हल्द्वानी: प्रदेश सरकार जहां एक ओर सूबे में हाट बाजारों (Haldwani Haat Bazaar) को बढ़ावा देने का बात कहती है, वहीं दूसरी ओर हल्द्वानी में हकीकत से ठीक उलट तस्वीर सामने आई है. साल 2009 में समाज कल्याण विभाग ने बरेली रोड की पुरानी आईटीआई जमीन पर 130.50 लाख रुपए की लागत से शिल्पी हाट बाजार (Haldwani Shilpi Haat Bazaar) का निर्माण करवाया था. जिसमें दो दर्जन से अधिक दुकानें बनवाई. इन दुकानों को जिले के शिल्पकारों को कम दामों पर आवंटित किया जाना था. लेकिन 13 साल बीत जाने के बाद भी यहां के शिल्पकारों को दुकानें तक नहीं मिल पाई. ऐसे में अब बड़ा मामला सामने आ रहा है कि शिल्पकारों को दी जाने वाली दुकानों को अब खुर्द-बुर्द की कार्रवाई शुरू हो गई है.
हल्द्वानी में सवा करोड़ से ज्यादा की लागत से बना शिल्पी हाट बाजार असामाजिक तत्वों का अड्डा बना हुआ है. ऐसा प्रतीत हो रहा है कि दुकानें जंगल के बीच में बनी हुई हैं. क्योंकि दुकान के आसपास पूरा जंगल तैयार हो गया है. बीजेपी के अनुसूचित मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष (BJP Scheduled Front State President) समीर आर्य का कहना है कि अनुसूचित जाति के लोगों के लिए तैयार किया गया शिल्पी हाट बाजार आज पूरी तरह से खंडहर में तब्दील हो चुका है. यहां तक की दुकानें और जमीनों को खुर्द-बुर्द करने की कार्रवाई भी शुरू हो गई है. लेकिन ऐसा नहीं होने दिया जाएगा, क्योंकि जिस मंशा से सरकार ने इन दुकानों को बनाया था, जिसका लाभ अनुसूचित वर्ग के लोगों को नहीं मिल पाया है.
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इसके लिए वह मुख्यमंत्री और समाज कल्याण मंत्री को पत्र लिखकर इस पूरे मामले से अवगत कराएंगे. उन्होंने बताया कि उनके संज्ञान में आया है कि कुछ लोग दुकानों और जमीनों को खुर्द-बुर्द में लगे हुए हैं. उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार अनुसूचित जाति के लोगों को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए बढ़ावा दे रही है, लेकिन इस तरह की लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. इस मामले को लेकर अधिकारियों से भी बात करेंगे और अनुसूचित जाति के लोगों को इसका लाभ कैसे मिले इसके लिए वह सरकार से भी बात करेंगे.
गौरतलब है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री भुवन चंद खंडूड़ी और कैबिनेट मंत्री गोविंद सिंह बिष्ट द्वारा 21 फरवरी 2009 को शिल्पी हाट बाजार का लोकार्पण किया गया था. इसके बाद यहां के शिल्पकारों को उनकी दुकानें आवंटित होनी थी और उनको रोजगार मिलना था. लेकिन 13 साल बाद भी शिल्पकारों को दुकानें नहीं मिल पाई हैं ये दुकानें अब धीरे-धीरे खंडहर में तब्दील होने लगी हैं. यही नहीं असामाजिक तत्वों का अड्डा भी बन गया है.