रामनगर: 24 वन ग्रामों, टोंगिया ग्रामों, खत्तों और सुंदर खाल इलाके में बसे लोग आज भी मूलभूत सुविधाओं से महरूम हैं. यहां रहने वाली ज्यादातर आबादी अनुसूचित वर्ग के लोगों की है. ऐसे में इनकी समस्या का समाधान करने अनुसूचित जाति आयोग आगे आया है. मूलभूत सुविधाओं को लेकर अनुसूचित जाति आयोग के उपाध्यक्ष पीसी गोरखा ने पीडब्ल्यूडी विश्राम गृह में बैठक की.
बैठक में प्रमुख वन संरक्षक, मुख्य विकास अधिकारी नैनीताल, वन विभाग के प्रभागीय वन अधिकारी, उप जिलाधिकारी, उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन के अफसर और अन्य विभागों अधिकारी मौजूद थे. बता दें कि हाल ही में सुंदरखाल में समाज कल्याण विभाग द्वारा आयोजित शिविर में आयोग उपाध्यक्ष के समक्ष ग्रामीणों ने अपनी समस्या रखी थी. इनमें से ज्यादातर समस्याएं वन विभाग से संबंधित थीं. इसलिए आयोग उपाध्यक्ष ने आज रामनगर पहुंचकर वन विभाग समेत बिजली विभाग और क्षेत्रीय विधायक के साथ बैठक की.
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वन ग्रामों में बिजली-पानी का अभाव
इस दौरान उपाध्यक्ष पीसी गोरखा ने कहा कि जो हमारे वन ग्राम हैं उनमें बिजली कैसे पहुंचेगी यह हमारा मुख्य उद्देश्य है. इसको लेकर वन विभाग और बिजली विभाग के अधिकारियों से मंत्रणा हुई है. निश्चित तौर पर इसकी आयोग के माध्यम से सरकार को सिफारिश भेजेंगे. हमारा उद्देश्य इन लोगों तक मूलभूत अधिकार बिजली और पानी पहुंचाना है. इसके लिए विभिन्न स्तरों पर आयोग प्रयास कर रहा है. मुझे विश्वास है कि सरकार इस पर कोई ठोस नीति तैयार कर इसको धरातल पर लाने का प्रयास करेगी.
बाघ के आतंक से निजात दिलाने की गुहार
रामनगर के ग्राम कानियां क्षेत्र के ग्रामीणों ने बाघ के आतंक से निजात दिलाने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया. इस दौरान ग्रामीण कॉर्बेट टाइगर रिजर्व कार्यालय पहुंचे और हंगामेदार प्रदर्शन किया. साथ ही जंगली जानवरों से सुरक्षा प्रदान किए जाने की मांग की. ग्रामीणों का कहना है कि 15 दिन पूर्व इसी गांव की रहने वाली कमला देवी को बाघ ने अपना शिकार बनाया था. घटना के बाद से बाघ लगातार गांव में दिखाई दे रहा है. जिससे ग्रामीण दहशत में है. ग्रामीणों का कहना है कि यदि पार्क प्रशासन हमारी मांगों को पूरा नहीं करता है तो हम उग्र आंदोलन करने को मजबूर होंगे.
पार्क निदेशक राहुल ने बताया कि जिस क्षेत्र में यह घटना घटी है वहां कैमरा ट्रैप लगाए गए हैं और कैमरे में मादा बाघ दो बच्चों के साथ दिखाई दे रही है. उन्होंने कहा कि ऐसे में ट्रेंकुलाइज किया जाना खतरे से खाली नहीं है. विभाग द्वारा कार्रवाई की जा रही है. ग्रामीणों को लकड़ी और घास उपलब्ध कराए जाने को लेकर अधिकारियों से भी वार्ता की जा रही है.