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सरोवर नगरी के इस मंदिर में होते हैं मां के नौ रूपों के दर्शन, देश-विदेश से आते हैं श्रद्धालु - नैनीताल न्यूज

नवरात्र के नौवें दिन मां पाषाण देवी और मां नैना देवी मंदिर का महत्व बढ़ जाता है. क्योंकि मां पाषाण देवी मंदिर में मां भगवती के सभी नौ स्वरूपों को एक साथ दर्शन होते हैं.

नैनीताल मां पाषाण देवी मंदिर.
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Published : Apr 13, 2019, 1:13 PM IST

नैनीताल: सरोवर नगरी नैनीताल स्थित मां पाषाण देवी और मां नैना देवी मंदिर में सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा. माना जाता है कि मां पाषाण देवी मंदिर में देवी के नौ रूपों के दर्शन होते हैं. जहां स्थानीय लोगों के साथ ही देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालु पहुंचते हैं. लोगों का मानना है कि यहां सच्चे मन से मां की उपासना करने से हर मुराद पूरी होती है.

विशेष तौर पर नवरात्र के नौवें दिन मां पाषाण देवी और मां नैना देवी मंदिर का महत्व बढ़ जाता है. क्योंकि मां पाषाण देवी मंदिर में मां भगवती के सभी नौ स्वरूपों को एक साथ दर्शन होते हैं. जिसके दर्शन के लिए भक्तों का सुबह से ही मां पाषाण देवी मंदिर में आना शुरू हो जाता है. मां पाषाण देवी का मंदिर नैनी झील किनारे चट्टान पर कुदरती आकृति से बनी हुई हैं. जहां पिंडी रूप में माता के नौ स्वरूप मानें जाते हैं. इस मंदिर में माता को सिंदूर और चोला पहनाया जाता है.

साथ मान्यता है कि मां की पादुका नैनी झील के अंदर हैं. इसलिए झील के जल को कैलाश मानसरोवर की तरह पवित्र माना जाता है. वहीं श्रद्धालु नैनी सरोवर का जल घर ले जाते हैं. मान्यता है कि अगर जल को घर में रखे तो सुख शांति बनी रहती है. साथ ही इसके प्रयोग से किसी प्रकार की बीमारी नहीं होती. पाषाण देवी मंदिर के बारे में कहा जाता है कि ब्रिटिश काल में एक अंग्रेज ऑफसर मंदिर के पास से गुजर रहा था और उसको मां की मूर्ति पसंद नहीं आई और उसने मां के मूर्ति को खंडित करना चाहा, जिसके बाद वे अंग्रेज ऑफसर मंदिर से आगे नहीं बढ़ सका.

नैनीताल मां पाषाण देवी मंदिर.

जिसके बाद अंग्रेज ऑफसर को अपनी गलती का एहसास हुआ. उसने स्थानीय महिलाओं के सहयोग से माता को सिंदूर का चोला पहनाया और माफी मांगी जिसके बाद ही अंग्रेज ऑफसर मंदिर से आगे बढ़ सका. जिसके बाद से मां पाषाण देवी को सिंदूर के रुप मे चोला चढ़ाया जाता है. साथ ही प्रत्येक मंगलवार और शनिवार को मां को श्रृंगार में चोला पहनाने की परंपरा भी है. नवरात्रि के दौरान माता नव दुर्गा के रूप में वैष्णव विधि से पूजा अर्चना होती है जिसमें माता को शंख से जल से स्नान कराया जाता है. मान्यता है कि मां को स्नान कराए गए पानी के प्रयोग से समस्त त्वचा रोग दूर हो जाते हैं. साथ ही बुरी आत्माओं के प्रकोप से भी बचाव होता है, जिसे लेने श्रद्धालु दूर-दूर से आते हैं.

नैनीताल: सरोवर नगरी नैनीताल स्थित मां पाषाण देवी और मां नैना देवी मंदिर में सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा. माना जाता है कि मां पाषाण देवी मंदिर में देवी के नौ रूपों के दर्शन होते हैं. जहां स्थानीय लोगों के साथ ही देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालु पहुंचते हैं. लोगों का मानना है कि यहां सच्चे मन से मां की उपासना करने से हर मुराद पूरी होती है.

विशेष तौर पर नवरात्र के नौवें दिन मां पाषाण देवी और मां नैना देवी मंदिर का महत्व बढ़ जाता है. क्योंकि मां पाषाण देवी मंदिर में मां भगवती के सभी नौ स्वरूपों को एक साथ दर्शन होते हैं. जिसके दर्शन के लिए भक्तों का सुबह से ही मां पाषाण देवी मंदिर में आना शुरू हो जाता है. मां पाषाण देवी का मंदिर नैनी झील किनारे चट्टान पर कुदरती आकृति से बनी हुई हैं. जहां पिंडी रूप में माता के नौ स्वरूप मानें जाते हैं. इस मंदिर में माता को सिंदूर और चोला पहनाया जाता है.

साथ मान्यता है कि मां की पादुका नैनी झील के अंदर हैं. इसलिए झील के जल को कैलाश मानसरोवर की तरह पवित्र माना जाता है. वहीं श्रद्धालु नैनी सरोवर का जल घर ले जाते हैं. मान्यता है कि अगर जल को घर में रखे तो सुख शांति बनी रहती है. साथ ही इसके प्रयोग से किसी प्रकार की बीमारी नहीं होती. पाषाण देवी मंदिर के बारे में कहा जाता है कि ब्रिटिश काल में एक अंग्रेज ऑफसर मंदिर के पास से गुजर रहा था और उसको मां की मूर्ति पसंद नहीं आई और उसने मां के मूर्ति को खंडित करना चाहा, जिसके बाद वे अंग्रेज ऑफसर मंदिर से आगे नहीं बढ़ सका.

नैनीताल मां पाषाण देवी मंदिर.

जिसके बाद अंग्रेज ऑफसर को अपनी गलती का एहसास हुआ. उसने स्थानीय महिलाओं के सहयोग से माता को सिंदूर का चोला पहनाया और माफी मांगी जिसके बाद ही अंग्रेज ऑफसर मंदिर से आगे बढ़ सका. जिसके बाद से मां पाषाण देवी को सिंदूर के रुप मे चोला चढ़ाया जाता है. साथ ही प्रत्येक मंगलवार और शनिवार को मां को श्रृंगार में चोला पहनाने की परंपरा भी है. नवरात्रि के दौरान माता नव दुर्गा के रूप में वैष्णव विधि से पूजा अर्चना होती है जिसमें माता को शंख से जल से स्नान कराया जाता है. मान्यता है कि मां को स्नान कराए गए पानी के प्रयोग से समस्त त्वचा रोग दूर हो जाते हैं. साथ ही बुरी आत्माओं के प्रकोप से भी बचाव होता है, जिसे लेने श्रद्धालु दूर-दूर से आते हैं.

Intro:स्लग- मां के नौ स्वरूप

रिपोर्ट गौरव जोशी

स्थान नैनीताल

एंकर नवरात्रि में नैनीताल केएम आफ पाषाण देवी मंदिर में देवी के 900 रूपों के एक साथ दर्शन के लिए सुबह से ही भक्तों की भीड़ मां के मंदिर में लगने लगी है पाषाण देवी मंदिर के साथ-साथ भक्त मां नैना देवी के मंदिर भी पूजा अर्चना के लिए पहुंच रहे है,,,


Body: खास है नैनीताल का मां पाषाण देवी मंदिर-

नैनीताल का पाषाण देवी मंदिर नैनीताल के लोगों के साथ साथ पूरे देश से आने वाले भक्तों के लिए खासा महत्व रखता है और नवरात्रि के पावन पर्व पर यहां भक्तों का ताता लगा रहता है विशेष तौर पर नवरात्रि के नौवें दिन इस मंदिर का महत्व और बढ़ जाता है क्योंकि नैनीताल के इस मंदिर में मां भगवती के सभी नौ स्वरूपों को एक साथ देखा जा सकता है जिसके दर्शन के लिए भक्तों सुबह से ही मां पाषाण देवी के मंदिर में आना शुरू कर देते हैं।

बाईट-जगदीश भट्ट,पुजारी

मां के स्वरूप को क्यों कहा जाता है पाषाण देवी-

झील किनारे बने इस मंदिर में मां की चट्टान में कुदरती आकृति बनी हुई है इसमें पिंडी रूप में माता के नौ स्वरूप है इस मंदिर में माता को सिंदूर का चोला पहनाया जाता है साथ ही कहा जाता है कि मां की पादुका है नैनी झील के अंदर हैं इसलिए झील के जल को कैलाश मानसरोवर की तरह पवित्र माना जाता है, और भक्त इस नैनी सरोवर के जल को अपने घर लेकर जाते हैं मान्यता हैकि अगर जल को घर में रखे तो सुख शांति बनी रहती है साथ ही इसके प्रयोग से किसी प्रकार की बीमारी नहीं होती,,

बाइट- एश्वर्या बर्गली,भक्त


Conclusion:नैनीताल के इस पाषाण देवी मंदिर का अपना एक इतिहास रहा है कहा जाता है कि ब्रिटिश काल में एक अंग्रेज अफसर मंदिर के पास से गुजर रहा था और उसको मां की मूर्ति पसंद नहीं आई इस दौरान उन्होंने मां के मूर्ति पर कालीक लगा दी, जिसके बाद मां ने अपनी शक्ति दिखाते हुए उस अंग्रेज अफसर को मंदिर से आगे नहीं बढ़ने दिया जिसके बाद अंग्रेज अफसर को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने स्थानीय महिलाओं के सहयोग से माता को सिंदूर का चोला पहनाया और माफी मांगी जिसके बाद ही अंग्रेज अफसर मंदिर से आगे बढ़ सका, जिसके बाद से मा पाषाण देवी को सिंदूर के रुप मे चोला चढ़ाया जाता है, और प्रत्येक मंगलवार और शनिवार को मां को श्रृंगार की चोली पहनाने की परंपरा भी है,,,

बाईट- मन्जू रौतेला,भक्त

नवरात्रि के दौरान माता नव दुर्गा के रूप में वैष्णव विधि से पूजा अर्चना होती है जिसमें माता को शंख से जल से स्नान कराया जाता है और मान्यता है कि मां को स्नान कराए गए पानी के प्रयोग से समस्त त्वचा रोग दूर हो जाते हैं साथ ही बुरी आत्माओं के प्रकोप से भी बचा जाता है,,
और इस जल को लेने के लिए लोग दूर-दूर से मां के इस मंदिर में आते हैं कहां तो यह भी जाता है कि इस जल के सेवन और स्नान से मनुष्य का हकलाना, जोड़ों के दर्द, सूजन समेत तमाम बीमारियां दूर होती हैं।

बाइक पंडित जगदीश भट्ट

पी टी सी-गौरव जोशी।
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