ETV Bharat / state

देवीपुरा में स्थित है दक्षिण मुखी कोटकाली मंदिर, नवरात्रि के पर्व पर होती है विशेष पूजा - कोट काली मंदिर की महिमा

नवरात्रि के पर्व पर वैसे तो मां के हर मंदिरों में भक्तों का जमावड़ा रहता है, लेकिन नैनीताल में बसे इस कोट काली मंदिर की महिमा अपने में कुछ अगल है. आइए जानते हैं कि आखिर क्या है इस मंदिर की खासियत..

देवीपूरा का ऐतिहासिक कोटकाली मंदिर.
author img

By

Published : Oct 4, 2019, 3:47 PM IST

नैनीताल: जिले के देवीपुरा गांव का उल्लेख कुमाऊं के इतिहास में अपनी अलग पहचान रखता है. यहां कुमाऊं के चंद्रवंशी राजा रह चुके देवीचंद ने 1720-1726 में अपनी शीतकालीन राजधानी बनाई थी. इसके बाद उन्होंने यहां पर कोट काली मंदिर की स्थापना करवाई थी. जानकारी के अनुसार इसके बाद देवीपुरा में ही राजा देवीचंद के अंगरक्षकों ने गला दबाकर उनकी हत्या कर दी थी.

बता दें कि कालाढूंगी कोटाबाग के पर्वतीय आंचल में बसा देवीपुरा गांव कुमाऊं के इतिहास को दर्शाता है. यहां पर बना कोट काली मंदिर जो कि दक्षिण मुखी मंदिर है और जो अपने आप में एक रोचक कहानी बयां करता है. हिन्दू सभ्यता के अनुसार मंदिरों का निर्माण दक्षिण दिशा की ओर नहीं कराया जाता है. फिर भी यह मंदिर दक्षिण दिशा में होने के बावजूद सुप्रसिद्ध व एतिहासिक मंदिर है.

देवीपुरा का ऐतिहासिक कोटकाली मंदिर.

यह भी पढ़ें: सीएम त्रिवेंद्र ने लॉन्च किया 'काला जोड़ा' एल्बम, एल्बम में दिखी उत्तराखंड की झलक

कोट काली मंदिर का दक्षिण मुखी होने के साथ ही मंदिर के सामने सिमलघाट शमशान घाट बना हुआ है. बताया जाता है कि श्मसान घाट में जब भी कोई दाह संस्कार होता तो, मंदिर के कपाट अपने आप बंद हो जाते थे. वहीं, वर्तमान में भी ग्रामीणों ने बताया कि आज के समय में भी जब किसी का दाह संस्कार होता है, तो मंदिर में कुछ न कुछ हलचल जरूर होती है.

वैसे तो इस मंदिर में दर्शन और आराधना के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं, लेकिन नवरात्रि के पर्व पर कोटकाली मंदिर में विशेष पूजा अर्चना की जाती है. कोटकाली मंदिर देवीपुरा को देवी के शक्तिपीठ के रूप में पूजा जाता है. यह मंदिर देवीपुरा का उल्लेख नव दुर्गा के नौ स्वरूपों में भी अंकित है. बताते चलें कि कुमाऊं के सुप्रसिद्ध लेखक बीडी पांडेय की लिखी हुई पुस्तक कुमाऊं के इतिहास में कोटकाली मंदिर देवीपुरा का नाम दर्ज है.

यह भी पढ़ें: कपड़े की दुकान में दिखा सांप, वन विभाग के फूले हाथ पांव

जानकारी देते हुए सामाजिक कार्यकर्ता ध्यान सिंह नेगी ने बताया कि कोटकाली मंदिर आस्था का केंद्र है. वहीं, इस मंदिर का दक्षिण मुखी होना अपने आप में काफी रोचक और अपवाद के रूप में देखा जाता है. यहां मां कोटकाली अपने भक्तों की हर मुराद पूरी करती हैं.

नैनीताल: जिले के देवीपुरा गांव का उल्लेख कुमाऊं के इतिहास में अपनी अलग पहचान रखता है. यहां कुमाऊं के चंद्रवंशी राजा रह चुके देवीचंद ने 1720-1726 में अपनी शीतकालीन राजधानी बनाई थी. इसके बाद उन्होंने यहां पर कोट काली मंदिर की स्थापना करवाई थी. जानकारी के अनुसार इसके बाद देवीपुरा में ही राजा देवीचंद के अंगरक्षकों ने गला दबाकर उनकी हत्या कर दी थी.

बता दें कि कालाढूंगी कोटाबाग के पर्वतीय आंचल में बसा देवीपुरा गांव कुमाऊं के इतिहास को दर्शाता है. यहां पर बना कोट काली मंदिर जो कि दक्षिण मुखी मंदिर है और जो अपने आप में एक रोचक कहानी बयां करता है. हिन्दू सभ्यता के अनुसार मंदिरों का निर्माण दक्षिण दिशा की ओर नहीं कराया जाता है. फिर भी यह मंदिर दक्षिण दिशा में होने के बावजूद सुप्रसिद्ध व एतिहासिक मंदिर है.

देवीपुरा का ऐतिहासिक कोटकाली मंदिर.

यह भी पढ़ें: सीएम त्रिवेंद्र ने लॉन्च किया 'काला जोड़ा' एल्बम, एल्बम में दिखी उत्तराखंड की झलक

कोट काली मंदिर का दक्षिण मुखी होने के साथ ही मंदिर के सामने सिमलघाट शमशान घाट बना हुआ है. बताया जाता है कि श्मसान घाट में जब भी कोई दाह संस्कार होता तो, मंदिर के कपाट अपने आप बंद हो जाते थे. वहीं, वर्तमान में भी ग्रामीणों ने बताया कि आज के समय में भी जब किसी का दाह संस्कार होता है, तो मंदिर में कुछ न कुछ हलचल जरूर होती है.

वैसे तो इस मंदिर में दर्शन और आराधना के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं, लेकिन नवरात्रि के पर्व पर कोटकाली मंदिर में विशेष पूजा अर्चना की जाती है. कोटकाली मंदिर देवीपुरा को देवी के शक्तिपीठ के रूप में पूजा जाता है. यह मंदिर देवीपुरा का उल्लेख नव दुर्गा के नौ स्वरूपों में भी अंकित है. बताते चलें कि कुमाऊं के सुप्रसिद्ध लेखक बीडी पांडेय की लिखी हुई पुस्तक कुमाऊं के इतिहास में कोटकाली मंदिर देवीपुरा का नाम दर्ज है.

यह भी पढ़ें: कपड़े की दुकान में दिखा सांप, वन विभाग के फूले हाथ पांव

जानकारी देते हुए सामाजिक कार्यकर्ता ध्यान सिंह नेगी ने बताया कि कोटकाली मंदिर आस्था का केंद्र है. वहीं, इस मंदिर का दक्षिण मुखी होना अपने आप में काफी रोचक और अपवाद के रूप में देखा जाता है. यहां मां कोटकाली अपने भक्तों की हर मुराद पूरी करती हैं.

Intro:जनपद नैनीताल के नैनीताल विधानसभा मैं देवीपूरा गांव का उल्लेख कुमाऊँ के इतिहास मैं अपनी अलग पहचान रखता है जहाँ कुमाऊँ के चंद्रवंशी राजा देवीचंद ने (1720-1726) मैं अपनी शीतकालीन राजधानी बनाई और कोट काली मंदिर की स्थापना करवाई। राजा देवीचंद की मृत्यु भी देवीपुरा मैं हुई, जहाँ उनके अंगरक्षकों ने उनका गला दबाकर हत्या कर दी थी।Body:कालाढुंगी कोटाबाग के पर्वतीय आँचल मैं बसा देवीपुरा गांव कुमाऊं के इतिहास मैं एक अलग पहचान रखता है। कुमाऊँ के चंद्रवंशी राजा देवीचंद ने 1720 मैं कोटाबाग के देवीपुरा मैं शीतकालीन राजधानी बनाई जहाँ उन्होंने कोट काली मंदिर की स्थापना करवाई जो दक्षिण मुखी मंदिर जो अपने आप मैं एक रोचक कहानी बयां करती है, हिन्दू सभ्यता के अनुसार हिन्दू मंदिरों का निर्माण दक्षिण दिशा की ओर नहीं कराया जाता है। कोट काली मंदिर का दक्षिण मुखी होने के साथ मंदिर के सामने सिमलघाट शमशान घाट है और बताया जाता है कि शमशान घाट मैं जब भी कोई दाह संस्कार होता तो मंदिर के कपाट अपने आप खुल जाते थे और वर्तमान मैं भी ग्रामीणों ने बताया कि आज भी जब दाह संस्कार होता है तो मंदिर मैं कुछ न कुछ हलचल अवश्य होती है। वैसे तो मंदिर मैं दर्शन के लिए दूर दूर से श्रद्धालु आते है पर नवरात्रियों मैं कोटकाली मंदिर मैं विशेष पूजा अर्चना की जाती है। कोटकाली मंदिर देवीपुरा को देवी के शक्तिपीठ के रूप मैं पूजा जाता है।
कोट काली मंदिर देवीपुरा का उल्लेख नव दुर्गा के नौ स्वरूपों मैं भी अंकित है। कुमाऊँ के सुप्रसिद्ध लेखक बी डी पांडेय द्वारा लिखी गयी पुस्तक ( कुमाऊँ का इतिहास) मैं कोटकाली मंदिर देवीपुरा का नाम दर्ज है।Conclusion:सामाजिक कार्यकर्ता ध्यान सिंह नेगी नेगी ने बताया कि कोटकाली मंदिर आस्था का केंद्र है और मंदिर का दक्षिण मुखी होना अपने आप मैं रोचक और अपवाद के रूप मैं देखा जाता है और माँ कोटकाली भक्तो की हर मुराद पूरी करती है।

विकास खंड कोटाबाग के उप शिक्षा अधिकारी ने बताया कुमाऊँ के सुप्रसिद्ध लेखक बी डी पांडेय जी द्वारा लिखी पुस्तक मैं कोटकाली मंदिर का उल्लेख है जो अपने आप मैं इसकी सत्यता की पुष्टि करता है।
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.