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रामनगर की जनता को जाम के झाम से निकालने में प्रशासन के झूठे पसीने - रामनगर न्यूज

रामनगर की जनता काफी समय से जाम की समस्या से दो चार हो रही है. इसकी एक बड़ी वजह से रामनगर में अलग-अलग बने अस्थाई बस अड्डे हैं.

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Published : Dec 6, 2020, 10:09 PM IST

रामनगर: शहर की जनता को जाम से निजात दिला पाने में स्थानीय प्रशासन और पुलिस नाकाम साबित हो रहा है. शहर में जाम लगने का बड़ा कारण कई बस यूनियनों के अस्थाई स्टेशन हैं. हालांकि, इससे पार पाने के लिए प्रशासन में एक रास्ता निकाला है. प्रशासन ने निजी बस अड्डों को यहां से शिफ्ट कर अन्य जगह स्थानांतरित करने का निर्णय लिया है, लेकिन स्थानीय बस संचालक इसका विरोध करने लगे हैं.

रामनगर में एनएच-121 में कई बस यूनियनों के अस्थाई बस अड्डें चल रहे हैं. जिससे पर्यटन सीजन में इस रोड पर जाम की स्थिति बनी जाती है. जिससे निपटने के लिए स्थानीय प्रशासन ने बस स्टेशनों को यहां से शिफ्ट करने का निर्णय लिया है, लेकिन प्रशासन के इस फैसले का रामनगर के बस संचालक विरोध किया है. वहीं, प्रशासन के इस निर्णय पर अब राजनीति भी होने लगी है. कांग्रेस ने भी इस फैसले को अव्यावहारिक करार देते हुए इसके खिलाफ मोर्चा खोलने का मन बना लिया है. कांग्रेस ने प्रशासन से अपने इस फैसलों को वापस लेने की मांग की है.

पढ़ें- उत्सव : 25 गांव में एक साथ मनाई जाएगी मंगसीर की बग्वाल

बता दें कि रामनगर की जनता काफी समय से जाम की समस्या से दो चार हो रही है. इसकी एक बड़ी वजह से रामनगर में अलग-अलग बने अस्थाई बस अड्डे हैं. लोगों ने प्रशासन को सुझाव दिया था कि कुछ बसें जो पहाड़ों को, काशीपुर को, हल्द्वानी को जाती है उनके संचालन को लेकर यह प्लान बनाया की कि क्यों ना इन सब का संचालन उन्हीं के रास्तों पर शहर के बाहर से किया जाए. इसको लेकर प्रशासन ने पूरी तैयारी कर जगह भी चिन्हित कर ली है, लेकिन अब कुछ बस ऑपरेटर इस व्यवस्था से खुश नजर नहीं आ रहे हैं.

कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष रणजीत सिंह रावत ने कहा कि यदि प्राइवेट बस अड्डों को शहर के बाहर भेजा जाता है तो इससे राहगीरों को काफी मुश्किलें होंगी. क्योंकि कई लोग रात को एक बजे दिल्ली से आते औ उन्हें सुबह तीन कुमाऊं के पहाड़ी जिलों के लिए बस पकड़नी होती है. ऐसे में यात्री की बस पकड़ने के लिए शहर के बाहर जाना होगा जो मुमकिन नहीं है. क्योंकि वहा पर किसी तरह की सुविधा ही नहीं है. यदि प्रशासन ने उनकी मांगे नहीं मानी तो वे मुख्यमंत्री से मुलाकात करेंगे. मुख्यमंत्री 26 दिसंबर को कोटाबाग आ रहे हैं.

वहीं, इस बारे में उपजिलाधिकारी रामनगर विजयनाथ शुक्ल ने कहा कि शहर में लगने वाले जाम को देखते हुए और लोगों से बातचीत करने के बाद ही फैसला लिया गया है. जिसके तहत सड़कों को अतिक्रमण मुक्त बनाने का प्रयास किया जा रहा है.

रामनगर: शहर की जनता को जाम से निजात दिला पाने में स्थानीय प्रशासन और पुलिस नाकाम साबित हो रहा है. शहर में जाम लगने का बड़ा कारण कई बस यूनियनों के अस्थाई स्टेशन हैं. हालांकि, इससे पार पाने के लिए प्रशासन में एक रास्ता निकाला है. प्रशासन ने निजी बस अड्डों को यहां से शिफ्ट कर अन्य जगह स्थानांतरित करने का निर्णय लिया है, लेकिन स्थानीय बस संचालक इसका विरोध करने लगे हैं.

रामनगर में एनएच-121 में कई बस यूनियनों के अस्थाई बस अड्डें चल रहे हैं. जिससे पर्यटन सीजन में इस रोड पर जाम की स्थिति बनी जाती है. जिससे निपटने के लिए स्थानीय प्रशासन ने बस स्टेशनों को यहां से शिफ्ट करने का निर्णय लिया है, लेकिन प्रशासन के इस फैसले का रामनगर के बस संचालक विरोध किया है. वहीं, प्रशासन के इस निर्णय पर अब राजनीति भी होने लगी है. कांग्रेस ने भी इस फैसले को अव्यावहारिक करार देते हुए इसके खिलाफ मोर्चा खोलने का मन बना लिया है. कांग्रेस ने प्रशासन से अपने इस फैसलों को वापस लेने की मांग की है.

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बता दें कि रामनगर की जनता काफी समय से जाम की समस्या से दो चार हो रही है. इसकी एक बड़ी वजह से रामनगर में अलग-अलग बने अस्थाई बस अड्डे हैं. लोगों ने प्रशासन को सुझाव दिया था कि कुछ बसें जो पहाड़ों को, काशीपुर को, हल्द्वानी को जाती है उनके संचालन को लेकर यह प्लान बनाया की कि क्यों ना इन सब का संचालन उन्हीं के रास्तों पर शहर के बाहर से किया जाए. इसको लेकर प्रशासन ने पूरी तैयारी कर जगह भी चिन्हित कर ली है, लेकिन अब कुछ बस ऑपरेटर इस व्यवस्था से खुश नजर नहीं आ रहे हैं.

कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष रणजीत सिंह रावत ने कहा कि यदि प्राइवेट बस अड्डों को शहर के बाहर भेजा जाता है तो इससे राहगीरों को काफी मुश्किलें होंगी. क्योंकि कई लोग रात को एक बजे दिल्ली से आते औ उन्हें सुबह तीन कुमाऊं के पहाड़ी जिलों के लिए बस पकड़नी होती है. ऐसे में यात्री की बस पकड़ने के लिए शहर के बाहर जाना होगा जो मुमकिन नहीं है. क्योंकि वहा पर किसी तरह की सुविधा ही नहीं है. यदि प्रशासन ने उनकी मांगे नहीं मानी तो वे मुख्यमंत्री से मुलाकात करेंगे. मुख्यमंत्री 26 दिसंबर को कोटाबाग आ रहे हैं.

वहीं, इस बारे में उपजिलाधिकारी रामनगर विजयनाथ शुक्ल ने कहा कि शहर में लगने वाले जाम को देखते हुए और लोगों से बातचीत करने के बाद ही फैसला लिया गया है. जिसके तहत सड़कों को अतिक्रमण मुक्त बनाने का प्रयास किया जा रहा है.

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