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कुपोषित और अति कुपोषित बच्चों की संख्या में आई कमी, अधिकारियों की ये मुहिम लाई रंग

नैनीताल जिले ने कुपोषण के खिलाफ चल रही जंग में काफी सुधार आ रहा है. यहां आंकड़ों के अनुसार, पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष कुपोषित और अति कुपोषित बच्चों की संख्या में कमी आई है.

कुपोषित और अति कुपोषित बच्चों की संख्या में आई कमी.
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Published : May 11, 2019, 11:37 PM IST

हल्द्वानी: नैनीताल जिले ने कुपोषण के खिलाफ जंग में काफी हद तक काबू पा लिया है. देश की सबसे बड़ी बीमारी कुपोषण सरोवर नगरी से धीरे-धीरे समाप्त हो रही है. ताजा आंकड़ा नैनीताल जिले का है, हां कुपोषण और अति कुपोषण बच्चों की संख्या में काफी कमी आई है.

बाल विकास परियोजना कार्यालय के आंकड़ों के अनुसार, इस वर्ष बड़ी संख्या में कुपोषित बच्चों की संख्या में कमी आई है. पिछले वर्ष प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा कुपोषित बच्चों को गोद लिए जाने की मुहिम के बाद इस योजना में असर देखने को मिला है.

कुपोषित और अति कुपोषित बच्चों की संख्या में आई कमी.

पिछले वर्ष के आंकड़ों के अनुसार, नैनीताल जिले में 1800 कुपोषित बच्चे थे, वहीं 135 अति कुपोषित बच्चे चिन्हित किए गए थे. इन बच्चों को क्षेत्रीय अधिकारियों द्वारा गोद लिए जाने के बाद इन कुपोषित बच्चों की संख्या में काफी कमी देखने को मिली. जिले में अभी 1365 कुपोषित और 75 अति कुपोषित बच्चे ही चिन्हित किए गए हैं. वहीं, प्रशासन द्वारा बाल विकास योजना के अंतर्गत कुपोषित बच्चों का ध्यान रखा जा रहा है, जिससे इनकी संख्या में तेजी से कमी आई है.

हल्द्वानी: नैनीताल जिले ने कुपोषण के खिलाफ जंग में काफी हद तक काबू पा लिया है. देश की सबसे बड़ी बीमारी कुपोषण सरोवर नगरी से धीरे-धीरे समाप्त हो रही है. ताजा आंकड़ा नैनीताल जिले का है, हां कुपोषण और अति कुपोषण बच्चों की संख्या में काफी कमी आई है.

बाल विकास परियोजना कार्यालय के आंकड़ों के अनुसार, इस वर्ष बड़ी संख्या में कुपोषित बच्चों की संख्या में कमी आई है. पिछले वर्ष प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा कुपोषित बच्चों को गोद लिए जाने की मुहिम के बाद इस योजना में असर देखने को मिला है.

कुपोषित और अति कुपोषित बच्चों की संख्या में आई कमी.

पिछले वर्ष के आंकड़ों के अनुसार, नैनीताल जिले में 1800 कुपोषित बच्चे थे, वहीं 135 अति कुपोषित बच्चे चिन्हित किए गए थे. इन बच्चों को क्षेत्रीय अधिकारियों द्वारा गोद लिए जाने के बाद इन कुपोषित बच्चों की संख्या में काफी कमी देखने को मिली. जिले में अभी 1365 कुपोषित और 75 अति कुपोषित बच्चे ही चिन्हित किए गए हैं. वहीं, प्रशासन द्वारा बाल विकास योजना के अंतर्गत कुपोषित बच्चों का ध्यान रखा जा रहा है, जिससे इनकी संख्या में तेजी से कमी आई है.

Intro:स्लग-जिले में कुपोषित और अति कुपोषित बच्चों की संख्या में आई कमी
रिपोर्टर -भावनाथ पंडित हल्द्वानी
एंकर- कुपोषण के खिलाफ जंग में नैनीताल जिला काफी हद तक काबू पा लिया है। देश की सबसे बड़ी बीमारी कुपोषण अब धीरे धीरे समाप्त हो रहा है। ताजा आंकड़ा नैनीताल जिले का है जहां कुपोषण और अति कुपोषण बच्चों की संख्या में कमी आई है। बाल विकास परियोजना कार्यालय से मेरे आंकड़ों के अनुसार इस वर्ष बड़ी संख्या में कुपोषित बच्चों की संख्या में कमी आई है पिछले वर्ष प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा कुपोषित बच्चों को गोद लिए जाने की मुहिम के बाद इस योजना में असर देखने को मिला है।


Body:बीते वर्ष नैनीताल जिले में 18 सौ पोषित बच्चे थे जबकि 135 अति कुपोषित बच्चे चिन्हित किए गए थे ।जिनको अधिकारियों द्वारा गोद लिया गया था जिसका असर देखने को मिला और संख्या में कमी आई ।जिले में अभी 1365 पोषित और 75 अति कुपोषित बच्चे ही चिन्हित किए गए हैं ।यानी प्रशासन द्वारा बाल विकास योजना के अंतर्गत कुपोषित बच्चों का ध्यान रखा जा रहा है जिससे तेजी से उनकी संख्या में कमी आ रही है ।


Conclusion:जहां सरकार कुपोषित बच्चों को सामान्य बच्चों की श्रेणी में लाने के लिए आंगनबाड़ी से लेकर कई योजनाएं चला कर उनको पुष्टाहार प्रदान कर रही है तो वही अधिकारियों की संवेदनशीलता के चलते भी इस योजना का असर आप धरातल में दिखने लगा है।
बाईट- विनीत कुमार मुख्य विकास अधिकारी नैनीताल
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