हल्द्वानी: सूर्य उपासना का महापर्व छठ पूजा कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से शुरू हो सप्तमी तिथि को समापन होगा. कुमाऊं को प्रवेश द्वार हल्द्वानी में हर साल की भांति इस साल भी छठ पूजा का भव्य आयोजन की तैयारी की जा रही है. छठ पूजा आराधना के लिए छठ के घाट सजने लगे हैं. इस महापर्व को भव्य बनाने के लिए पूर्वांचल समाज की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं.पर्व की शुरुआत 17 नवंबर को नहाए-खाए से होगी 18 को खरना और 19 नवंबर को डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा, जबकि 20 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य देकर पर्व का समापन होगा.इस व्रत में महिलाएं 36 घंटे निर्जला व्रत रखती हैं.
हल्द्वानी में छठ पूजा सेवा समिति के पदाधिकारी मुरारी लाल श्रीवास्तव और शंकर भगत ने बताया कि सूर्य उपासना का महापर्व छठ 17 नवंबर से शुरू होकर 20 नवंबर को समापन होगा. छठ समिति के लोग हल्द्वानी स्थित सुशीला तिवारी अस्पताल के सामने छठ घाट की साफ-सफाई और रंग रोगन कर तैयारी में जुटे हुए हैं. समिति के लोगों का कहना है कि छठ महापर्व के मौके पर हजारों की संख्या में यहां श्रद्धालुओं की पहुंचने की उम्मीद है. ऐसे में सभी व्यवस्थाएं मुकम्मल की जा रही हैं. जिला और पुलिस प्रशासन का भी भरपूर सहयोग मिल रहा है.
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गौरतलब है की छठ महापर्व पूर्वांचल के प्रमुख पर्वों में एक माना जाता है. उत्तराखंड के साथ हल्द्वानी में भी पूर्वांचल समाज के भारी संख्या में लोग निवास करते हैं. छठ पर्व मुख्य रूप से संतान सुख प्रदान करने के लिए मनाया जाता है. मान्यता है कि भगवान सूर्य की बहन षष्ठी देवी संतान की रक्षा करती है. इसलिए माताएं इस पर्व को अपनी संतान की लंबी उम्र और उन्नति के लिए रखती हैं. पर्व का संबंध सीधे सूर्य से भी है. मान्यता है कि डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर पूर्वजों को याद किया जाता है, जबकि उगते सूरज को अर्घ्य देकर नई जीवन की खुशहाली की कामना की जाती है.