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रिटायर्ड सैनिक गार्ड बनने के बजाय बन गए प्रगतिशील किसान, फूलों की खेती कर हुए मालामाल

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Published : Mar 23, 2023, 2:06 PM IST

Updated : Mar 23, 2023, 3:17 PM IST

भारतीय सेना में चौबीस साल की सेवा देने के बाद हल्द्वानी के रिटायर्ड सैनिक लक्ष्मण सिंह ने कोई नौकरी नहीं की. उन्होंने स्वयं का स्वरोजगार खड़ा करते हुये फूलों की खेती शुरू की. अपनी स्वयं की आर्थिक स्थिति मजबूत करते हुये कई लोगों को रोजगार दिया.

रिटायर सैनिक गार्ड बनने के बजाय बन गए प्रगतिशील किसान
रिटायर सैनिक गार्ड बनने के बजाय बन गए प्रगतिशील किसान
रिटायर सैनिक गार्ड बनने के बजाय बन गए प्रगतिशील किसान

हल्द्वानी: उत्तराखंड के कई पूर्व सैनिक जय जवान जय किसान के नारे को बुलंद करते हुए देश की सेवा करने के साथ-साथ अब जय किसान का नारा भी बुलंद कर रहे हैं. हल्द्वानी रामपुर रोड चांदनी चौक के रहने वाले पूर्व सैनिक लक्ष्मण सिंह कुलयाल देश की सेवा करने के बाद घर पहुंचे. लेकिन यहां पर गार्ड की छोटी-मोटी नौकरी करने के बजाय उन्होंने फूलों की खेती को अपना स्वरोजगार बनाया. इसके साथ ही वह कई लोगों को रोजगार देने का काम भी कर रहे हैं. वहीं अपनी आर्थिक स्थिति को भी मजबूत कर रहे हैं.

चौबीस साल की देश की सेवा: पूर्व सैनिक लक्ष्मण सिंह कुलयाल ने बताया कि सेना में 24 साल की सेवा देकर रिटायर होने के बाद जब घर पहुंचे तो वह अपने आप को खाली महसूस कर रहे थे. जहां फिर से नौकरी करने के लिए जगह-जगह उन्होंने नौकरी के लिए आवेदन भी किया. लेकिन 8 से ₹10 हजार की गार्ड की नौकरी मिल रही थी तो उन्होंने गार्ड की नौकरी करने के बजाय स्वरोजगार अपनाने की ठान ली.

ऐसे की फूलों की खेती की शुरुआत: उन्होंने पारंपरिक धान, गेहूं की खेती करने के बजाए फूल और सब्जी की खेती करने का विचार बनाया. फूलों की खेती में अधिक आमदनी के चलते उद्यान विभाग से संपर्क किया. लक्ष्मण सिंह ने बताया कि जब उन्होंने फूलों की खेती शुरू की तब उद्यान विभाग ने उनका बड़ा सहयोग किया. जब उन्हें 80% सब्सिडी के माध्यम से पॉलीहाउस लगाने के लिए बैंक से ऋण मिला तो उसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. आज वह बड़े पैमाने पर फूलों की खेती कर रहे हैं. इनके पॉलीहाउस के फूलों की डिमांड हल्द्वानी के साथ-साथ दिल्ली की मंडियों में खूब बढ़ रही है. लक्ष्मण सिंह ने अपने पॉलीहाउस में जरबेरा फूल की कई वैरायटी के साथ-साथ गुलाब स्टिक के पौधे भी लगाए हैं जो पुणे से लाकर हल्द्वानी में लगाए हैं.
यह भी पढ़ें: सोमेश्वर के डौनी गांव के काश्तकार ने उगाया 10 फीट ऊंचा मटर का पौधा, तोड़ चुके कई किलो फलियां

कई पूर्व सैनिकों को किया प्रेरित: उनके फूलों की खेती से प्रेरणा लेते हुए कई पूर्व सैनिकों ने फूलों की खेती का कारोबार भी शुरू कर दिया है. ये लोग उनसे समय-समय पर जानकारी और सलाह लेते रहते हैं. उन्होंने कहा कि पूर्व सैनिकों के लिए सरकार द्वारा कई तरह की योजनाएं चलाई जाती हैं. ऐसे में अगर पूर्व सैनिक रिटायर होने के बाद छोटी-मोटी नौकरियों के बजाय अपना स्वरोजगार अपनाएं तो उनकी आत्मनिर्भर होने के साथ ही वे कई लोगों को रोजगार प्रदान कर सकते हैं.

रिटायर सैनिक गार्ड बनने के बजाय बन गए प्रगतिशील किसान

हल्द्वानी: उत्तराखंड के कई पूर्व सैनिक जय जवान जय किसान के नारे को बुलंद करते हुए देश की सेवा करने के साथ-साथ अब जय किसान का नारा भी बुलंद कर रहे हैं. हल्द्वानी रामपुर रोड चांदनी चौक के रहने वाले पूर्व सैनिक लक्ष्मण सिंह कुलयाल देश की सेवा करने के बाद घर पहुंचे. लेकिन यहां पर गार्ड की छोटी-मोटी नौकरी करने के बजाय उन्होंने फूलों की खेती को अपना स्वरोजगार बनाया. इसके साथ ही वह कई लोगों को रोजगार देने का काम भी कर रहे हैं. वहीं अपनी आर्थिक स्थिति को भी मजबूत कर रहे हैं.

चौबीस साल की देश की सेवा: पूर्व सैनिक लक्ष्मण सिंह कुलयाल ने बताया कि सेना में 24 साल की सेवा देकर रिटायर होने के बाद जब घर पहुंचे तो वह अपने आप को खाली महसूस कर रहे थे. जहां फिर से नौकरी करने के लिए जगह-जगह उन्होंने नौकरी के लिए आवेदन भी किया. लेकिन 8 से ₹10 हजार की गार्ड की नौकरी मिल रही थी तो उन्होंने गार्ड की नौकरी करने के बजाय स्वरोजगार अपनाने की ठान ली.

ऐसे की फूलों की खेती की शुरुआत: उन्होंने पारंपरिक धान, गेहूं की खेती करने के बजाए फूल और सब्जी की खेती करने का विचार बनाया. फूलों की खेती में अधिक आमदनी के चलते उद्यान विभाग से संपर्क किया. लक्ष्मण सिंह ने बताया कि जब उन्होंने फूलों की खेती शुरू की तब उद्यान विभाग ने उनका बड़ा सहयोग किया. जब उन्हें 80% सब्सिडी के माध्यम से पॉलीहाउस लगाने के लिए बैंक से ऋण मिला तो उसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. आज वह बड़े पैमाने पर फूलों की खेती कर रहे हैं. इनके पॉलीहाउस के फूलों की डिमांड हल्द्वानी के साथ-साथ दिल्ली की मंडियों में खूब बढ़ रही है. लक्ष्मण सिंह ने अपने पॉलीहाउस में जरबेरा फूल की कई वैरायटी के साथ-साथ गुलाब स्टिक के पौधे भी लगाए हैं जो पुणे से लाकर हल्द्वानी में लगाए हैं.
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कई पूर्व सैनिकों को किया प्रेरित: उनके फूलों की खेती से प्रेरणा लेते हुए कई पूर्व सैनिकों ने फूलों की खेती का कारोबार भी शुरू कर दिया है. ये लोग उनसे समय-समय पर जानकारी और सलाह लेते रहते हैं. उन्होंने कहा कि पूर्व सैनिकों के लिए सरकार द्वारा कई तरह की योजनाएं चलाई जाती हैं. ऐसे में अगर पूर्व सैनिक रिटायर होने के बाद छोटी-मोटी नौकरियों के बजाय अपना स्वरोजगार अपनाएं तो उनकी आत्मनिर्भर होने के साथ ही वे कई लोगों को रोजगार प्रदान कर सकते हैं.

Last Updated : Mar 23, 2023, 3:17 PM IST
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