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उत्तराखंड: जनसंख्या की बजाए भौगोलिक स्थिति पर परिसीमन की मांग, मामला पहुंचा हाईकोर्ट

नैनीताल हाईकोर्ट ने राज्य में परिसीमन को जनसंख्या के आधार पर न करके भौगोलिक आधार पर किए जाने की मांग वाली याचिका को निस्तारित कर दिया है. हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता से राज्य सरकार को प्रत्यावेदन करने के लिए कहा है.

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Published : Dec 10, 2019, 8:05 AM IST

नैनीताल: उत्तराखंड का परिसीमन जनसंख्या के आधार पर न करके प्रदेश की विषम भौगोलिक परिस्थिति के आधार पर करने का मामला नैनीताल हाईकोर्ट पहुंच गया है. मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने की. इस दौरान खंडपीठ ने याचिकाकर्ता के इस मांग को लेकर राज्य सरकार के पास प्रत्यावेदन करने के निर्देश दिए हैं.

बता दें, रामनगर निवासी प्रेम चंद्र जोशी ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि उत्तराखंड एक पहाड़ी राज्य है. जिसकी अधिकांश जनसंख्या मैदानी क्षेत्र की ओर पलायन कर रही है. जिस वजह से चुनाव में परिसीमन करने की जरूरत है. पहाड़ी राज्य होने के कारण परिसीमन जनसंख्या के आधार पर न करके भौगोलिक क्षेत्रफल के आधार पर किया जाना चाहिए, ताकि पहाड़ों से पलायन पर रोक लग सके और पहाड़ी क्षेत्रों में सुविधाएं भी दी जा सकें.

याचिकाकर्ता का कहना है कि अगर सरकार पहाड़ी क्षेत्रों में परिसीमन जनसंख्या को आधार करती है तो विकास संभव नहीं है और जिस वजह से उत्तराखंड का निर्माण हुआ, वो अवधारणा भी अधूरी रह जाएगी. पहाड़ी क्षेत्रों से लगातार पलायन बढ़ेगा.

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याचिकाकर्ता ने उत्तर प्रदेश शासन के दौरान गठित किए गए साल 1994 में मुलायम सिंह द्वारा पलायन आयोग का भी याचिका में जिक्र किया. जिसमें कहा गया है कि उत्तराखंड के 8 जिलों में परिसीमन भौगोलिक आधार पर होगा. इस पर मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को अपना प्रत्यावेदन राज्य सरकार के पास करने के निर्देश दिए हैं.

नैनीताल: उत्तराखंड का परिसीमन जनसंख्या के आधार पर न करके प्रदेश की विषम भौगोलिक परिस्थिति के आधार पर करने का मामला नैनीताल हाईकोर्ट पहुंच गया है. मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने की. इस दौरान खंडपीठ ने याचिकाकर्ता के इस मांग को लेकर राज्य सरकार के पास प्रत्यावेदन करने के निर्देश दिए हैं.

बता दें, रामनगर निवासी प्रेम चंद्र जोशी ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि उत्तराखंड एक पहाड़ी राज्य है. जिसकी अधिकांश जनसंख्या मैदानी क्षेत्र की ओर पलायन कर रही है. जिस वजह से चुनाव में परिसीमन करने की जरूरत है. पहाड़ी राज्य होने के कारण परिसीमन जनसंख्या के आधार पर न करके भौगोलिक क्षेत्रफल के आधार पर किया जाना चाहिए, ताकि पहाड़ों से पलायन पर रोक लग सके और पहाड़ी क्षेत्रों में सुविधाएं भी दी जा सकें.

याचिकाकर्ता का कहना है कि अगर सरकार पहाड़ी क्षेत्रों में परिसीमन जनसंख्या को आधार करती है तो विकास संभव नहीं है और जिस वजह से उत्तराखंड का निर्माण हुआ, वो अवधारणा भी अधूरी रह जाएगी. पहाड़ी क्षेत्रों से लगातार पलायन बढ़ेगा.

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याचिकाकर्ता ने उत्तर प्रदेश शासन के दौरान गठित किए गए साल 1994 में मुलायम सिंह द्वारा पलायन आयोग का भी याचिका में जिक्र किया. जिसमें कहा गया है कि उत्तराखंड के 8 जिलों में परिसीमन भौगोलिक आधार पर होगा. इस पर मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को अपना प्रत्यावेदन राज्य सरकार के पास करने के निर्देश दिए हैं.

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उत्तराखंड में परिसीमन जनसंख्या के आधार पर नही बल्कि क्षेत्रफल के आधार पर किया जाए।


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उत्तराखंड का परिसीमन जनसंख्या के आधार पर ना करके उत्तराखंड की विषम भौगोलिक परिस्थिति के आधार पर करने का मामला नैनीताल हाईकोर्ट की शरण में जा पहुंचा मामले में सुनवाई करते हुए नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को अपनी इस मांग को लेकर राज्य सरकार के पास प्रत्यावेदन करने के निर्देश दिए हैं।


Body:आपको बता दें कि रामनगर निवासी प्रेम चंद्र जोशी ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि उत्तराखंड एक पहाड़ी राज्य है जिसका अधिकांश जनसंख्या मैदानी क्षेत्र की ओर पलायन कर रही है, जिस वजह से चुनाव में परिसीमन करने की जरूरत होने लगी है वहीं याचिकाकर्ता का कहना है कि पहाड़ी राज्य होने के कारण यहां परिसीमन जनसंख्या के आधार पर ना करके भौगोलिक क्षेत्रफल के आधार पर किया जाना चाहिए, ताकि पहाड़ो से पलायन पर रोक लग सके और पहाड़ी क्षेत्रों में सुविधाएं भी दी जा सकी।


Conclusion:साथ ही याचिकाकर्ता का कहना है कि अगर सरकारों द्वारा उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में परिसीमन जनसंख्या को आधार बना कर किया जाएगा तो पहाड़ों का विकास संभव नहीं है, और जिस वजह से उत्तराखंड का निर्माण हुआ अवधारणा भी अधूरी रह जाएगी और उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों से लगातार पलायन बढ़ेगा,
याचिकाकर्ता द्वारा उत्तर प्रदेश शासन के दौरान गठित किए गए 1994 मैं मुलायम सिंह द्वारा पलायन आयोग का भी याचिका में जिक्र किया जिसमें कहा गया है कि उत्तराखंड के 8 जिलों में परिसीमन भौगोलिक आधार पर होगा, मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को अपना प्रत्यावेदन राज्य सरकार के पास करने के निर्देश दिए हैं साथ ही याचिका को निस्तारित कर दिया।

बाईट- पी सी जोशी, याचिकाकर्ता।
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