हल्द्वानी: आईआईटी की टीम ने आपदा की दृष्टि से गौला नदी (Gaula river) के आसपास की 10 जगहों को संवेदनशील (10 sensitive places near the Gaula river) बताया है. आईआईटी की टीम ने कहा नदी से कटान होने वाले इन जगहों को मरम्मत करने की जरूरत है नहीं तो भविष्य में कोई बड़ा आपदा हो सकता है. जिसके बाद भविष्य में गौला नदी से होने वाली आपदा से बचाव के लिए सिंचाई विभाग को डीपीआर तैयार करने को कहा गया है.
बरसात के दिनों में पहाड़ पर होने वाली भारी बरसात के चलते कुमाऊं की सबसे बड़ी गौला नदी उफान पर रहती है. जिससे ग्रामीण इलाकों को खतरा बना रहता है. गौला नदी बरसात के समय कई ग्रामीणों के घर और खेत को भी अपने आगोश में ले लेती है. भविष्य में नदी के आपदा की दृष्टि से कई ग्रामीण इलाकों को खतरा बना हुआ है. जिसके मद्देनजर वन विभाग ने आईआईटी रुड़की के वैज्ञानिकों के माध्यम से गौला नदी से होने वाले नुकसान का आकलन कराया. आईआईटी की टीम ने करीब 10 जगहों को चिन्हित किया, जो आपदा की दृष्टि से अति संवेदनशील है. आईआईटी की टीम ने कहा नदी से कटान होने वाले इन जगहों को मरम्मत करने की जरूरत है नहीं तो भविष्य में कोई बड़ा आपदा हो सकता है.
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तराई पूर्वी वन प्रभाग के डीएफओ संदीप कुमार ने भविष्य में गौला नदी से होने वाली आपदा से बचाव के लिए सिंचाई विभाग को डीपीआर तैयार करने को कहा है. जिससे गौला नदी के इन संवेदनशील जगह पर तटबंध बनाए जा सकें. जिससे कि भविष्य में आने वाली आपदा से ग्रामीण क्षेत्रों को बचाया जा सके. डीएफओ तराई पूर्वी वन प्रभाग संदीप कुमार ने कहा वन विभाग और सिंचाई विभाग डीपीआर तैयार करेगा.
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जिसके बाद बजट मिलने पर नदी से होने वाले कटान वाले क्षेत्र में तटबंध बनाने जाने का काम किया जाएगा, जिससे भविष्य में होने वाली आपदा से बचा जा सके. उन्होंने कहा बरसात में गौला नदी में भारी पानी आने से कई ग्रामीण इलाकों को खतरा बना रहता है. ऐसे में अगर तटबंध बन जाते हैं तो इन ग्रामीण इलाकों को भविष्य में होने वाले आपदा से रोका जा सकेगा.