हल्द्वानी: देश में असंगठित क्षेत्र के दिहाड़ी मजदूरी में काम करने वाले श्रमिकों के लिए केंद्र सरकार ने ई-श्रम पोर्टल के माध्यम से जोड़ने का काम किया है, जिससे कि श्रमिकों को सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं का लाभ मिलेगा. साथ ही श्रमिकों को सशक्त एवं आत्मनिर्भर बनाया जा सके.
बता दें, उत्तराखंड से 32 लाख मजदूरों कोई ई-श्रम पोर्टल से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है. हालांकि, प्रचार प्रसार और जागरूकता के साथ-साथ सीएससी सेंटर की तकनीकी दिक्कतों के चलते मजदूर अपना पंजीकरण नहीं करा पा रहे हैं. ऐसे में इस योजना के तहत दिसंबर माह तक श्रमिकों को जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है लेकिन दो महीने में मात्र 1 लाख 44 हजार मजदूरों का ही पंजीकरण हो पाया है, जो लक्ष्य से काफी दूर है. ऐसे में श्रमिकों के पंजीकरण के धीमी रफ्तार के चलते बहुत श्रमिक इस योजना से वंचित हो सकते हैं.
उत्तराखंड के श्रम आयुक्त संजय खेतवाल ने बताया कि भारत सरकार के ई-श्रम पोर्टल के माध्यम से उत्तराखंड के 32 असंगठित क्षेत्रों के मजदूरों को पंजीकरण किया जाना है, जिसके माध्यम से इन श्रमिकों का नेशनल डेटाबेस तैयार किया जाना है. योजना की शुरुआत 26 अगस्त को की गई थी, लेकिन पिछले 2 महीनों में मात्र 1 लाख 44 हजार मजदूर ही पंजीकृत हो पाए हैं.
रजिस्ट्रेशन की रफ्तार धीमी: उन्होंने बताया कि रजिस्ट्रेशन की रफ्तार धीमी चल रही है, जिसका मुख्य कारण श्रमिकों में जागरूकता नहीं होने के साथ-साथ सीएससी सेंटर की तकनीकी दिक्कत भी सामने आ रही हैं. उन्होंने बताया कि रोजाना करीब 40 हजार मजदूर सीएससी सेंटर पर पंजीकरण के लिए पहुंच रहे हैं, लेकिन उनमें से 10 हजार श्रमिकों का भी पंजीकरण नहीं हो पा रहा है.
शासन को कराया गया अवगत: उन्होंने बताया कि सीएससी सेंटर की तकनीकी दिक्कत एवं प्रचार-प्रसार को बढ़ाने के लिए शासन स्तर से बात चल रही है. सीएससी सेंटर में आने वाली तकनीकी दिक्कत को केंद्र सरकार को भी अवगत कराया गया है. तकनीकी दिक्कत खत्म होने के बाद पंजीकरण की रफ्तार बढ़ने की उम्मीद है.
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ई-श्रम पोर्टल का लाभ: ई-श्रम पोर्टल के माध्यम से दिहाड़ी मजदूरों, रेहड़ी पटरी वालों के साथ-साथ घरेलू कामगारों, मनरेगा, मछुआरों का डेटाबेस तैयार किया जाना है, जिससे कि केंद्र सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ इन मजदूरों को मिल सके.
जागरूकता की कमी: सरकार द्वारा इन मजदूरों को पोर्टल के माध्यम से पंजीकरण करने का काम तो चल रहा है लेकिन मजदूरों में जागरूकता नहीं होना और सीएससी सेंटर कहीं न कहीं मजदूरों के लिए बाधा बन रहे हैं. ऐसे में उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए कि जन जागरूकता कार्यक्रम चलाकर ज्यादा से ज्यादा मजदूरों को इस बारे में जानकारी दी जाए, जिससे कि मजदूर सरकार की योजनाओं का लाभ उठा सकें.