नैनीताल: आज कवयित्री महादेवी वर्मा की 115वीं जयंती है. इस मौके पर कुमाऊं विश्वविद्यालय की रामगढ़ स्थित महादेवी वर्मा सृजन पीठ में 'कविता में समकाल' विषय पर नवां महादेवी वर्मा स्मृति व्याख्यान कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में महादेवी वर्मा को याद कर श्रद्धांजलि दी गई.
कार्यक्रम के दौरान कुमाऊं विश्वविद्यालय के प्रोफेसर शिरीष मौर्य ने बताया कि कोरोना काल में भी पीठ की साहित्यिक गतिविधियों को जीवंत बनाए रखने का प्रयास किया गया. अब तक पीठ द्वारा चालीस प्रमुख साहित्यकारों के ऑनलाइन माध्यम से व्याख्यान और रचना पाठ के कार्यक्रम आयोजित किए हैं. इस वर्ष महादेवी वर्मा की जयंती से सामूहिक भागीदारी के आयोजन भी प्रारंभ कर रही है.
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कुमाऊं विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो एनके जोशी ने कहा हिंदी साहित्य की विदुषी कवयित्री महादेवी वर्मा ने रामगढ़ में भवन बनवाकर यहां जो साहित्य सृजन किया, वह साहित्य जगत की अमूल्य धरोहर है. उनके द्वारा उमागढ़ को साहित्य सृजन के लिए चुना जाना हम सब के लिए गौरव की बात है. यह कुमाऊं विश्वविद्यालय के लिए भी गौरव की बात है कि उसे प्रदेश सरकार ने इस महत्वपूर्ण धरोहर के संरक्षण की जिम्मेदारी सौंपी है.
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मुख्य वक्ता वरिष्ठ साहित्यकार हरीश चन्द्र पाण्डे ने कहा समकालीनता केवल काल विशेष से संबद्ध नहीं होती, यहां सार्थकता का तत्व महत्वपूर्ण है. निरर्थक नया कविता के किसी काम का नहीं. कविता में समकाल को एकदम घटनाओं की वर्तमानता के परिप्रेक्ष्य में ही देखा जाना उचित नहीं. उन्होंने कहा अगर छायावाद के समकाल को लें तो पंत, प्रसाद, निराला और महादेवी चारों कविता के भिन्न समकालीन स्वर हैं. इनमें निराला की कविता अपने समकाल के अधिक निकट खड़े लगती हैं.