नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट में सोमवार को वन विभाग के पूर्व प्रमुख राजीव भरतरी को पद से हटाए जाने को लेकर दाखिल याचिका पर सुनवाई हुई. मामले को सुनने के बाद न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी एवं आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने मामले को निस्तारित करते हुए उन्हें सरकार के इस आदेश के खिलाफ सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल (Central Administrative Tribunal) में चुनौती देने को कहा है. इसके साथ ही कोर्ट ने कैट (Central Administrative Tribunal) को निर्देश दिए हैं कि इस मामले को शीघ्र निस्तारित किया जाए.
उत्तराखंड वन विभाग में हेड ऑफ फारेस्ट के पद से आईएफएस अधिकारी राजीव भरतरी को हटाने के बाद यह पद विवादों में आ गया है. दरअसल, इस पद पर विनोद सिंघल को नियुक्ति दी गई है. इस फैसले को आईएफएस अधिकारी राजीव भरतरी ने कोर्ट में चुनौती दी थी. राजीव भरतरी का तर्क है कि उन्हें गलत तरीके से इस पद से हटाया गया है. जबकि जैव विविधता बोर्ड के अध्यक्ष के पद पर उन्हें बिना आवेदन किए ही तैनाती दे दी गई है.
वरिष्ठ आईएफएस अधिकारी राजीव भरतरी ने कहा है कि वे राज्य के सबसे सीनियर भारतीय वन सेवा के अधिकारी हैं. लेकिन, सरकार ने 25 नवंबर 2021 को उनका ट्रांसफर प्रमुख वन संरक्षक पद से अध्यक्ष जैव विविधता बोर्ड के पद पर कर दिया. जिसके बाद उन्होंने सरकार को चार प्रत्यावेदन भी दिए. लेकिन सरकार ने इन प्रत्यावेदनों की सुनवाई नहीं की.
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राजीव भरतरी ने कहा कि उनका ट्रांसफर राजनीतिक कारणों से किया गया है, जिसमें उनके संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन हुआ है. उल्लेखनीय है कि भरतरी के स्थानांतरण के पीछे एक मुख्य कारण कॉर्बेट नेशनल पार्क के भीतर हो रहे अवैध निर्माण की राजीव भरतरी द्वारा की जा रही जांच को प्रभावित करना भी माना जा रहा था. आरोप है कि एक मंत्री एक अधिकारी के समर्थन में राजीव भरतरी को पीसीसीएफ पद समेत कॉर्बेट पार्क में हो रहे निर्माण कार्यों की जांच से हटाना चाहते थे.