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राजेश सूरी हत्याकांडः SIT ने कोर्ट से मांगा समय, 14 फरवरी तक पेश करनी होगी प्रोग्रेस रिपोर्ट

अधिवक्ता राजेश सूरी हत्याकांड मामले में एसआईटी टीम की सदस्य विशाखा अशोक वीसी के जरिए नैनीताल हाईकोर्ट में पेश हुईं. जहां उन्होंने होईकोर्ट से जांच के लिए और समय मांगा है.

nainital high court
अधिवक्ता राजेश सूरी हत्याकांड मामले में सुनवाई
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Published : Jan 14, 2022, 6:26 PM IST

नैनीतालः उत्तराखंड हाईकोर्ट ने अधिवक्ता राजेश सूरी की हत्या के मामले पर सुनवाई की. सुनवाई के दौरान एसआईटी टीम की सदस्य विशाखा अशोक कोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश हुईं. उन्होंने मामले की जांच करने के लिए कोर्ट से समय मांगा, साथ में कोर्ट को ये भी बताया कि जिलाधिकारी ने मामले की जांच के लिए एक टीम गठित कर दी है. मामले की सुनवाई कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश संजय कुमार मिश्रा व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की स्पेशल बेंच ने की.

सुनवाई के दौरान नैनीताल हाईकोर्ट ने एसआईटी को निर्देश दिए हैं कि 14 फरवरी तक जांच की प्रगति रिपोर्ट पेश करें. साथ ही याचिकर्ताओं की सुरक्षा का जायजा भी लें और देखें कि उनकी सुरक्षा में किसी तरह की कमी न हो.

क्या है मामला: देहरादून निवासी अधिवक्ता राजेश सूरी की बहन रीता सूरी व राज कुमार सूरी ने याचिका दायर कर कहा है कि अधिवक्ता राजेश सूरी की हत्या 30 नवंबर 2014 को हुई थी, जब राजेश सूरी नैनीताल हाईकोर्ट से घोटालों से संबंधित केसों की पैरवी कर ट्रेन से देहरादून वापस लौट रहे थे. तब उनको जहर देकर ट्रेन में ही मार दिया था. राजेश की सभी महत्वपूर्ण फाइलें ट्रेन से ही गायब हो गई थीं और केवल कपड़ों से भरा बैग मिला था. इसके बाद एसआईटी ने इस मामले की दो बार जांच की, लेकिन जांच पूरी नहीं हुई. याचिका में आरोप लगाया गया था कि पुलिस पूरे मामले में भू-माफियाओं के साथ मिली हुई है.

ये भी पढ़ेंः राजेश सूरी हत्याकांड में हाईकोर्ट का आदेश, दो माह में करें मामले को निस्तारित

राजेश की बहन रीता सूरी का यह भी कहना है कि देहरादून के कई भ्रष्टाचार के मामलों में राजेश ने घोटाले उजागर किए थे, जिसमें से एक देहरादून बलवीर रोड पर जज क्वार्टर घोटाला है, जिसमें भगीरथ कॉलोनी बनी है, उसके फर्जी कागज बनाकर बेच दिया गया था. जिसपर साल 2003 में तत्कालीन जिलाधिकारी राधा रतूड़ी ने संपत्ति को फर्जी पाते हुए कुर्क करने के आदेश देने के साथ ही किसी भी तरह के निर्माण पर रोक लगा दी थी. राजेश सूरी द्वारा 20 करोड़ रुपये स्टाम्प घोटाले के मामले को भी उजगार किया था.

ये भी पढ़ेंः राजेश सूरी केस में पुलिस की दूसरी FR भी निरस्त, विस्तृत जांच के आदेश

रीता सूरी का कहना है कि अभी तक वो 7000 हजार बीघा जमीन अंगेलिया हाउस की भूमि को राज्य हित में करा चुकी हैं, जिसके कारण भूमाफिया उनके पीछे पड़े हुए हैं. इससे पहले 30 दिसंबर को हुई सुनवाई में जज क्वार्टर घोटाले के मामले की जांच नहीं किए जाने को लेकर हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा था कि एसआईटी की दूसरी जांच की स्थिति क्या है और अगर जांच में कोई कार्रवाई नहीं हुई है तो अगली तारीख में जांच सीबीआई को दे दी जाएगी. कोर्ट ने याचिकाकर्ता की सुरक्षा को बढ़ाने को निर्देश भी दिए थे.

नैनीतालः उत्तराखंड हाईकोर्ट ने अधिवक्ता राजेश सूरी की हत्या के मामले पर सुनवाई की. सुनवाई के दौरान एसआईटी टीम की सदस्य विशाखा अशोक कोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश हुईं. उन्होंने मामले की जांच करने के लिए कोर्ट से समय मांगा, साथ में कोर्ट को ये भी बताया कि जिलाधिकारी ने मामले की जांच के लिए एक टीम गठित कर दी है. मामले की सुनवाई कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश संजय कुमार मिश्रा व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की स्पेशल बेंच ने की.

सुनवाई के दौरान नैनीताल हाईकोर्ट ने एसआईटी को निर्देश दिए हैं कि 14 फरवरी तक जांच की प्रगति रिपोर्ट पेश करें. साथ ही याचिकर्ताओं की सुरक्षा का जायजा भी लें और देखें कि उनकी सुरक्षा में किसी तरह की कमी न हो.

क्या है मामला: देहरादून निवासी अधिवक्ता राजेश सूरी की बहन रीता सूरी व राज कुमार सूरी ने याचिका दायर कर कहा है कि अधिवक्ता राजेश सूरी की हत्या 30 नवंबर 2014 को हुई थी, जब राजेश सूरी नैनीताल हाईकोर्ट से घोटालों से संबंधित केसों की पैरवी कर ट्रेन से देहरादून वापस लौट रहे थे. तब उनको जहर देकर ट्रेन में ही मार दिया था. राजेश की सभी महत्वपूर्ण फाइलें ट्रेन से ही गायब हो गई थीं और केवल कपड़ों से भरा बैग मिला था. इसके बाद एसआईटी ने इस मामले की दो बार जांच की, लेकिन जांच पूरी नहीं हुई. याचिका में आरोप लगाया गया था कि पुलिस पूरे मामले में भू-माफियाओं के साथ मिली हुई है.

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राजेश की बहन रीता सूरी का यह भी कहना है कि देहरादून के कई भ्रष्टाचार के मामलों में राजेश ने घोटाले उजागर किए थे, जिसमें से एक देहरादून बलवीर रोड पर जज क्वार्टर घोटाला है, जिसमें भगीरथ कॉलोनी बनी है, उसके फर्जी कागज बनाकर बेच दिया गया था. जिसपर साल 2003 में तत्कालीन जिलाधिकारी राधा रतूड़ी ने संपत्ति को फर्जी पाते हुए कुर्क करने के आदेश देने के साथ ही किसी भी तरह के निर्माण पर रोक लगा दी थी. राजेश सूरी द्वारा 20 करोड़ रुपये स्टाम्प घोटाले के मामले को भी उजगार किया था.

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रीता सूरी का कहना है कि अभी तक वो 7000 हजार बीघा जमीन अंगेलिया हाउस की भूमि को राज्य हित में करा चुकी हैं, जिसके कारण भूमाफिया उनके पीछे पड़े हुए हैं. इससे पहले 30 दिसंबर को हुई सुनवाई में जज क्वार्टर घोटाले के मामले की जांच नहीं किए जाने को लेकर हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा था कि एसआईटी की दूसरी जांच की स्थिति क्या है और अगर जांच में कोई कार्रवाई नहीं हुई है तो अगली तारीख में जांच सीबीआई को दे दी जाएगी. कोर्ट ने याचिकाकर्ता की सुरक्षा को बढ़ाने को निर्देश भी दिए थे.

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