नैनीताल: विधानसभा चुनाव को लेकर उत्तराखंड में तैयारियां जोरों पर हैं. राजनीतिक दलों की तैयारियों और जनता के मूड को जानने के लिए ईटीवी भारत लगातार जनता के बीच पहुंच रहा है. इस बार ईटीवी भारत की टीम ने नैनीताल विधानसभा क्षेत्र में बीते सालों में हुये काम और विधायक संजीव के रिपोर्ट कार्ड के साथ ही आने वाले चुनावों को लेकर जनता की नब्ज टटोली. विधानसभा'WAR' के इस एपीसोड में हम बात करेंगे नैनीताल विधानसभा सीट की...
उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव राजनीतिक दृष्टि से नैनीताल में बेहद अहम होता है. साल 2017 के चुनाव में बीजेपी के टिकट पर संजीव आर्य यहां से विधायक बने. उन्होंने कांग्रेस की उम्मीदवार सरिता आर्य को दो हजार वोटों से शिकस्त दी थी. नैनीताल की जनता विधायक संजीव आर्य से कितनी खुश है और कितनी नाराज, यह जानने के लिए ईटीवी भारत ने स्थानीय लोगों से बात की. लोगों ने अपने दिल की बात ईटीवी भारत से साझा की. हालांकि, इस दौरान दौरान लोगों ने मिली जुली प्रतिक्रिया दी है.
नगर पालिका अध्यक्ष सचिन नेगी ने बताया कि संजीव आर्य ने पिछले 5 सालों में काफी अच्छा काम किया है. क्षेत्र में विकास कार्यों के लिए उनकी मांग पर सरकार ने 11 करोड़ का बजट भी जारी किया है. इसके लिए उन्होंने संजीव आर्य का आभार भी जताया है. वहीं, वार्ड नंबर 7 के सभासद पुष्कर बोरा ने कहा कि उन्होंने तो क्षेत्र में कई विकास कार्य करवाए हैं, लेकिन बीजेपी सरकार ने उनके क्षेत्र में कोई काम नहीं किया है.
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बीडी पांडे अस्पताल बना रेफर सेंटर: नैनीताल विधानसभा क्षेत्र के लोगों की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को लेकर काफी परेशानियां हैं. लोगों को बेहतर इलाज के लिए हल्द्वानी या अन्य जगहों का रुख करना पड़ता है. राजभवन वार्ड से सभासद निर्मला ने बताया कि सरकार की ओर से उनके क्षेत्र में कुछ नहीं किया गया. नैनीताल में स्थित एक मात्र बीडी पांडे अस्पताल रेफर सेंटर बनकर रह गया है. उन्होंने कहा कि वर्तमान में अस्पताल में एक भी ऐसे गायनिक डॉक्टर नहीं है, जो सर्जरी कर सके.
सड़कों की हालत खराब: स्थानीय निवासियों का कहना है कि 5 सालों में सड़कों की स्थिति पहले से ज्यादा खराब हुई है. बेतालघाट को नैनीताल से जोड़ने वाली मुख्य सड़क पर गड्ढे पड़े हुए हैं. इस संबंध में कई बार विधायक से बात की गई लेकिन विधायक ने ग्रामीणों की बातों को अनसुना कर दिया.
रोजगार और पलायन बड़ी समस्या: इसके अलावा क्षेत्र में रोजगार ना होने से क्षेत्र के युवाओं ने पलायन किया है. स्वास्थ्य सेवा बदहाल है. स्थानीय लोगों को अपना उपचार कराने के लिए हल्द्वानी व अन्य क्षेत्रों की तरफ जाना पड़ता है. ऐसे में कई बार लोगों की रास्ते में मौत तक हो गई. विधायक के द्वारा धरातल पर नाम मात्र के काम किए गए हैं.
बलियानाला का मुद्दा 5 साल बाद भी बरकार: ग्रामीण क्षेत्रों के साथ ही नैनीताल शहर की जनता भी विधायक के कार्य से खुश नहीं है. लोगों का कहना है कि नैनीताल में कोई विशेष कार्य नहीं हुए हैं. साल 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले विधायक संजीव आर्य ने नैनीताल की बुनियाद कहे जाने वाले बलियानाला क्षेत्र में हो रहे भूस्खलन को रोकने के लिए स्थाई कार्य करने का आश्वासन दिया था, लेकिन 5 साल बीत जाने के बावजूद भी बलिया नाला क्षेत्र में कोई कार्य नहीं हुआ है. सड़कें टूट चुकीं है. कई लोगों को विस्थापित किया गया है, जिससे क्षेत्रीय जनता में विधायक के प्रति आक्रोश है.
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दूर नहीं हुई कृष्णापुर क्षेत्र की बदहाली: कृष्णापुर क्षेत्र के सभासद कैलाश रौतेला बताते हैं कि 5 साल में उनके क्षेत्र की बदहाली दूर नहीं हुई. उनका वार्ड शहर से एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, जहां पर लोग अपनी मोटर साइकिल तक लेकर नहीं जा सकते. अगर किसी को अपने घर वाहन लेकर जाना होता है, तो उन्हें नैनीताल से 19 किलोमीटर की दूरी तय कर अपने घरों तक आना होता है. अगर ऐसे में कभी कोई मरीज बीमार हो रहा है तो उसे अस्पताल लाने में क्षेत्रीय जनता को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
नैनीताल विधानसभा सीट की स्थिति: नैनीताल विधानसभा सीट का अधिकांश हिस्सा ग्रामीण क्षेत्र के अंतर्गत आता है. नैनीताल विधानसभा सीट का सबसे बड़ा भू-भाग बेतालघाट, खैरना और गरमपानी का है. यह क्षेत्र अनुसूचित जाति बाहुल्य क्षेत्र है. क्षेत्र में विधानसभा सीट की 30% अनुसूचित जनजाति के लोग निवास करते हैं, जहां हर बार चुनाव के दौरान राजनीतिक पार्टियां या निर्दलीय उम्मीदवार अपना पूरा ध्यान केंद्रित करते हैं. नैनीताल विधानसभा क्षेत्र में करीब 1 लाख 7 हजार 165 वोटर मतदान करेंगे, जिसमें से 56 हजार 927 पुरुष और 50 हजार 238 महिलाएं शामिल हैं.
बेतालघाट क्षेत्र को पूर्व कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य का गढ़ माना जाता है. हालांकि, 2017 के विधानसभा चुनाव में भी संजीव आर्य को इस क्षेत्र से बंपर वोट मिले थे. साल 2017 के विधानसभा चुनाव में संजीव आर्य ने सरिता आर्य को हराया था. सरिता 2012 से 2017 तक नैनीताल से विधायक रहने के अलावा महिला प्रदेश कांग्रेस की अध्यक्ष भी रह चुकी हैं. हाल ही में यशपाल आर्य और उनके बेटे संजीव आर्य कांग्रेस में शामिल हो गए, जिससे स्थानीय जनता में काफी रोष देखने को मिल रहा है.