रामनगर: सरकार बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ को लेकर लगातार अभियान चला रही है. वहीं रामनगर में कुछ निजी स्कूल संचालक अपनी मनमानी के चलते सरकार की इस योजना को पलीता लगा रहे हैं, निजी स्कूल संचालकों की मनमानी का शिकार कई गरीब अभिभावक भी हो रहे हैं, लगातार इन स्कूलों में फीस वृद्धि की जा रही है, लेकिन सरकार इस पर अंकुश लगाने में पूरी तरह विफल साबित हो रही है.
दो बहनों को परीक्षा देने से रोका: सरकार और अधिकारियों की उदासीनता के चलते कई अभिभावक निजी स्कूलों की मनमानी का शिकार हो रहे हैं. ऐसा ही एक मामला रामनगर विकासखंड के अंतर्गत ग्राम टांडा मल्लू में स्थित स्कूल का सामने आया है. बताया जाता है कि स्कूल संचालक द्वारा कक्षा 10 एवं कक्षा आठ में पढ़ने वाली दो सगी बहनों के अभिभावकों द्वारा फीस जमा नहीं करने पर परीक्षा में बैठने से वंचित कर दिया गया.
एबीवीपी के सदस्य स्कूल पहुंचे: मामले में सोमवार को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्य शिखर भट्ट अपने कार्यकर्ताओं के साथ स्कूल पहुंचे. उन्होंने स्कूल प्रबंधन से बात की. इस बीच कार्यकर्ताओं और स्कूल प्रबंधन के बीच तीखी नोकझोंक भी हुई. शिखर भट्ट ने बताया कि रामनगर के मोहल्ला इंदिरा कॉलोनी में रहने वाली रेनू नाम की महिला की दो बालिकाएं हैं. दोनों बेटियां कक्षा 10 और कक्षा आठ में इस स्कूल में शिक्षा ग्रहण कर रही है.
बच्चियों की फीस जमा नहीं कर पाया गरीब परिवार: परिवार की आर्थिक तंगी के कारण वह फीस नहीं दे पाईं. जिसके बाद इन दोनों छात्राओं को परीक्षाओं में बैठने से वंचित कर दिया गया. उनका आरोप है कि हाईस्कूल में पढ़ने वाली छात्रा का प्रवेश पत्र भी उसको नहीं दिया गया, जो कि पूरी तरह गलत है. उन्होंने कहा कि स्कूल संचालक द्वारा जहां एक ओर सरकार की योजनाओं को पलीता लगा कर सरकार को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है, वहीं बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. इसे सहन नहीं किया जाएगा.
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स्कूल प्रबंधन ने आरोपों को गलत बताया: शिखर भट्ट ने कहा कि वे इस मामले में स्कूल प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर अधिकारियों से शिकायत करेंगे. मांग पूरी ना होने पर उन्होंने आंदोलन करने की चेतावनी दी है. वहीं स्कूल प्रबंधक टी चंद्रा ने लगाए गए आरोपों को निराधार बताया है.