नैनीताल: जिले के देवीपुरा गांव का उल्लेख कुमाऊं के इतिहास में अपनी अलग पहचान रखता है. यहां कुमाऊं के चंद्रवंशी राजा रह चुके देवीचंद ने 1720-1726 में अपनी शीतकालीन राजधानी बनाई थी. इसके बाद उन्होंने यहां पर कोट काली मंदिर की स्थापना करवाई थी. जानकारी के अनुसार इसके बाद देवीपुरा में ही राजा देवीचंद के अंगरक्षकों ने गला दबाकर उनकी हत्या कर दी थी.
बता दें कि कालाढूंगी कोटाबाग के पर्वतीय आंचल में बसा देवीपुरा गांव कुमाऊं के इतिहास को दर्शाता है. यहां पर बना कोट काली मंदिर जो कि दक्षिण मुखी मंदिर है और जो अपने आप में एक रोचक कहानी बयां करता है. हिन्दू सभ्यता के अनुसार मंदिरों का निर्माण दक्षिण दिशा की ओर नहीं कराया जाता है. फिर भी यह मंदिर दक्षिण दिशा में होने के बावजूद सुप्रसिद्ध व एतिहासिक मंदिर है.
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कोट काली मंदिर का दक्षिण मुखी होने के साथ ही मंदिर के सामने सिमलघाट शमशान घाट बना हुआ है. बताया जाता है कि श्मसान घाट में जब भी कोई दाह संस्कार होता तो, मंदिर के कपाट अपने आप बंद हो जाते थे. वहीं, वर्तमान में भी ग्रामीणों ने बताया कि आज के समय में भी जब किसी का दाह संस्कार होता है, तो मंदिर में कुछ न कुछ हलचल जरूर होती है.
वैसे तो इस मंदिर में दर्शन और आराधना के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं, लेकिन नवरात्रि के पर्व पर कोटकाली मंदिर में विशेष पूजा अर्चना की जाती है. कोटकाली मंदिर देवीपुरा को देवी के शक्तिपीठ के रूप में पूजा जाता है. यह मंदिर देवीपुरा का उल्लेख नव दुर्गा के नौ स्वरूपों में भी अंकित है. बताते चलें कि कुमाऊं के सुप्रसिद्ध लेखक बीडी पांडेय की लिखी हुई पुस्तक कुमाऊं के इतिहास में कोटकाली मंदिर देवीपुरा का नाम दर्ज है.
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जानकारी देते हुए सामाजिक कार्यकर्ता ध्यान सिंह नेगी ने बताया कि कोटकाली मंदिर आस्था का केंद्र है. वहीं, इस मंदिर का दक्षिण मुखी होना अपने आप में काफी रोचक और अपवाद के रूप में देखा जाता है. यहां मां कोटकाली अपने भक्तों की हर मुराद पूरी करती हैं.