हल्द्वानी: देवभूमि उत्तराखंड अपने तीर्थ स्थलों के कारण दुनिया भर में प्रसिद्ध है. देवभूमि की संस्कृति में जितनी विविधता दिखाई देती है, उतना शायद कहीं और नहीं दिखाई देता है. उत्तराखंड में हरेला पर्व की अपना अलग महत्व है. हल्द्वानी में हरेला की पूर्व संध्या पर शिव परिवार की पूजा की गई. हरेले की गुड़ाई (डिकारे) के साथ गुरुवार को हरेले की कटाई होगी. महिलाओं ने भजन कीर्तन के साथ शुद्ध मिट्टी से बनाए गए शिव परिवार की पूजा-अर्चना की.
देवभूमि उत्तराखंड अपने अलग-अलग संस्कृतियों के लिए जाना जाता है. उत्तराखंड में हरेला चैत्र, श्रावण और आषाढ़ के शुरू होने पर यानी वर्ष में तीन बार मनाया जाता है. लेकिन इनमें सबसे अधिक महत्व श्रावण के पहले दिन पड़ने वाले हरेला पर्व का होता है, क्योंकि ये सावन की हरियाली से सराबोर होता है.
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मान्यता है कि देवभूमि में भगवान शंकर का घर हिमालय और ससुराल हरिद्वार दोनों होने के कारण उनकी विशेष पूजा-अर्चना होती है. ऐसे में सावन मास में पड़ने वाले हरेला के दिन शिव परिवार की पूजा की जाती है. मिट्टी के आकृतियों को रंग-बिरंगे कलर देकर शिव परिवार की प्रतिमाओं का पूजा कर हरेला पर्व की शुरुआत होती है.