हल्द्वानी: कुमाऊं के सबसे बड़े गौला बैराज और कोसी नदी बैराज डैम पर अब सिंचाई विभाग सेंसर प्रणाली लगाने जा रहा है. जहां नदी में भारी मात्रा में पानी आने पर बाढ़ से होने वाले खतरे पर नजर रखी जा सकेगी. इन बैराज के गेट्स पर सेंसर प्रणाली लगाने की कवायद शुरू हो गई है. रुड़की के आईआरआई कंपनी के माध्यम से सेंसर लगाने का काम शुरू हो गया है.
मुख्य अभियंता सिंचाई विभाग संजय शुक्ला ने बताया मानसून सीजन में इन नदियों से होने वाले बाढ़ के खतरे को देखते हुए केंद्र पोषित योजना के तहत बैराज के डैम को ऑटोमेटिक और सेंसर प्रणाली के माध्यम से जोड़ने का काम शुरू कर दिया गया है. ये काम इस वर्ष मानसून सीजन से पहले पूर्व कर ले जाएगा. उन्होंने बताया बैराज में सेंसर प्रणाली लग जाने से बरसात के दौरान पहाड़ों से आने वाले पानी से होने वाले आपदा को कम किया जा सकता है.
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उन्होंने बताया गौला बैराज में 8 सेंसर लगाए जाएंगे, जबकि, कोसी बैराज में 13 सेंसर लगाए जाएंगे. ये सेंसर पहाड़ों से आने वाले पानी की मात्रा की रीड करते हुए निगरानी करेंगे. बैराज में पानी आने से पहले 1 घंटे पहले इसकी सूचना सिंचाई विभाग प्राप्त हो जाएगी. जिससे कि नदी का जलस्तर बढ़ते के साथ समय रहते पानी को डिस्चार्ज किया जा सकेगा.यही नहीं सेंसर कंट्रोल रूम भी बनाए जाएंगे. इसकी पूरी निगरानी कंट्रोल रूम के माध्यम से की जाएगी. कार्य योजना करीब 5 करोड़ की लागत से की जानी है.
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गौरतलब है बरसात के समय पहाड़ों से गौला और कोसी बैराज भारी मात्रा में पानी आता है. जिसके चलते तराई के क्षेत्रों में आपदा के खतरा उत्पन्न हो जाता है. कई बार किसानों के फसल जमीन नुकसान के साथ-साथ जनहानि भी हो जाती है. ऐसे में बैराज के गेट सेंसर और ऑटोमेटिक हो जाने से भविष्य में इन नदियों से होने वाले आपदा के खतरों को रोका जा सकता है.