रामनगर: कश्यप समाज के लोगों ने सावन से पहले दरिया बादशाह की पूजा- अर्चना की. पूजा रोजगार में उन्नति और घर में सुख-शांति के लिए की जाती है. कश्यप समाज में पूजा पाठ की ये परंपरा अतीत से चली आ रही है. पूजा में दरिया बादशाह को भोग लगाकर उपासना की जाती है.
कश्यप समाज के लोग कोसी नदी से मछलियां पकड़कर अपने परिवार का भरन पोषण करते रहे हैं. सावन से पहले समाज के लोग रोजगार में उन्नति और घर में सुख-शांति के लिए पूजा-अर्चना करते हैं. समाज के लोग कोसी नदी में ज्यादा पानी और मछलियां आने की कामना करते हैं. जिससे उनका रोजगार साल भर अच्छा चल सके. कश्यप समाज का मानना है कि ये प्रथा कई दर्शकों से उनके पूर्वजों द्वारा चलती जा रही है.
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अतीत की इस परंपरा को आज भी वे संजोए हुए हैं. कश्यप समाज के लोगों की मानें तो बीच में बकरे की बलि देने की जगह कान काटकर छोड़ दिया जाता था. जिसका असर यह हुआ कि कश्यप समाज का मछलियों से जुड़ा रोजगार ठप हो गया और समाज को भूखे मरने की नौबत आ गई. जिससे बुजुर्गों के कहने पर आज बकरे की बलि की प्रथा दोबारा शुरू की गई है. ताकि उनका रोजगार फिर से फल-फूल सके. हर साल होने वाली पूजा अर्चना में बकरा चढ़ाकर, हवन किया जाता है.
इस दौरान भंडारे का भी आयोजन किया जाता है. इसी के चलते रामनगर की कोसी नदी किनारे कश्यप समाज के लोगों ने एकत्र होकर दरिया बादशाह की सच्चे मन से उपासना की. जिसमें समाज के लोगों ने बढ़- चढ़ कर भाग लिया.