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प्रवासी पक्षियों से गुलजार हुआ कोसी बैराज, यहां कर सकते हैं दीदार

कॉर्बेट लैंडस्केप के जलाशयों में साइबेरियन और तिब्बत से प्रवासी पक्षियों ने पहुंचना शुरू कर दिया है, जिसमें सुर्खाब, ब्लैक विंग्ड स्टिल्ट, ब्लैक स्टार्क, वाल कीपर, ग्रेट इंडियन बस्टर्ड समेत कई प्रजाति के पक्षी शामिल हैं.

migratory species of birds
प्रवासी पक्षी
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Published : Oct 28, 2020, 6:19 PM IST

Updated : Oct 28, 2020, 8:09 PM IST

रामनगरः शरद ऋतु के शुरू होते ही प्रवासी पक्षियों की आमद बढ़ने लगी है. रामनगर और कॉर्बेट पार्क की नदियां व जलाशय कई प्रजातियों के प्रवासी पक्षियों से गुलजार हो गए हैं. ये परिदें कई किलोमीटर की सफर तय कर यहां पहुंचे हैं जो यहां की नदियों की शोभा बढ़ा रहे हैं. जलाशयों में अठखेलियां करते परिंदों के दीदार के लिए पक्षी प्रेमी और सैलानियों का पहुंचना भी शुरू हो गया है.

प्रवासी पक्षियों से गुलजार हुआ कोसी बैराज.

दरअसल, सर्दियां शुरू होते ही कॉर्बेट लैंडस्केप के जलाशयों में साइबेरियन और तिब्बत से प्रवासी पक्षियों ने पहुंचना शुरू कर दिया है. कोसी, रामगंगा नदी समेत आसपास की नदियों और जलाशयों में प्रवासी पक्षियों ने डेरा जमा लिया है. कॉर्बेट लैंड स्केप में 550 से ज्यादा पक्षियों की प्रजातियां पाई जाती है, लेकिन सर्दियों में सुर्खाब, वाल कीपर, ब्लैक स्टार्क, पिनटेल, क्विंटल, कार्बोरेंच समेत तमाम प्रजाति के परिंदों के पहुंचने से कोसी, रामगंगा नदी, भोगपुर बौर, हरीपुरा जलाशय गुलजार हो गए हैं.

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कोसी बैराज में सुर्खाब पक्षी.

ये भी पढ़ेंः उत्तराखंड का पहला 'रामसर साइट' बना आसन कंजर्वेशन रिजर्व, पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा

बता दें कि प्रवासी पक्षी कॉर्बेट पार्क घूमने आने वाले बर्ड वाचर की पहली पसंद होते हैं. सुर्खाब यानी रेडी शैल का आकर्षण सबसे ज्यादा रहता है. विदेशी मेहमान भोजन व प्रजनन के लिए हजारों मील का सफर तय कर ठंडे प्रदेशों से पहुंचते हैं. इस समय कोसी नदी में कई मेहमान पक्षियों के कलरव से वातावरण गूंज रहा है. यहां 100 से ज्यादा संख्या में सुर्खाब के जोड़े कोसी नदी के जल में अठखेलियां करते हुए देखे जा सकते हैं.

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प्रवासी परिंदों की उड़ान.

पर्यटन से जुड़े कारोबारियों के लिए रोजी-रोटी के जरिया बनते हैं प्रवासी पक्षी
इसके अलावा ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के करीब 20 जोड़े, ब्लैक विंग्ड स्टिल्ट के लगभग 10 जोड़े पहुंचे हुए हैं. यह प्रवासी पक्षी यहां आने के साथ-साथ पर्यटन से जुड़े कारोबारियों के लिए रोजी-रोटी भी लेकर आते हैं. पर्यटकों की ख्वाहिश के अनुसार यहां के नेचर गाइड जलाशयों में इन परिंदों का दीदार कराकर अपनी जीविका चलाते हैं.

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कोसी बैराज में अठखेलियां करते परिंदे.

ये भी पढ़ेंः क्या कॉर्बेट टाइगर रिजर्व से विलुप्त हो गए बारहसिंगे ? पढ़िए ये रिपोर्ट

बता दें कि मार्च के अंतिम हफ्ते से परिंदे अपने घरों की ओर वापस लौटना शुरू कर देते हैं. कॉर्बेट नेशनल पार्क और इसके लैंडस्केप एरिया में वातावरण व इकोलॉजी इतनी अच्छी है कि सालों से ये प्रवासी पक्षी यहां आ रहे हैं, जिस वजह से पर्यटन से जुड़े लोगों की जीविका भी चल रही है.

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कॉर्बेट लैंडस्केप के जलाशयों में पक्षी.

प्रवासी परिदों की सुरक्षा वन महकमे की बड़ी जिम्मेदारी
जलाशयों में प्रवासी पक्षियों के आमद के साथ-साथ इनकी सुरक्षा की बड़ी जिम्मेदारी होती है, जिसे लेकर वन विभाग भी चिंतित है. फिलहाल, विभाग उनकी सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम की बात कर रहा है. प्रवासी पक्षियों की आमद पर्यटन से जुड़े कारोबारियों के लिए शुभ संकेत है, इससे रोजगार को बढ़ावा मिल रहा है. साथ ही पर्यटन और पक्षी प्रेमियों की संख्या में भी हर साल इजाफा हो रहा है.

इन मेहमान पक्षियों की सुरक्षा भी एक अहम मुद्दा है. इनकी सुरक्षा के लिए वन महकमे के अलावा स्थानीय जनता को भी इनकी निगरानी के लिए भागीदारी निभानी होगी, तभी ये प्रवासी परिंदे सुरक्षित रह सकेंगे और इनकी संख्या में बढ़ोत्तरी हो सकेगी.

रामनगरः शरद ऋतु के शुरू होते ही प्रवासी पक्षियों की आमद बढ़ने लगी है. रामनगर और कॉर्बेट पार्क की नदियां व जलाशय कई प्रजातियों के प्रवासी पक्षियों से गुलजार हो गए हैं. ये परिदें कई किलोमीटर की सफर तय कर यहां पहुंचे हैं जो यहां की नदियों की शोभा बढ़ा रहे हैं. जलाशयों में अठखेलियां करते परिंदों के दीदार के लिए पक्षी प्रेमी और सैलानियों का पहुंचना भी शुरू हो गया है.

प्रवासी पक्षियों से गुलजार हुआ कोसी बैराज.

दरअसल, सर्दियां शुरू होते ही कॉर्बेट लैंडस्केप के जलाशयों में साइबेरियन और तिब्बत से प्रवासी पक्षियों ने पहुंचना शुरू कर दिया है. कोसी, रामगंगा नदी समेत आसपास की नदियों और जलाशयों में प्रवासी पक्षियों ने डेरा जमा लिया है. कॉर्बेट लैंड स्केप में 550 से ज्यादा पक्षियों की प्रजातियां पाई जाती है, लेकिन सर्दियों में सुर्खाब, वाल कीपर, ब्लैक स्टार्क, पिनटेल, क्विंटल, कार्बोरेंच समेत तमाम प्रजाति के परिंदों के पहुंचने से कोसी, रामगंगा नदी, भोगपुर बौर, हरीपुरा जलाशय गुलजार हो गए हैं.

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कोसी बैराज में सुर्खाब पक्षी.

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बता दें कि प्रवासी पक्षी कॉर्बेट पार्क घूमने आने वाले बर्ड वाचर की पहली पसंद होते हैं. सुर्खाब यानी रेडी शैल का आकर्षण सबसे ज्यादा रहता है. विदेशी मेहमान भोजन व प्रजनन के लिए हजारों मील का सफर तय कर ठंडे प्रदेशों से पहुंचते हैं. इस समय कोसी नदी में कई मेहमान पक्षियों के कलरव से वातावरण गूंज रहा है. यहां 100 से ज्यादा संख्या में सुर्खाब के जोड़े कोसी नदी के जल में अठखेलियां करते हुए देखे जा सकते हैं.

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प्रवासी परिंदों की उड़ान.

पर्यटन से जुड़े कारोबारियों के लिए रोजी-रोटी के जरिया बनते हैं प्रवासी पक्षी
इसके अलावा ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के करीब 20 जोड़े, ब्लैक विंग्ड स्टिल्ट के लगभग 10 जोड़े पहुंचे हुए हैं. यह प्रवासी पक्षी यहां आने के साथ-साथ पर्यटन से जुड़े कारोबारियों के लिए रोजी-रोटी भी लेकर आते हैं. पर्यटकों की ख्वाहिश के अनुसार यहां के नेचर गाइड जलाशयों में इन परिंदों का दीदार कराकर अपनी जीविका चलाते हैं.

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कोसी बैराज में अठखेलियां करते परिंदे.

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बता दें कि मार्च के अंतिम हफ्ते से परिंदे अपने घरों की ओर वापस लौटना शुरू कर देते हैं. कॉर्बेट नेशनल पार्क और इसके लैंडस्केप एरिया में वातावरण व इकोलॉजी इतनी अच्छी है कि सालों से ये प्रवासी पक्षी यहां आ रहे हैं, जिस वजह से पर्यटन से जुड़े लोगों की जीविका भी चल रही है.

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कॉर्बेट लैंडस्केप के जलाशयों में पक्षी.

प्रवासी परिदों की सुरक्षा वन महकमे की बड़ी जिम्मेदारी
जलाशयों में प्रवासी पक्षियों के आमद के साथ-साथ इनकी सुरक्षा की बड़ी जिम्मेदारी होती है, जिसे लेकर वन विभाग भी चिंतित है. फिलहाल, विभाग उनकी सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम की बात कर रहा है. प्रवासी पक्षियों की आमद पर्यटन से जुड़े कारोबारियों के लिए शुभ संकेत है, इससे रोजगार को बढ़ावा मिल रहा है. साथ ही पर्यटन और पक्षी प्रेमियों की संख्या में भी हर साल इजाफा हो रहा है.

इन मेहमान पक्षियों की सुरक्षा भी एक अहम मुद्दा है. इनकी सुरक्षा के लिए वन महकमे के अलावा स्थानीय जनता को भी इनकी निगरानी के लिए भागीदारी निभानी होगी, तभी ये प्रवासी परिंदे सुरक्षित रह सकेंगे और इनकी संख्या में बढ़ोत्तरी हो सकेगी.

Last Updated : Oct 28, 2020, 8:09 PM IST
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