हल्द्वानी: राज्यसभा सांसद प्रदीप टम्टा ने कहा है कि बीजेपी के नेताओं ने अपने मुख्यमंत्री के लिए संवैधानिक संकट खड़ा कर दिया है. ऐसे में अब पूर्व मुख्यमंत्री भी इन दिनों ज्यादा दौड़ भाग कर रहे हैं. संविधान के मुताबिक प्रदेश में उप चुनाव नहीं हो सकता है और मुख्यमंत्री की कुर्सी लगभग जाना तय है.
प्रदीप टम्टा ने कहा कि संविधान के मुताबिक मुख्यमंत्री को 6 महीने के भीतर में विधानसभा का सदस्य बनना होता है. नियमानुसार किसी भी राज्य के अंदर एक साल के अंदर अगर विधानसभा चुनाव होना होता है, तो वहां पर उपचुनाव नहीं कराया जा सकता है. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के तहत बिना चुनाव जीते एक मंत्री या मुख्यमंत्री एक ही बार अपने पद का लाभ ले सकता है. अगर उपचुनाव नहीं हुआ तो मुख्यमंत्री की कुर्सी जाना लगभग तय है.
जल्द होगा नेता प्रतिपक्ष का चयन
वहीं, इंदिरा हिरदेश के निधन के बाद नेता प्रतिपक्ष की सीट खाली हो गई है. ऐसे में संगठन में फेरबदल की संभावनाओं को देखते हुए प्रदीप टम्टा ने कहा है कि नेता प्रतिपक्ष का चयन जल्द कर लिया जाएगा. साथ ही कहा कि हाईकमान जो भी निर्णय लेगा, उसका सभी लोग पालन करेंगे.
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सीएम के बयान ने बढ़ाई कयासबाजी
बता दें, उत्तराखंड में मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को सितंबर तक विधानसभा का सदस्य बनना जरूरी है. इस बीच बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष समेत शासकीय प्रवक्ता भी यह बात कह चुके हैं कि मुख्यमंत्री चुनाव लड़ने जा रहे हैं. लेकिन इन बयानों के बीच मुख्यमंत्री ने ये कहकर सबको चौंका दिया कि अभी हाईकमान यह तय करेगा कि उन्हें चुनाव लड़ना है या नहीं. सीएम तीरथ के इस बयान के बाद एक बार फिर राजनीतिक कयासबाजी शुरू हो गई है.