रामनगर: विश्व प्रसिद्ध जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क (Jim Corbett National Park) में वन्यजीवों के साथ ही कई औषधीय गुणों वाले पेड़ पौधे (medicinal plants) भी मौजूद हैं. इनमें से ही एक कदंब का पेड़ (Kadamba tree)है, जो कॉर्बेट पार्क के ढिकाला जोन (Dhikala Zone of Corbett Park) में पूरे परिसर को सुगंधित कर रहा है.
बता दें कि कॉर्बेट टाइगर रिजर्व (Corbett Tiger Reserve) में कई ऐसे पेड़ है, जिसका उपयोग गंभीर बीमारियों में औषधि के रूप में किया जाता है. इन्हीं पेड़ पौधों में से एक पेड़ कदंब का है. कदंब के पेड़ पर सुगंधित फूल (fragrant flowers) आते हैं. इस विशाल वृक्ष की छाया भी विशाल और शीतल होती है. कदंब का वनस्पति नाम (botanical name of kadamba) एन्थोसीफैलस इंडिगो (Anthocephalus indicus) है. जो रूबीएसी परिवार का सदस्य (member of the Rubiaceae family) है.
कदंब ज्यादातर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, बंगाल और उड़ीसा में बहुतायात में होता है. इसकी ऊंचाई 20 से 40 फीट की होती है. इसके पत्ते कटहल के पेड़ के पत्ते जैसे होते हैं, लेकिन थोड़े छोटे और चमकीले होते.
वर्षा ऋतु में कदंब के पेड़ों पर फूल आते हैं. इसकी खासियत है कि बादलों की गर्जना से इसके फूल अचानक खिल उठते हैं. कदंब पर्यावरण (environment) के लिए भी बहुत जरूरी है. कदंब पर्यावरण की दृष्टि से जंगलों को फिर से हरा-भरा करने, मिट्टी को उपजाऊ बनाने और शोभा बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
कदंब का पेड़ 6 वर्षो में पूरा आकार में आ जाता है. कई जगह इसका सजावटी फूलों के लिए भी व्यवसायिक उपयोग किया जाता हैं. इसके फूलों को इत्र के रूप में भी प्रयोग किया जाता है. कदंब से एक दवा विकसित की गई है, जो टाइप 2 डायबिटीज के उपचार में उपयोगी है.
प्रोफेसर डॉ. जीसी पंत बताते हैं कि कदंब का पेड़ को देव का वृक्ष माना जाता है. कदंब औषधीय गुणों के लिए मशहूर है. इसके स्वास्थ्यवर्धक गुणों के चलते इसका उपयोग कई रोगों में उपचार के लिए किया जाता है. इसके फल नींबू की तरह होते हैं. कदंब के फूलों का अपना अलग महत्व है. प्राचीन वेद और रचनाओं में सुगंधित फूलों का उल्लेख मिलता है.
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जीसी पंत का कहना है कि इस समय कोरोना काल है. वैज्ञानिकों ने जो कोरोना का रूप दिया है, इसका फूल कुछ उसी की तरह दिखता है. इसके फूल भगवान कृष्ण को अत्यंत प्रिय थे. आयुर्वेद में कदंब की कई प्रजातियां जैसे राजकदंब, धारा कदंब और भूमिकदंब का उल्लेख है. सुश्रुत चरक आदि प्राचीन ग्रंथों में कई स्थानों पर कदंब का वर्णन मिलता है.
डॉ. जीसी पंत बताते हैं कि कदंब का फल खांसी, जलन, मूत्र संबंधी रोग, रक्त पित्त, नाक-कान से खून निकलना सहित कई बिमारियों में लाभदायक है. कदंब के पत्ते भूख बढ़ाने में सहायक और दस्त में फायदेमंद होते हैं.
कदंब आंखों की बीमारी में बहुत फायदेमंद होता है. कदंब के तने की छाल की रस को आंखों के बाहर चारों तरफ लगाने से आंखों का दर्द कम होता है. मुंह के छालों के लिए भी कदंब के पत्तों का काढ़ा बनाकर गरारा करने से राहत मिलती है. मूत्र संबंधी बीमारी में जलन या रुक रुक कर पेशाब आने जैसी बीमारियों में कदंब फायदेमंद होता है.
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अगर खांसी से राहत नहीं मिल रही है तो 5 से 10 मिली कदंब के तने की छाल का काढ़ा पीने से तुरंत लाभ मिलता है. आयुर्वेदिक में कदंब के पत्ते, फूल, जड़, तने की छाल के काढ़े का ज्यादा प्रयोग किया जाता है.
कॉर्बेट टाइगर रिजर्व की उपनिदेशक कल्याणी का कहना है कि कॉर्बेट रिजर्व के ढिकाला क्षेत्र में इसका एक पेड़ है. इसके फूल और फल लड्डू के आकार के होते हैं. इसका फूल कोरोना वायरस के वैज्ञानिक रूप में दिखता है. यह कॉर्बेट और आसपास के जंगलों में बहुत ही कम मात्रा में पाया जाता है. आयुर्वेद में भी इस पेड़ को कई रोगों के लिए फायदेमंद बताया गया है.