नैनीताल: उत्तराखंड का परिसीमन जनसंख्या के आधार पर न करके प्रदेश की विषम भौगोलिक परिस्थिति के आधार पर करने का मामला नैनीताल हाईकोर्ट पहुंच गया है. मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने की. इस दौरान खंडपीठ ने याचिकाकर्ता के इस मांग को लेकर राज्य सरकार के पास प्रत्यावेदन करने के निर्देश दिए हैं.
बता दें, रामनगर निवासी प्रेम चंद्र जोशी ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि उत्तराखंड एक पहाड़ी राज्य है. जिसकी अधिकांश जनसंख्या मैदानी क्षेत्र की ओर पलायन कर रही है. जिस वजह से चुनाव में परिसीमन करने की जरूरत है. पहाड़ी राज्य होने के कारण परिसीमन जनसंख्या के आधार पर न करके भौगोलिक क्षेत्रफल के आधार पर किया जाना चाहिए, ताकि पहाड़ों से पलायन पर रोक लग सके और पहाड़ी क्षेत्रों में सुविधाएं भी दी जा सकें.
याचिकाकर्ता का कहना है कि अगर सरकार पहाड़ी क्षेत्रों में परिसीमन जनसंख्या को आधार करती है तो विकास संभव नहीं है और जिस वजह से उत्तराखंड का निर्माण हुआ, वो अवधारणा भी अधूरी रह जाएगी. पहाड़ी क्षेत्रों से लगातार पलायन बढ़ेगा.
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याचिकाकर्ता ने उत्तर प्रदेश शासन के दौरान गठित किए गए साल 1994 में मुलायम सिंह द्वारा पलायन आयोग का भी याचिका में जिक्र किया. जिसमें कहा गया है कि उत्तराखंड के 8 जिलों में परिसीमन भौगोलिक आधार पर होगा. इस पर मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को अपना प्रत्यावेदन राज्य सरकार के पास करने के निर्देश दिए हैं.