रामनगर: कॉर्बेट टाइगर रिजर्व बाघों की जनसंख्या घनत्व के लिहाज से बेहतर है. साथ ही यहां पर बाघों की संख्या बढ़ रही है. इस बार की गणना में भी कॉर्बेट प्रशासन और वन्यजीव प्रेमियों को आशा है कि बाघों की संख्या बढ़कर आएगी, जो प्रशासन के सामने बाघों की सुरक्षा के लिहाज से किसी चुनौती से कम नहीं होगी.
कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या का सही आंकलन लगाने के लिए कैमरा ट्रैप का काम पूरा हो चुका है. इस समय बाघों की संख्या का मूल्यांकन चल रहा है. 29 जुलाई को एनटीसीए भारत में बाघों की संख्या का ऐलान करने वाला है. ऐसे में कॉर्बेट प्रशासन और वन्यजीव प्रेमियों को उम्मीद है कि इस बार भी कॉर्बेट में बाघों की संख्या का आंकड़ा बढ़कर सामने आएगा.
कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में बाघों की सही संख्या जानने के लिए फेस 4 की गणना का काम पूरा हो चुका है. यह गणना कैमरा ट्रैप के माध्यम से की गई है. कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के 1288 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में कैमरा ट्रैप लगाए गए थे. जिसमें बाघों की तस्वीरें कैद हुई है. नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (एनटीसीए) के दिशा-निर्देश पर भारतीय वन्य जीव संरक्षण कैमरा ट्रैप में कैद हुई तस्वीरों का विश्लेषण कर रहा है. संभावना है कि 29 जुलाई यानी ग्लोबल टाइगर डे के दिन एनटीसीए भारत में बाघों की संख्या का ऐलान करने वाला है.
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साल 2014 में हुई बाघों की गणना में 215 बाघ अकेले कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में निकल कर सामने आए थे. वन्यजीव प्रेमियों को आशा है कि इस बार हुई बाघों की गणना में यह आंकड़ा पिछली गणना के मुकाबले बढ़ सकता है. वन्यजीव प्रेमियों का यह भी मानना है कि बाघ एक टेरिटोरियल प्राणी है और बाघ कॉर्बेट का दायर सीमित है. ऐसे में बाघों का बढ़ना कॉर्बेट प्रशासन के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है, क्योंकि कॉर्बेट प्रशासन के सामने बाघों की सुरक्षा करना तथा उनके आपसी संघर्ष को रोकना आसान काम नहीं है.
कॉर्बेट में बाघों की संख्या बढ़ना अच्छी बात है. कॉर्बेट प्रशासन के सामने बाघों की सुरक्षा करना सबसे बड़ी चुनौती होगी, क्योंकि कॉर्बेट का दायरा सीमित है और बाघों का जनसंख्या घनत्व बढ़ रहा है. बाघों को शिकारियों से बचाना और बाघों के आपसी संघर्ष को रोकना किसी युद्ध से कम नहीं है.