हल्द्वानी: नगर के हल्दूचौड़ में रहने वाले दिव्यांग दंपति ने प्रदेश सरकार और सरकारी महकमों के आश्वासन के सहारे 10 साल गुजार दिए हैं. लेकिन आज तक उन्हें न्याय नहीं मिल पाया है. दिव्यांग दंपति पिछले 10 सालों से नौकरी को लड़ाई लड़ रहे हैं. लेकिन उनको आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिला.
दिव्यांग शंकरलाल का कहना है कि वह पूर्व की कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के दौरान लाल बहादुर महाविद्यालय हल्दूचौड़ में चतुर्थ श्रेणी के पद पर कार्यरत थे. तब महाविद्यालय निजी संस्थाओं के हवाले था. तत्कालीन कांग्रेस सरकार और श्रम मंत्री हरीश चंद्र दुर्गापाल ने महाविद्यालय को सरकारी राजकीय महाविद्यालय घोषित कर दिया था. उस दौरान विद्यालय में कार्यरत सभी लोगों की नौकरी पक्की की गई. उनका आरोप है कि तत्कालीन श्रम मंत्री और स्थानीय विधायक हरीश चंद्र दुर्गापाल के कार्यकाल में औरों को तो नौकरी पर रखा गया लेकिन उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया गया. ऐसे में वे नौकरी पाने के लिए सरकार और सिस्टम से पिछले कई सालों से लड़ाई लड़ रहे हैं.
लेकिन उन्हें आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिला. यही नहीं शंकरलाल मांगों को लेकर कई बार धरने पर बैठ चुके हैं. लेकिन सिस्टम ने उनकी एक भी नहीं सुनी. वही शंकरलाल का कहना है कि सरकार दिव्यांगों के उत्थान की बात तो करती है, लेकिन दिव्यांगों की दी गई नौकरी भी षड्यंत्र के तहत छीन लेती है.
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वहीं शंकरलाल का कहना है कि उन्हें इंसाफ तो नहीं मिल पाया, लेकिन अब वे दिव्यांगों की हक की लड़ाई लड़ेंगे. उन्होंने दिव्यांगों के हित के लिए एक संस्था भी बनाई है. जो दिव्यांगों के लिए लड़ाई लड़ेगी. उच्च शिक्षा निदेशक एमपी महेश्वरी का कहना कि इस मामले की जांच की जा रही है. जल्द ही गरीब पीड़ित दिव्यांग की मदद की जाएगी.