रामनगर: पूरे विश्व में विश्व पैंगोलिन दिवस मनाया जा रहा है, इसका मुख्य उद्देश्य ये है कि पैंगोलिन जो कि दुर्लभ प्रजाति है. उस प्रजाति के जीव के अस्तित्व बचाने के लिए लोगों में इसकी जागरुकता फैलाई जाए. पैंगोलिन की घटती संख्या को देखते हुए इसे संकटग्रस्त जीवों की प्रजाति में शामिल किया गया है. वहीं, उत्तराखंड के कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में पैंगोलिन संभावित क्षेत्रों में लगातार देखा गया है. ऐसे में वन विभाग की ओर से भी उसके अनुकूल वातावरण उपलब्ध कराने के प्रयास किए जाते रहे हैं.
वन्यजीव विशेषज्ञ संजय छिमवाल ने बताया कि पैंगोलिन के दांत नहीं होते हैं. पिछला हिस्सा चपटाकार होता है. किसी खतरे को भांप कर ये अपनी रक्षा के लिए पीछे के हिस्से को लटका लेते हैं. इसकी मांसपेशियां इतनी मजबूत होती हैं कि लिपटे पैंगोलिन सीधा करना बड़ा ही मुश्किल हो जाता है. लेकिन वर्तमान में पैंगोलिन प्रजाति का अस्तित्व काफी खतरे में है. हालांकि इसे बचाने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे है.
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उन्होंने बताया कि, शिकारियों पर शिकंजा न कसे जाने के कारण पैंगोलिन के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है. ऐसे में ये प्रजाति विलुप्ति की कगार पर पहुंच गई है. उन्होंने बताया कि दक्षिण पूर्वी एशिया के देशों में इसकी खाल की काफी डिमांड है. इसकी खाल का इस्तेमाल शक्तिवर्धक दवा, कपड़े और सजावट के सामान बनाने में किया जाता है.