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कुमाऊं में मौसम के साथ 'झुलसा' ने आलू को झुलसाया, किसानों के निकले खून के आंसू - potato production affected

कुमाऊं का आलू उत्तराखंड के अलावा कई राज्यों में अपनी पहचान बना चुका है. यहां के आलू की डिमांड देश की अन्य मंडियों में भरपूर मात्रा में होती है. लेकिन इस बार बारिश नहीं होने के चलते पहाड़ के किसानों के आगे आलू की पैदावार (potato production affected) का संकट खड़ा हो गया है. बारिश नहीं होने के चलते पहाड़ के आलू की पैदावार पर झुलसा रोग भी लग गया है.

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आलू की पैदावार प्रभावित
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Published : Jun 25, 2022, 10:23 AM IST

Updated : Jun 25, 2022, 12:26 PM IST

हल्द्वानी: कुमाऊं के पहाड़ी क्षेत्रों के काश्तकारों का आलू आजीविका (Kumaon potato production) का मुख्य साधन है. पहाड़ के आलू की स्वाद की बात ही अलग है. नैनीताल के आलू की पहचान तो देश के उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान के अलावा अन्य राज्यों की मंडियों में भी खूब की जा रही है. लेकिन इस बार बारिश नहीं होने के चलते पहाड़ के किसानों के आगे आलू की पैदावार पर संकट खड़ा हो गया है. बारिश नहीं होने के चलते पहाड़ के आलू की पैदावार (potato production affected) पर झुलसा रोग लग गया है. जिसके चलते इस बार पहाड़ पर आलू का उत्पादन मात्र 25% ही रह गया है. ऐसे में पहाड़ के किसानों के आगे आर्थिक संकट पैदा हो गया है.

गर्मियों के मौसम में पहाड़ के आलू की डिमांड उत्तराखंड के साथ-साथ कई राज्यों में होती है, क्योंकि इस समय पहाड़ पर आलू का सीजन है. कुमाऊं मंडल के पहाड़ के काश्तकारों का आलू का उत्पादन मुख्य कृषि का साधन है, लेकिन इस बार बारिश नहीं होने के चलते पहाड़ के किसानों के आगे आलू की पैदावार का संकट खड़ा हो गया है. बारिश नहीं होने के चलते पहाड़ के आलू पर झुलसा रोग लग गया है.

बारिश न होने से आलू की पैदावार प्रभावित.

क्या कह रहे काश्तकार: काश्तकारों की मानें तो बारिश नहीं होने के चलते आलू की पैदावार खराब हो गई, जिसके चलते आलू की पैदावार इस बार बहुत कम हुई है. वहीं आलू उत्पादन में नैनीताल जनपद के रामगढ़, ओखलकांडा, धारी, भीमताल के अलावा चंपावत और अल्मोड़ा प्रमुख हैं. लेकिन इस बार सूखे की मार के चलते आलू का उत्पादन कम हुआ है. मई माह से लेकर अक्टूबर माह तक पहाड़ से भरपूर मात्रा में आलू की डिमांड प्रदेश की कई मंडियों में रहती है. इस बार पैदावार प्रभावित होने से आलू के दाम में उछाल देखने को मिल रहा है.

पढ़ें-श्रीनगर: अज्ञात रोग से 'तबाह' हो रही आलू की फसल, काश्तकार परेशान

व्यापारी बोले खूब है डिमांड: हल्द्वानी मंडी के आलू कारोबारी दीपक कुमार पाठक के मुताबिक हल्द्वानी से प्रदेश की कई मंडियों में पहाड़ के आलू की खूब डिमांड होती है. लेकिन इस बार पैदावार कम होने के चलते डिमांड पूरी नहीं हो पा रही है. क्योंकि पहाड़ों से आलू नहीं आ रहा है, लेकिन बाजारों में इसकी खूब मांग है. वर्तमान में पहाड़ का आलू थोक में ₹23 से लेकर ₹25 किलो बिक रहा है. यहां से रोजाना करीब 50 ट्रक आलू की डिमांड अन्य राज्यों में है, लेकिन डिमांड पूरी नहीं हो पा रही है.

जिसके चलते 15 से 20 गाड़ियां ही रोजाना अन्य मंडियों में जा रही हैं. काश्तकारों की मानें तो मई माह से अक्टूबर माह तक पहाड़ के आलू की पैदावार होती है, लेकिन इस बार शुरुआती महीनों में ही आलू खराब हो गया. इसके चलते पहाड़ के किसानों के आगे संकट खड़ा हो गया है. वहीं किसानों ने सरकार से आर्थिक मदद की गुहार लगाई है.

झुलसा रोग क्या है: गर्मी के मौसम में तापमान बहुत हाई या नमी बहुत अधिक होने से आलू पर झुलसा रोग लगता है. यह फफूंद के कारण होता है. इसके प्रकोप से पत्तियां झुलस जाती हैं. इस रोग से फसल को बचाने के लिए कीटनाशक का छिड़काव समय-समय पर करते रहना चाहिए.

हल्द्वानी: कुमाऊं के पहाड़ी क्षेत्रों के काश्तकारों का आलू आजीविका (Kumaon potato production) का मुख्य साधन है. पहाड़ के आलू की स्वाद की बात ही अलग है. नैनीताल के आलू की पहचान तो देश के उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान के अलावा अन्य राज्यों की मंडियों में भी खूब की जा रही है. लेकिन इस बार बारिश नहीं होने के चलते पहाड़ के किसानों के आगे आलू की पैदावार पर संकट खड़ा हो गया है. बारिश नहीं होने के चलते पहाड़ के आलू की पैदावार (potato production affected) पर झुलसा रोग लग गया है. जिसके चलते इस बार पहाड़ पर आलू का उत्पादन मात्र 25% ही रह गया है. ऐसे में पहाड़ के किसानों के आगे आर्थिक संकट पैदा हो गया है.

गर्मियों के मौसम में पहाड़ के आलू की डिमांड उत्तराखंड के साथ-साथ कई राज्यों में होती है, क्योंकि इस समय पहाड़ पर आलू का सीजन है. कुमाऊं मंडल के पहाड़ के काश्तकारों का आलू का उत्पादन मुख्य कृषि का साधन है, लेकिन इस बार बारिश नहीं होने के चलते पहाड़ के किसानों के आगे आलू की पैदावार का संकट खड़ा हो गया है. बारिश नहीं होने के चलते पहाड़ के आलू पर झुलसा रोग लग गया है.

बारिश न होने से आलू की पैदावार प्रभावित.

क्या कह रहे काश्तकार: काश्तकारों की मानें तो बारिश नहीं होने के चलते आलू की पैदावार खराब हो गई, जिसके चलते आलू की पैदावार इस बार बहुत कम हुई है. वहीं आलू उत्पादन में नैनीताल जनपद के रामगढ़, ओखलकांडा, धारी, भीमताल के अलावा चंपावत और अल्मोड़ा प्रमुख हैं. लेकिन इस बार सूखे की मार के चलते आलू का उत्पादन कम हुआ है. मई माह से लेकर अक्टूबर माह तक पहाड़ से भरपूर मात्रा में आलू की डिमांड प्रदेश की कई मंडियों में रहती है. इस बार पैदावार प्रभावित होने से आलू के दाम में उछाल देखने को मिल रहा है.

पढ़ें-श्रीनगर: अज्ञात रोग से 'तबाह' हो रही आलू की फसल, काश्तकार परेशान

व्यापारी बोले खूब है डिमांड: हल्द्वानी मंडी के आलू कारोबारी दीपक कुमार पाठक के मुताबिक हल्द्वानी से प्रदेश की कई मंडियों में पहाड़ के आलू की खूब डिमांड होती है. लेकिन इस बार पैदावार कम होने के चलते डिमांड पूरी नहीं हो पा रही है. क्योंकि पहाड़ों से आलू नहीं आ रहा है, लेकिन बाजारों में इसकी खूब मांग है. वर्तमान में पहाड़ का आलू थोक में ₹23 से लेकर ₹25 किलो बिक रहा है. यहां से रोजाना करीब 50 ट्रक आलू की डिमांड अन्य राज्यों में है, लेकिन डिमांड पूरी नहीं हो पा रही है.

जिसके चलते 15 से 20 गाड़ियां ही रोजाना अन्य मंडियों में जा रही हैं. काश्तकारों की मानें तो मई माह से अक्टूबर माह तक पहाड़ के आलू की पैदावार होती है, लेकिन इस बार शुरुआती महीनों में ही आलू खराब हो गया. इसके चलते पहाड़ के किसानों के आगे संकट खड़ा हो गया है. वहीं किसानों ने सरकार से आर्थिक मदद की गुहार लगाई है.

झुलसा रोग क्या है: गर्मी के मौसम में तापमान बहुत हाई या नमी बहुत अधिक होने से आलू पर झुलसा रोग लगता है. यह फफूंद के कारण होता है. इसके प्रकोप से पत्तियां झुलस जाती हैं. इस रोग से फसल को बचाने के लिए कीटनाशक का छिड़काव समय-समय पर करते रहना चाहिए.

Last Updated : Jun 25, 2022, 12:26 PM IST
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