हल्द्वानीः शहर के गोरापड़ाव क्षेत्र के चर्चित 42 वर्षीय पूनम हत्याकांड को आज एक साल पूरा हो गया है, लेकिन पुलिस एक साल बाद भी हत्यारों तक नहीं पहुंच पाई है, जबकि मृतक के परिजनों को न्याय का इंतजार है. इस हत्याकांड ने हल्द्वानी समेत पूरे प्रदेश को हिलाकर रख दिया था. वहीं पूरी घटना में पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं.
दरअसल गोरापड़ाव क्षेत्र के रहने वाले ट्रांसपोर्टर लक्ष्मीदत्त पांडे के घर 28 अगस्त 2018 की रात बदमाशों ने तांडव मचाते हुए बेरहमी से घर की मालकिन पूनम पांडे को मौत के घाट उतार दिया था जबकि उनकी बेटी अर्शी पांडे को अधमरा कर छोड़ दिया था और उनके पालतू कुत्ते को भी मौत के घाट उतारा गया था. उस समय यह हत्याकांड पुलिस के लिए चुनौती बन गया था.
जिसके बाद पुलिस ने लगभग 30 टीमें गठित कर हत्याकांड का खुलासा करने की कोशिश की, लेकिन पुलिस के हाथ कुछ भी नहीं लगा था. इस हत्याकांड के खुलासे के लिए पुलिस एक साल से काम कर रही है लेकिन पुलिस के हाथ खाली हैं. इस मामले में पुलिस ने करीब एक लाख से अधिक मोबाइल नंबरों की छानबीन की. वहीं करीब 100 संदिग्ध नंबरों को सर्विलांस पर लगाकर जानकारी जुटाई.
साथ ही पुलिस ने 30 टीमें भी गठित कर 75 से अधिक सीसीटीवी फुटेज भी खंगाले. जबकि 100 से अधिक युवक और युवतियों को हिरासत में लेकर पूछताछ भी की, लेकिन पुलिस किसी भी नतीजे पर नहीं पहुंची. जिसके बाद हाई कोर्ट ने मामले को संज्ञान में लेते हुए एसआईटी टीम गठित कर जल्द मामला सुलझाने के निर्देश दिए, फिर भी पुलिस भी पुलिस फेल साबित हुई.
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इस हत्याकांड के खुलासे को लेकर पुलिस पर खासा दबाव भी देखा गया. जिसके बाद पुलिस ने न्यायालय की अनुमति के बाद पूनम पांडे के परिवार, उनके करीबियों और आधा दर्जन लोगों का पॉलीग्राफ टेस्ट भी कराया लेकिन उससे भी पुलिस के हाथ कोई भी सुराग नहीं लगा.
पूनम पांडे की हत्या को एक साल हो चुके हैं लेकिन पूनम पांडे के परिजनों को अभी तक न्याय नहीं मिल पाया है. पूनम पांडे के हत्यारे खुलेआम घूम रहे हैं. वहीं इस संबंध में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सुनील कुमार मीणा का कहना है कि पुलिस अभी भी इस मामले में लगातार काम कर रही है. मामले का जल्द खुलासा कर दिया जाएगा.