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छात्र राजनीति की धुरी रहा कुमाऊं का ये कॉलेज, CM से लेकर नेपाल के PM तक रह चुके हैं यहां के छात्र नेता

कुमाऊं विश्वविद्याल के नैनीताल डीएसबी कॉलेज का नाम देश की राजनीति ही नहीं बल्कि पड़ोसी देश की राजनीति में भी दर्ज है. भारत के पड़ोसी देश नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री लोकेंद्र बहादुर सिंह भी इसी कॉलेज के छात्र रहे हैं.

नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री.
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Published : Sep 9, 2019, 9:02 AM IST

Updated : Sep 9, 2019, 9:11 AM IST

नैनीताल: भारत के पड़ोसी राज्य नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री लोकेंद्र बहादुर चंद का देवभूमि से गहरा नाता है. लोकेंद्र बहादुर चंद का छात्र जीवन नैनीताल में बीता. कुमाऊं विश्वविद्यालय के डीएसबी कैंपस से लोकेंद्र बहादुर चंद ने छात्रसंघ का चुनाव भी लड़ा. नैनीताल के डीएसबी कॉलेज से पढ़े छात्र पढ़ाई के साथ-साथ देश के संचालन में भी अग्रणी रहे हैं. यही कारण है कि जब छात्र संघ चुनाव होता है तो पूरे प्रदेश की नजर नैनीताल के डीएसबी कॉलेज पर रहती है.

इतिहास गवाह है कि नैनीताल के इस कॉलेज से जो भी नेता आगे बढ़ा, वह देश और प्रदेश के शीर्ष स्थान तक जरूर पहुंचा. जिनमें से एक नाम है नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री लोकेंद्र बहादुर चंद्र का. लोकेंद्र बहादुर नैनीताल के इसी कॉलेज के छात्र रहे और उन्होंने अपने जीवन काल में छात्रसंघ का चुनाव भी लड़ा. जिसके बाद वह अपने देश वापस नेपाल लौटे. नैनीताल से जाने के बाद वो नेपाल की सक्रिय राजनीति में कूद पड़े और आगे बढ़ते-बढ़ते देश के प्रधानमंत्री के पद तक पहुंच गए.

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पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी के साथ लोकेंद्र बहादुर सिंह.

उत्तराखंड और देश की राजनीति के लिए भी नैनीताल का यह कॉलेज एक मिसाल है. देश के आजाद होने के बाद से आज तक उत्तर प्रदेश से लेकर उत्तराखंड तक मुख्यमंत्री, संसाद और कई विधायक भी दे चुका है. जिनमें उत्तराखंड के विकास पुरुष कहे जाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय नारायण दत्त तिवारी, नैनीताल के पूर्व सांसद के सी पंत, पूर्व संसाद केसी सिंह बाबा, पूर्व संसाद इला पंत रहीं. वहीं नैनीताल के पूर्व विधायक नारायण सिंह जंतवाल, खड़क सिंह बोरा, राम सिंह कैड़ा, महिला कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सरिता आर्य भी नैनीताल के इसी कालेज की छात्र रह चुकी हैं.

नैनीताल के डीएसबी कॉलेज का राजनीतिक महत्व

पढ़ें- ऋषिकेश को सीएम ने दी सौगात, किया करोड़ों रुपए की योजनाओं का शिलान्यास

डीएसबी कॉलेज के पूर्व छात्र और प्रोफेसर अजय रावत का मानना है कि समय के बदलाव के साथ-साथ छात्र संघ चुनाव में भी काफी बदलाव आया है. पहले छात्र संघ चुनाव केवल कॉलेज की सीमा तक सीमित के रहते थे. जबकि आज यह चुनाव कॉलेज का न होकर बल्कि पूरे शहर का हो गया है. इसमें छात्र जुलूस निकालकर शहरों में बढ़ते हैं, जिससे अराजकता का माहौल पैदा होता है. पहले के समय में किसी भी छात्र का राजनीतिक जीवन से कोई संबंध नहीं होता था, लेकिन आज कॉलेज का चुनाव लड़ने वाला हर छात्र किसी न किसी राजनीतिक दल से जरूर जुड़ा होता है. आज का चुनाव धन बल और शराब के दम पर जीतने वाला चुनाव हो गया है.

नैनीताल: भारत के पड़ोसी राज्य नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री लोकेंद्र बहादुर चंद का देवभूमि से गहरा नाता है. लोकेंद्र बहादुर चंद का छात्र जीवन नैनीताल में बीता. कुमाऊं विश्वविद्यालय के डीएसबी कैंपस से लोकेंद्र बहादुर चंद ने छात्रसंघ का चुनाव भी लड़ा. नैनीताल के डीएसबी कॉलेज से पढ़े छात्र पढ़ाई के साथ-साथ देश के संचालन में भी अग्रणी रहे हैं. यही कारण है कि जब छात्र संघ चुनाव होता है तो पूरे प्रदेश की नजर नैनीताल के डीएसबी कॉलेज पर रहती है.

इतिहास गवाह है कि नैनीताल के इस कॉलेज से जो भी नेता आगे बढ़ा, वह देश और प्रदेश के शीर्ष स्थान तक जरूर पहुंचा. जिनमें से एक नाम है नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री लोकेंद्र बहादुर चंद्र का. लोकेंद्र बहादुर नैनीताल के इसी कॉलेज के छात्र रहे और उन्होंने अपने जीवन काल में छात्रसंघ का चुनाव भी लड़ा. जिसके बाद वह अपने देश वापस नेपाल लौटे. नैनीताल से जाने के बाद वो नेपाल की सक्रिय राजनीति में कूद पड़े और आगे बढ़ते-बढ़ते देश के प्रधानमंत्री के पद तक पहुंच गए.

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पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी के साथ लोकेंद्र बहादुर सिंह.

उत्तराखंड और देश की राजनीति के लिए भी नैनीताल का यह कॉलेज एक मिसाल है. देश के आजाद होने के बाद से आज तक उत्तर प्रदेश से लेकर उत्तराखंड तक मुख्यमंत्री, संसाद और कई विधायक भी दे चुका है. जिनमें उत्तराखंड के विकास पुरुष कहे जाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय नारायण दत्त तिवारी, नैनीताल के पूर्व सांसद के सी पंत, पूर्व संसाद केसी सिंह बाबा, पूर्व संसाद इला पंत रहीं. वहीं नैनीताल के पूर्व विधायक नारायण सिंह जंतवाल, खड़क सिंह बोरा, राम सिंह कैड़ा, महिला कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सरिता आर्य भी नैनीताल के इसी कालेज की छात्र रह चुकी हैं.

नैनीताल के डीएसबी कॉलेज का राजनीतिक महत्व

पढ़ें- ऋषिकेश को सीएम ने दी सौगात, किया करोड़ों रुपए की योजनाओं का शिलान्यास

डीएसबी कॉलेज के पूर्व छात्र और प्रोफेसर अजय रावत का मानना है कि समय के बदलाव के साथ-साथ छात्र संघ चुनाव में भी काफी बदलाव आया है. पहले छात्र संघ चुनाव केवल कॉलेज की सीमा तक सीमित के रहते थे. जबकि आज यह चुनाव कॉलेज का न होकर बल्कि पूरे शहर का हो गया है. इसमें छात्र जुलूस निकालकर शहरों में बढ़ते हैं, जिससे अराजकता का माहौल पैदा होता है. पहले के समय में किसी भी छात्र का राजनीतिक जीवन से कोई संबंध नहीं होता था, लेकिन आज कॉलेज का चुनाव लड़ने वाला हर छात्र किसी न किसी राजनीतिक दल से जरूर जुड़ा होता है. आज का चुनाव धन बल और शराब के दम पर जीतने वाला चुनाव हो गया है.

Intro:Summry नैनीताल के डीएसबी कॉलेज का खास है राजनीतिक महत्व, यहा के पूर्व छात्र नेता रह चुके है नेपाल के प्रधानमंत्री, और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री। Intro देश की राजनीति में कुमाऊं विश्वविद्यालय नैनीताल के डीएसबी केंपस का गहरा नाता रहा है नैनीताल के डीएसबी कॉलेज से पढ़े छात्र पढ़ाई के साथ साथ देश के संचालन में भी अग्रणी स्थान में रहे यही कारण है कि छात्र संघ चुनाव से लेकर विधानसभा और लोकसभा चुनाव को लेकर उत्तराखंड की नजर नैनीताल के डीएसबी कॉलेज में रहती है, इतिहास गवाह है कि नैनीताल के इस कॉलेज से जो भी नेता आगे बढ़ा वह देश और प्रदेश के शीर्ष स्थान तक जरूर पहुंचा जिनमें से एक नाम है नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री लोकेंद्र बहादुर चंद्र का नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री नैनीताल के इसी कॉलेज के छात्र रहे और उन्होंने अपने जीवन काल में छात्रसंघ का चुनाव भी लड़ा जिसके बाद वह अपने देश वापस नेपाल लौटे और नेपाल की सक्रिय राजनीति में कूद पड़े और आगे बढ़ते बढ़ते देश के सर्वोच्च पद प्रधानमंत्री के पद तक पहुंच गए


Body:वहीं उत्तराखंड और देश की राजनीति के लिए भी नैनीताल का यह कॉलेज एक मिसाल है देश के आजाद होने के बाद से आज तक उत्तर प्रदेश से लेकर उत्तराखंड तक मुख्यमंत्री,संसाद और कई विधायक भी दे चुका है, जिनमे उत्तराखंड के विकास पुरुष मुख्यमंत्री स्वर्गीय नारायण दत्त तिवारी, नैनीताल के पूर्व सांसद के सी पंत, पूर्व संसाद के सी सिंह बाबा, पूर्व संसाद इला पंत रही, वहीं नैनीताल के पूर्व विधायक नारायण सिंह जंतवाल, खड़क सिंह बोरा, राम सिंह केड़ा, महिला कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सरिता आर्य भी नैनीताल के इसी कालेज के छात्र रह चुके है। नैनीताल का यह कॉलेज उत्तराखंड का एक ऐसा कॉलेज है जिससे चुने जाने वाले नेता उत्तराखंड की राजनीतिक के शीर्ष तक जरूर पहुचता है। बाईट- प्रो0 अजय रावत, पूर्व छात्र और प्रोफेसर।


Conclusion:वहीं डीएसपी कॉलेज के पूर्व छात्र और प्रोफेसर अजय रावत का मानना है कि समय के बदलाव के साथ-साथ छात्र संघ चुनाव में भी काफी बदलाव आया है, जहां पहले छात्र संघ चुनाव केवल कॉलेज की सीमा तक सीमित के रहते थे वही आज यह चुनाव कॉलेज का ना होकर बल्कि पूरे शहर का हो गया है इसमें छात्र जुलूस निकालकर शहरों में बढ़ते हैं, जिससे अराजकता का माहौल पैदा होता है, पूर्व समय में किसी भी छात्र के चुनाव का राजनीतिक जीवन से कोई संबंध नहीं होता था और आज कॉलेज का चुनाव लड़ने वाला हर छात्र किसी न किसी राजनीतिक दल से जरूर जुड़ा होता है वहीं आज का चुनाव धन बल और शराब के दम पर जीतने वाला चुनाव हो गया है । बाईट- प्रो0 अजय रावत।
Last Updated : Sep 9, 2019, 9:11 AM IST
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