरल

सर्प विशेषज्ञ चंद्रसेन कश्यप जब स्कूल में पढ़ते थे, उनके माता-पिता से सांपों के प्रति मिले भक्ति ज्ञान से उनके दिलो-दिमाग पर ऐसी छाप छोड़ी कि वो उनके संरक्षण में लग गए. क्षेत्र के जिन घरों में सांप घुस जाया करते हैं पता चलने पर वे स्वयं ही वहां पहुंच कर सांप को पकड़ते हैं.

सांप को पकड़ने के बाद वे अपने घर ले आते हैं और सांपों की सेवा करने के बाद उन्हें जंगल छोड़ आते हैं. यह सिलसिला वर्षों से जारी है. उम्र के साथ-साथ उनका तजुर्बा भी बढ़ गया है.

kashyap family rescue snakes
40 सालों से सांपों में रेस्क्यू में लगा कश्यप परिवार.

रामनगर की अधिकांश लोगों को चंद्रसेन का मोबाइल नंबर पता है. जब भी किसी के घर में सांप घुस जाता है, तुरंत चंदसेन को बुलाया जाता है. जिसके बाद मौके पर पहुंचकर वे सांप का रेस्क्यू करते हैं, फिर उसे जंगल में छोड़ आते हैं. इस कार्य में रामनगर वन विभाग, कॉर्बेट प्रशासन और तराई पश्चिमी वन प्रभाग भी इनकी मदद लेता है.

kashyap family rescue snakes
40 सालों से सांपों में रेस्क्यू में लगा कश्यप परिवार.

सरकारी अस्पताल के डॉक्टर भी यह जानकारी करने के लिए इन्हें बुलाते हैं कि मरीज को कितने जहरीले सांप ने काटा है. चंद्रसेन स्वयं भी सांप के काटे का इलाज करते हैं. वह अबतक कई लोगों की जान बचा चुके हैं.

उनके परिवार के सदस्यों को सांपों के साथ खेलने और उनके साथ रहने की आदत सी पड़ चुकी है. उनके तीनों बेटे सांप पकड़ने में अपने पिता की तरह माहिर हैं. हालांकि, कई बार चंद्रसेन और उनके पुत्र को सांप का रेस्क्यू करने में सांप ने काटा है परंतु इन्हें सर्पदंश के उपचार की जानकारी होने के चलते उनका जहर बेसर हो जाता है.

kashyap family rescue snakes
40 सालों से सांपों में रेस्क्यू में लगा कश्यप परिवार.

विरासत में मिले निस्वार्थ सेवाभाव और हुनर में उनके बच्चे भी निपुण हो चुके हैं. अपने पिता के सांपों के प्रति प्रेम भाव को देखते वे भी उनकी राह पर निकल पड़े हैं. साथ ही लोगों को जीव जंतुओं के संरक्षण के लिए प्रेरित कर रहे हैं.

Intro:summary- आम लोगों के लिए सांप सांप ही होता है चाहे वह ज़हरीला हो या फिर बिना ज़हर का, दोनों को देखने में मौत ही नजर आती है। इसलिए लोग इन्हें देखते ही अपनी जान की सुरक्षा के लिए मार देते हैं। लेकिन कश्यप परिवार इन्हें बचाने के लिए लोगों को जागरूक करता है, उनके विषय में बताता है किसी घर में सांप घुस जाते तो उन्हें पकड़ कर वन विभाग की मदद से घने जंगलों में छोड़ दिया जाता है। जिससे मनुष्यों और सांपों का जीवन सुरक्षित रहता है।

intro- सांपों की चर्चा होते ही शरीर में झुरझुरी होने लगती है। आंखों में सांप का अक्श घूमने लगता है। और यदि हकीकत में सांप कहीं दिख जाए तो या तो लोग उसको देख कर भाग जाते हैं। या फिर सांप को मार देते हैं। लेकिन उत्तराखंड के रामनगर में एक परिवार ऐसा भी है जो सांपों को देवी देवताओं का रूप मान कर उनके संरक्षक के पिछले लगभग 35 वर्ष से निस्वार्थ कार्य कर रहा है। सांपों को लोगों के द्वारा मारने से बचा रहा है।


Body:vo.- किसी व्यक्ति के घर में यदि सांप घुस जाए तो उसे देखते ही मार दिया जाता है। और वह स्वभाविक प्रक्रिया भी है। सांप के काटने से परिवार के किसी सदस्य की मौत ना हो जाए डर से लोग सांपों को मार देते हैं। लेकिन उत्तराखंड के रामनगर में एक परिवार ऐसा भी है। जो सांपों को देवी देवताओं का रूप मान कर पिछले 40 वर्षों से लोगों के हाथों मरने से इन्हें बचा रहा है। बल्कि सांप के काटने से लोगों को भी बचा रहा है। यह परिवार पिछले 40 वर्षों से निस्वार्थ सेवा भाव में लगा हुआ है। सर्प विशेषज्ञ चंद्र सेन कश्यप जब स्कूल में पढ़ते थे। उनके माता-पिता से सांपों के प्रति मिले भक्ति ज्ञान से उनके दिलो-दिमाग पर ऐसी छाप लगी कि वह सांपों का संरक्षण व्यक्तिगत रूप से करने मैं लग गए। जिन लोगों के घरों में सांप घुस जाया करते। उन्हें पता चलने पर वह स्वयं ही वहां पहुंच कर सांप को पकड़ के अपने घर ले आया करते और सांपों की सेवा करते उन्हें पालते और फिर जंगल में छोड़ आते। यह सिलसिला तब से लेकर आज तक जारी है। उम्र के साथ-साथ उनका तजुर्बा भी बहुत बढ़ गया है। रामनगर की अधिकांश जनता को चंद्रसेन का मोबाइल नंबर पता है। जब भी किसी के घर में सांप घुस जाता है। तुरंत चंदसेन को बुलाया जाता है। और फिर वह सांप को पकड़ कर वही करते हैं। जो अकसर करते आए हैं उन्हें जंगल में छोड़ देना। इस कार्य में रामनगर वन विभाग, कॉर्बेट प्रशासन और तराई पश्चिमी वन प्रभाग भी इनकी मदद लेता है। तथा सरकारी अस्पताल के डॉक्टर भी यह जानकारी करने के लिए इन्हें बुलाते हैं। कि मरीज को कितने जहरीले सांप ने काटा है। चंद्रसेन स्वयं भी सांप के काटे का इलाज करते हैं। वह अब तक सांप से काटे लोगों की कई जाने बचा चुके हैं। और हजारों की संख्या में सांपों को बचाकर जंगल में छोड़ चुके हैं। अब उनके परिवार के सदस्यों को सांपों के साथ खेलने और उनके साथ रहने की आदत सी पड़ चुकी है। उनके तीनों बेटे सांप पकड़ने में अपने पिता की तरह माहिर हो चुके हैं। किसी भी तरह का जहरीला सांप हो इनको उससे कोई डर नहीं लगता। हालांकि कई बार चंद्रसेन और उनके पुत्र को सांप का रेस्क्यू करने में सांप ने काटा है परंतु इन्हें सर्पदंश के उपचार की जानकारी होने के चलते उनका जहर बेसर कर देते हैं। जिससे इनकी जान सुरक्षित रहती है। चाहे वह किंग कोबरा, कोबरा, पदम या किसी भी प्रकार का जहरीला सांप हो यह बच्चे उन्हें पकड़ कर अपने वश में कर लेते है। विरासत में मिली निस्वार्थ सेवा भाव और हुनर में यह बच्चे अब माहिर हो चुके है।अपने पिता को सांपों के प्रति प्रेम भाव को देखते देखते यह भी उसी रास्ते पर चल चुके हैं और सांपों को भगवान का रूप मानकर इस को बचाने के लिए स्वयं को समप्रीत कर चुके हैं।
byte-1-अर्जुन कश्यप (चंद्रसेन का पुत्र)
byte-2- चंद्रसेन कश्यप (सर्प विशेषज्ञ)



Conclusion:fov.- अभी तक लोग वन्यजीवो की सुरक्षा की बात करते परंतु कश्यप परिवार एक ऐसा है। जो सांपों के संरक्षण की बात करता है वरन उन्हें बचाने के लिए अपना जीवन तक समप्रीत कर दिया है। जो कि किसी कल्पना से कम नहीं है।
Last Updated : Jul 22, 2019, 7:46 PM IST
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