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रामनगर: बेसहारा गायों की प्रमुख आश्रय स्थली बनी कामधेनु गोविंद गोधन गौशाला

रामनगर में कामधेनु गोविंद गोधन सेवा समिति गौशाल मिसाल बन चुकी है. जिसमें अपंग, बुजुर्ग, बीमार गौधन का संरक्षण किया जा रहा है. समिति के अध्यक्ष ने कहा कि यहां पर लोग गौ माता को दान के रूप में भूसा व चारा भी बड़ी मात्रा में देते हैं.

ramnagar
गोविंद गोधन सेवा समिति
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Published : Apr 21, 2020, 9:31 PM IST

रामनगर: शहर के पुछड़ी गांव में गौधन संरक्षण एवं संवर्धन के लिए कामधेनु गोविंद गोधन सेवा समिति गौशाला एक मिसाल बन चुका है. रामनगर शहर से करीबन 2 किलोमीटर दूर स्थित पुछड़ी गांव में श्री कामधेनु गोविंद सेवा समिति गौशाला का यह नजारा मन को प्रफुल्लित कर देता है. समिति के अध्यक्ष बताते है कि पहाड़ों से कई गायों को लोग शहरों की ओर छोड़ देते है. साथ ही उन कई सैकड़ों गायों को यहां आसरा देते हुए आवारा व बेसहारा गायों की प्रमुख आश्रय स्थली बन चुकी है.

बता दें कि गौ संरक्षण के लिए कामधेनु गोविंद सेवा समिति गौशाला पिछले कई सालों से कार्यरत है. समिति के अध्यक्ष भगीरथ लाल चौधरी ने बताया कि इस गौशाला का निर्माण 10 साल पहले गायों के संरक्षण के लिए करवाया था. प्रारंभ में कामधेनु गोविंद सेवा समिति गौशाला छोटे रूप में गौधन की सेवा के लिए गौशाला प्रारंभ की गई, लेकिन धीरे-धीरे गौशाला का रूप ही बदल चुका है. तन, मन व धन से कार्यों में जुटी गौशाला प्रबंधन कमेटी निरंतर अपने गायों के संरक्षण में जुटी नजर आ रही है.

बेसहारा गायों की प्रमुख आश्रय स्थली.

पढ़ें: पूर्व सैनिकों ने मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा कराए लाखों रुपए

समिति के अध्यक्ष बताते हैं कि ये गोशाला आज सैकड़ों की संख्या में हर तरह के गौधन की सेवा करती है. इस गौशाला में गायों की सुविधा के लिए चारे, पानी व छाया की व्यवस्था की गई है. इतना ही नहीं गौशाला परिसर में अलग अलग बाड़े बनाए गए है. जिसमें अपंग, बुजुर्ग, बीमार गौधन का संरक्षण किया जा रहा है. समिति के अध्यक्ष ने कहा कि यहां पर लोग गौ माता को दान के रूप में भूसा व चारा भी बड़ी मात्रा में देते हैं. जिससे लोग गौ माता की सेवा कर कही न नहीं पुण्य के भागीदार भी बन जाते हैं.

रामनगर: शहर के पुछड़ी गांव में गौधन संरक्षण एवं संवर्धन के लिए कामधेनु गोविंद गोधन सेवा समिति गौशाला एक मिसाल बन चुका है. रामनगर शहर से करीबन 2 किलोमीटर दूर स्थित पुछड़ी गांव में श्री कामधेनु गोविंद सेवा समिति गौशाला का यह नजारा मन को प्रफुल्लित कर देता है. समिति के अध्यक्ष बताते है कि पहाड़ों से कई गायों को लोग शहरों की ओर छोड़ देते है. साथ ही उन कई सैकड़ों गायों को यहां आसरा देते हुए आवारा व बेसहारा गायों की प्रमुख आश्रय स्थली बन चुकी है.

बता दें कि गौ संरक्षण के लिए कामधेनु गोविंद सेवा समिति गौशाला पिछले कई सालों से कार्यरत है. समिति के अध्यक्ष भगीरथ लाल चौधरी ने बताया कि इस गौशाला का निर्माण 10 साल पहले गायों के संरक्षण के लिए करवाया था. प्रारंभ में कामधेनु गोविंद सेवा समिति गौशाला छोटे रूप में गौधन की सेवा के लिए गौशाला प्रारंभ की गई, लेकिन धीरे-धीरे गौशाला का रूप ही बदल चुका है. तन, मन व धन से कार्यों में जुटी गौशाला प्रबंधन कमेटी निरंतर अपने गायों के संरक्षण में जुटी नजर आ रही है.

बेसहारा गायों की प्रमुख आश्रय स्थली.

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समिति के अध्यक्ष बताते हैं कि ये गोशाला आज सैकड़ों की संख्या में हर तरह के गौधन की सेवा करती है. इस गौशाला में गायों की सुविधा के लिए चारे, पानी व छाया की व्यवस्था की गई है. इतना ही नहीं गौशाला परिसर में अलग अलग बाड़े बनाए गए है. जिसमें अपंग, बुजुर्ग, बीमार गौधन का संरक्षण किया जा रहा है. समिति के अध्यक्ष ने कहा कि यहां पर लोग गौ माता को दान के रूप में भूसा व चारा भी बड़ी मात्रा में देते हैं. जिससे लोग गौ माता की सेवा कर कही न नहीं पुण्य के भागीदार भी बन जाते हैं.

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