हल्द्वानी: अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान दिल्ली (AIIMS) में मुख्य सतर्कता अधिकारी रहे आईएफएस संजीव चतुर्वेदी ने कई आईएएस और आईपीएस अधिकारियों को कटघरे में खड़ा कर दिया है. जिससे वे सरकार और नौकरशाहों की आंखों की किरकिरी बने हुए हैं. वहीं संजीव चतुर्वेदी को हटाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन से टेलीफोन पर बात की थी. सूचना के अधिकार के तहत मिले दस्तावेज इस ओर इशारा कर रहे हैं.
गौर हो कि 2012 से 2014 तक अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (AIIMS) में मुख्य सतर्कता अधिकारी के तौर पर काम करने वाले IFS अधिकारी संजीव चतुर्वेदी भ्रष्टाचार के 200 से अधिक मामले को उजागर कर चुके हैं.
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संजीव चतुर्वेदी 2012 से लेकर 2014 तक दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान के मुख्य सतर्कता अधिकारी के तौर पर कार्यरत रहे. इन दो साल के कार्यकाल के दौरान संजीव चतुर्वेदी ने कई भ्रष्टाचार के मामलों की परत दर परत खोली है. जिसके चलते वे सरकार के साथ ही नौकरशाहों की आंखों में चुभने लगे.
तत्कालीन स्वास्थ्य सचिव लव वर्मा ने एक पत्र प्रधानमंत्री के सचिव पीके मिश्रा को 23 अगस्त 2014 को लिखा था. जिसमें कहा गया था कि संजीव चतुर्वेदी को कार्यमुक्त करने लिए प्रधानमंत्री की स्वास्थ्य मंत्री से फोन पर बातचीत हुई है. जिसके बाद स्वास्थ्य मंत्री ने AIIMS के उस वक्त के IFS अधिकारी संजीव चतुर्वेदी को जबरन छुट्टी पर भेज दिया था.
वो चिट्ठी ईटीवी भारत के पास मौजूद है. वर्तमान में आईएफएस संजीव चतुर्वेदी हल्द्वानी वन अनुसंधान केंद्र में तैनात हैं. उनकी ईमानदारी और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई बड़े नौकरशाहों और राजनेताओं को पसंद नहीं है. 19 मुकदमे और दर्जन भर से ज्यादा ट्रांसफर झेल चुके मैग्सेसे अवार्ड विजेता नौकरशाह संजीव चतुर्वेदी को हटाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन से टेलीफोन पर बात की थी.
वर्ष 2012 में तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद के कार्यकाल में हरियाणा कॉडर के आईएसएफ संजीव चतुर्वेदी को एआईआईएमएस (आल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस) का सीडब्लूओ नियुक्त किया गया था. एआईआईएमएस के डीपी डॉक्टर विनीत चौधरी के खिलाफ सीबीआई जांच की शिकायत की थी. जिसके बाद सीबीआई ने भी चौधरी के खिलाफ मामला दर्ज किया था.
एम्स में सीवीओ रह चुके चतुर्वेदी विवादों में रहे हैं और उन्होंने अदालत में जाकर ये कहा था कि उन्हें कोई काम नहीं दिया जा रहा. चतुर्वेदी दिल्ली एम्स में कई भ्रष्टाचार के मामलों को उजागर करने के लिए जाने जाते हैं. उन्हें एम्स के सीवीओ पद से हटाया गया तो बड़ा विवाद हुआ था.
साल 2012 में तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद के कार्यकाल में हरियाणा कॉडर के IFS अधिकारी संजीव चतुर्वेदी को AIIMS का CVO नियुक्त किया गया. CVO नियुक्त होने से पहले हरियाणा के DFO रहते हुए संजीव चतुर्वेदी ने भ्रष्टाचार के कई मामलों को उजागर किया. जिससे तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ उनकी नहीं बनती थी. वहीं हरियाणा कॉडर के आईएएस अशोक खेमका का भी नाम 2012 में तब सामने आया जब उन्होंने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के पति राबर्ट वाड्रा की कंपनी और रीयल एस्टेट कंपनी डीएलएफ के बीच हुए जमीन सौदे को रद्द कर दिया था. अपने 27 साल के करियर में IAS खेमका का 52 बार ट्रांसफर हो चुका है. तेज तर्रार अफसर के तौर पर पहचान रखने वाले दोनों अधिकारी IFS चतुर्वेदी और IAS खेमका का नाम हमेशा विवादों से जुड़ा रहा है. सबसे रोचक बात ये है कि दोनों ही अफसर हरियाणा कॉडर से आते हैं.