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10 सालों से सिस्टम से लड़ रहे दिव्यांग दंपति, बोले- आश्वासन से नहीं भरता पेट - Divyang Shankarlal news

दिव्यांग शंकरलाल अपनी नौकरी को लेकर बीते 10 सालों से सरकारी सिस्टम के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं. लेकिन आज तक उन्हें आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिला.

Higher education director MP Maheshwari news
दिव्यांग दंपति
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Published : Jan 24, 2020, 12:55 PM IST

हल्द्वानी: नगर के हल्दूचौड़ में रहने वाले दिव्यांग दंपति ने प्रदेश सरकार और सरकारी महकमों के आश्वासन के सहारे 10 साल गुजार दिए हैं. लेकिन आज तक उन्हें न्याय नहीं मिल पाया है. दिव्यांग दंपति पिछले 10 सालों से नौकरी को लड़ाई लड़ रहे हैं. लेकिन उनको आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिला.

सरकारी सिस्टम से परेशान दिव्यांग दंपति.

दिव्यांग शंकरलाल का कहना है कि वह पूर्व की कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के दौरान लाल बहादुर महाविद्यालय हल्दूचौड़ में चतुर्थ श्रेणी के पद पर कार्यरत थे. तब महाविद्यालय निजी संस्थाओं के हवाले था. तत्कालीन कांग्रेस सरकार और श्रम मंत्री हरीश चंद्र दुर्गापाल ने महाविद्यालय को सरकारी राजकीय महाविद्यालय घोषित कर दिया था. उस दौरान विद्यालय में कार्यरत सभी लोगों की नौकरी पक्की की गई. उनका आरोप है कि तत्कालीन श्रम मंत्री और स्थानीय विधायक हरीश चंद्र दुर्गापाल के कार्यकाल में औरों को तो नौकरी पर रखा गया लेकिन उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया गया. ऐसे में वे नौकरी पाने के लिए सरकार और सिस्टम से पिछले कई सालों से लड़ाई लड़ रहे हैं.

लेकिन उन्हें आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिला. यही नहीं शंकरलाल मांगों को लेकर कई बार धरने पर बैठ चुके हैं. लेकिन सिस्टम ने उनकी एक भी नहीं सुनी. वही शंकरलाल का कहना है कि सरकार दिव्यांगों के उत्थान की बात तो करती है, लेकिन दिव्यांगों की दी गई नौकरी भी षड्यंत्र के तहत छीन लेती है.

ये भी पढे़ं: मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र के ट्वीट से की गई छेड़छाड़, अज्ञात के खिलाफ मामला दर्ज

वहीं शंकरलाल का कहना है कि उन्हें इंसाफ तो नहीं मिल पाया, लेकिन अब वे दिव्यांगों की हक की लड़ाई लड़ेंगे. उन्होंने दिव्यांगों के हित के लिए एक संस्था भी बनाई है. जो दिव्यांगों के लिए लड़ाई लड़ेगी. उच्च शिक्षा निदेशक एमपी महेश्वरी का कहना कि इस मामले की जांच की जा रही है. जल्द ही गरीब पीड़ित दिव्यांग की मदद की जाएगी.

हल्द्वानी: नगर के हल्दूचौड़ में रहने वाले दिव्यांग दंपति ने प्रदेश सरकार और सरकारी महकमों के आश्वासन के सहारे 10 साल गुजार दिए हैं. लेकिन आज तक उन्हें न्याय नहीं मिल पाया है. दिव्यांग दंपति पिछले 10 सालों से नौकरी को लड़ाई लड़ रहे हैं. लेकिन उनको आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिला.

सरकारी सिस्टम से परेशान दिव्यांग दंपति.

दिव्यांग शंकरलाल का कहना है कि वह पूर्व की कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के दौरान लाल बहादुर महाविद्यालय हल्दूचौड़ में चतुर्थ श्रेणी के पद पर कार्यरत थे. तब महाविद्यालय निजी संस्थाओं के हवाले था. तत्कालीन कांग्रेस सरकार और श्रम मंत्री हरीश चंद्र दुर्गापाल ने महाविद्यालय को सरकारी राजकीय महाविद्यालय घोषित कर दिया था. उस दौरान विद्यालय में कार्यरत सभी लोगों की नौकरी पक्की की गई. उनका आरोप है कि तत्कालीन श्रम मंत्री और स्थानीय विधायक हरीश चंद्र दुर्गापाल के कार्यकाल में औरों को तो नौकरी पर रखा गया लेकिन उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया गया. ऐसे में वे नौकरी पाने के लिए सरकार और सिस्टम से पिछले कई सालों से लड़ाई लड़ रहे हैं.

लेकिन उन्हें आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिला. यही नहीं शंकरलाल मांगों को लेकर कई बार धरने पर बैठ चुके हैं. लेकिन सिस्टम ने उनकी एक भी नहीं सुनी. वही शंकरलाल का कहना है कि सरकार दिव्यांगों के उत्थान की बात तो करती है, लेकिन दिव्यांगों की दी गई नौकरी भी षड्यंत्र के तहत छीन लेती है.

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वहीं शंकरलाल का कहना है कि उन्हें इंसाफ तो नहीं मिल पाया, लेकिन अब वे दिव्यांगों की हक की लड़ाई लड़ेंगे. उन्होंने दिव्यांगों के हित के लिए एक संस्था भी बनाई है. जो दिव्यांगों के लिए लड़ाई लड़ेगी. उच्च शिक्षा निदेशक एमपी महेश्वरी का कहना कि इस मामले की जांच की जा रही है. जल्द ही गरीब पीड़ित दिव्यांग की मदद की जाएगी.

Intro:sammry- सरकारी सिस्टम से दिव्यांग परेशान।(ख़बर wrap से उठाये) एंकर- हल्द्वानी के हल्दूचौड़ के रहने वाले शंकरलाल और उनकी पत्नी हीरा देवी दोनों दिव्यांग है ।शंकरलाल और उनकी पत्नी हीरा देवी ने प्रदेश सरकार और सरकारी महकमों के आश्वासन के सहारे लगभग 10 साल गुजार दिए लेकिन शंकर लाल को अभी तक न्याय नहीं मिल पाया।


Body:दिव्यांग शंकरलाल का आरोप है कि वह तत्कालीन कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के दौरान लाल बहादुर महाविद्यालय हल्दूचौड़ में चतुर्थ श्रेणी के पद पर कार्यरत थे । तब महाविद्यालय निजी संस्थाओं के हवाले था। तत्कालीन कांग्रेस सरकार और श्रम मंत्री हरीश चंद्र दुर्गापाल ने महाविद्यालय को सरकारी राजकीय महाविद्यालय घोषित कर दिया गया। उस दौरान विद्यालय में कार्यरत सभी लोगों की नौकरी को पक्की की गई । लेकिन तत्कालीन श्रम मंत्री स्थानीय विधायक हरीश चंद्र दुर्गापाल ने षड्यंत्र के तहत उनको नौकरी से बाहर करा दिया। ऐसे में उन्होंने नौकरी पाने के लिए सरकार और सिस्टम से पिछले कई सालों से लडाई लड़ रहे हैं लेकिन उनको आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिल पा रहा है। यही नहीं शंकरलाल ने अपनी मांगों को लेकर कई बार धरने पर बैठे हैं लेकिन सिस्टम ने उनकी एक भी नहीं सुनी। वही शंकरलाल का कहना है कि सरकार दिव्यांगो की उत्थान की बात तो करती है लेकिन दिव्यांगों की दी गई नौकरी को भी षड्यंत्र के तहत तत्कालीन मंत्री द्वारा छीन ली गई। यही नहीं इसको लेकर अधिकारी से लेकर मंत्री तक चक्कर लगा रहे हैं लेकिन उनका कोई भी नहीं सुन रहा है। शंकरलाल का कहना है कि उनको इंसाफ तो नहीं मिल पाया मगर अब वह दिव्यांगों की हक की लड़ाई लड़ेंगे और दिव्यांगों के हित के लिए एक संस्था भी बनाया है जो दिव्यांगों के लिए लड़ाई लड़ेगी। बाइट- शंकरलाल दिव्यांग बाइट -हीरा देवी दिव्यांग वही लाल बहादुर शास्त्री महाविद्यालय हल्दुचौड़ में कार्यरत चतुर्थ श्रेणी दिव्यांग शंकरलाल को निकाले जाने पर उच्च शिक्षा निदेशक का कहना कि इस मामले की जांच की जा रही है जो भी वैधानिक कार्रवाई होगी गरीब पीड़ित दिव्यांग को मदद की जाएगी। बाइट -एमपी महेश्वरी निदेशक उच्च शिक्षा


Conclusion:दिव्यांगों को मुख्यधारा से जोड़ने और सरकार द्वारा चलाए जाने वाले अभियान सिर्फ हवा हवाई साबित होती नजर आ रही हैं ।ऐसे में पता नहीं प्रदेश सरकार में कितने शंकरलाल जैसे दिव्यांग दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं जो सरकार और सिस्टम से परेशान हैं।
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