हल्द्वानीः बिंदुखत्ता को राजस्व गांव घोषित करने और अतिक्रमण की लिस्ट से बाहर करने की मांग तेज हो गई है. आज बड़ी संख्या में लोगों ने बिंदुखत्ता से लेकर लालकुआं की सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन किया. इस दौरान उन्होंने लालकुआं तहसील पहुंचकर एसडीएम के माध्यम से सरकार को ज्ञापन भेजा. प्रदर्शनकारियों ने बिंदुखत्ता को जल्द से जल्द राजस्व गांव और अतिक्रमण सूची से बाहर करने की मांग उठाई. वहीं, सुरक्षा के मद्देनजर भारी पुलिस फोर्स तैनात रहा.
दरअसल, बिंदुखत्ता को राजस्व गांव बनाने की मांग को लेकर हजारों की संख्या में लोगों ने जुलूस निकाला. जिसके बाद तहसील पहुंच प्रदर्शनकारियों ने उप जिलाधिकारी मनीष कुमार सिंह के माध्यम से मुख्यमंत्री धामी को ज्ञापन भेजा. इस दौरान एक सभा का आयोजन भी किया गया. जिसमें जनप्रतिनिधियों ने कहा कि बिंदुखत्ता के लोग पिछले कई दशकों से यहां निवास कर रहे हैं. यहां की आबादी करीब एक लाख है. ज्यादातर यहां पर सैनिक और पूर्व सैनिकों के परिवार रहते हैं.
नेताओं पर वादा खिलाफी का आरोपः राजस्व गांव की मांग को लेकर पिछले कई सालों से आंदोलन भी कर रहे हैं, लेकिन सरकारें आती हैं और राजस्व गांव का वादा कर चली जाती हैं. आज तक गांव को राजस्व गांव का दर्जा नहीं मिल पाया है. प्रदेश में डबल इंजन वाली सरकार है. फिर भी बिंदुखत्ता को राजस्व गांव का दर्जा नहीं दिया जा रहा है. उन्होंने स्थानीय बीजेपी नेताओं पर वादा खिलाफी का आरोप है.
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गांव को अतिक्रमण क्षेत्र की लिस्ट से हटाने की मांग: प्रदर्शनकारियों का कहना है कि बीजेपी सरकार के जनप्रतिनिधि जनता को गुमराह कर रहे हैं. चुनाव नजदीक आते ही बीजेपी को बिंदुखत्ता को लेकर राजस्व गांव की याद आती है. उन्होंने कहा कि एक ओर राज्य सरकार बिंदुखत्ता को अतिक्रमण क्षेत्र बताकर उजाड़ने की साजिश रच रही है, वहीं दूसरी ओर बीजेपी सरकार के नेता बिंदुखत्ता को राजस्व गांव बनाने के खोखले दावे कर रहे हैं, जिनका सच जनता के सामने आ गया है.
उनका कहना है कि अगर जल्द ही बिंदुखत्ता को राजस्व गांव का दर्जा नहीं दिया गया तो उनकी ओर से उग्र आंदोलन किया जाएगा. प्रदर्शनकारियों ने कहा कि लोकसभा चुनाव 2024 नजदीक है. सरकार लोकसभा चुनाव से पहले बिंदुखत्ता को राजस्व गांव घोषित करें. राज्य सरकार ने बिंदुखत्ता गांव को अतिक्रमणकारी भी घोषित कर दिया है. ऐसे में सरकार को चाहिए कि इस गांव को अतिक्रमण लिस्ट से बाहर किया जाए.