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उत्तराखंड पंचायत चुनाव 2019: हाई कोर्ट में पहुंचा आरक्षण सूची में बदलाव का मामला

याचिकाकर्ता का आरोप है कि सरकार ने नियम विरुद्ध तरीके से नोटिफिकेशन में बदलाव किए है.

उत्तराखंड पंचायत चुनाव 2019
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Published : Sep 21, 2019, 11:18 PM IST

देहरादून: पंचायत चुनाव में आरक्षण सूची में किए गए बदलाव का मामला एक बार फिर नैनीताल हाई कोर्ट की शरण में पहुंच गया है. अब आरक्षण के मामले अगली सुनवाई सोमवार (23 सितंबर) को सुनवाई होगी.

याचिकाकर्ता अरुण कुमार शुक्ला का कहना है कि राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में पंचायत चुनाव के लिए पहले 13 सितंबर 2019 को नोटिस जारी किया गया था. जिसके बाद 16 सितंबर को कुछ जगह पर आरक्षण में बदलाव कर दिया गया और चुनाव आयोग को आरक्षण में बदलाव करने के निर्देश भी दे दिए गए.

पढ़ें- पंचायत चुनाव: नए नियम से बढ़ी मुश्किलें, 31 निवर्तमान ग्राम प्रधान अयोग्य घोषित

हाई कोर्ट पहुंचे याचिकाकर्ता का कहना है कि अगर एक बार चुनाव के लिए नोटिफिकेशन जारी हो जाए तो उसमें किसी भी प्रकार का बदलाव नहीं किया जा सकता. अगर सरकार को किसी भी विशेष परिस्थिति में आरक्षण में बदलाव करना होता है तो उसके लिए चुनाव खत्म होने के बाद चुनावी याचिका दायर की जाती है, लेकिन सरकार ने नियम विरुद्ध तरीके से नोटिफिकेशन में बदलाव कर दिया गया जो गलत है.

पढ़ें- पंचायत चुनावः अल्मोड़ा जिले में 2,289 नेता नहीं लड़ पाएंगे चुनाव, जानिए वजह

बता दें कि प्रदेश में विभिन्न स्थानों पर आरक्षण में त्रुटियों को लेकर पूर्व में एक जनहित याचिका नैनीताल हाई कोर्ट में दायर की गई थी. जिसकी सुनवाई करते हुए नैनीताल हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने निर्देशक पंचायती राज को निर्देश दिए थे कि वह याचिकाकर्ताओं के प्रत्यावेदन का निस्तारण करें. जिसके बाद पंचायती राज निर्देशक ने हाई कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए नोटिफिकेशन में बदलाव किए.

देहरादून: पंचायत चुनाव में आरक्षण सूची में किए गए बदलाव का मामला एक बार फिर नैनीताल हाई कोर्ट की शरण में पहुंच गया है. अब आरक्षण के मामले अगली सुनवाई सोमवार (23 सितंबर) को सुनवाई होगी.

याचिकाकर्ता अरुण कुमार शुक्ला का कहना है कि राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में पंचायत चुनाव के लिए पहले 13 सितंबर 2019 को नोटिस जारी किया गया था. जिसके बाद 16 सितंबर को कुछ जगह पर आरक्षण में बदलाव कर दिया गया और चुनाव आयोग को आरक्षण में बदलाव करने के निर्देश भी दे दिए गए.

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हाई कोर्ट पहुंचे याचिकाकर्ता का कहना है कि अगर एक बार चुनाव के लिए नोटिफिकेशन जारी हो जाए तो उसमें किसी भी प्रकार का बदलाव नहीं किया जा सकता. अगर सरकार को किसी भी विशेष परिस्थिति में आरक्षण में बदलाव करना होता है तो उसके लिए चुनाव खत्म होने के बाद चुनावी याचिका दायर की जाती है, लेकिन सरकार ने नियम विरुद्ध तरीके से नोटिफिकेशन में बदलाव कर दिया गया जो गलत है.

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बता दें कि प्रदेश में विभिन्न स्थानों पर आरक्षण में त्रुटियों को लेकर पूर्व में एक जनहित याचिका नैनीताल हाई कोर्ट में दायर की गई थी. जिसकी सुनवाई करते हुए नैनीताल हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने निर्देशक पंचायती राज को निर्देश दिए थे कि वह याचिकाकर्ताओं के प्रत्यावेदन का निस्तारण करें. जिसके बाद पंचायती राज निर्देशक ने हाई कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए नोटिफिकेशन में बदलाव किए.

Intro:Summry

उत्तराखंड में होने वाले पंचायत चुनाव में जारी आरक्षण सूची का मामला एक बार फिर नैनीताल हाईकोर्ट की शरण में पहुंच गया है।

Intro

पंचायत चुनाव में आरक्षण सूची में करे बदलाव का मामला एक बार फिर नैनीताल हाई कोर्ट की शरण मे पहुँच गया है,अब आरक्षण मामले में सोमवार 23 सितंबर को सुनवाई होगी।

दिए जाने का मामला अपाचे नैनीताल हाईकोर्ट की शरण में पहुंच गया है आरक्षण संबंधी मामले में आप सोमवार को सुनवाई होगी,


Body:आपको बता दें कि उधम सिंह नगर निवासी अरुण कुमार शुक्ला ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर 16 सितंबर 2019 के उस नोटिफिकेशन को चुनौती दी है जिसमें निर्देशक पंचायती राज द्वारा प्रदेश में कुछ स्थानों पर आरक्षण को बदल दिया था,,
याचिकाकर्ता का कहना है कि राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में पंचायत चुनाव के लिए पहले 13 सितंबर 2019 को नोटिस जारी किया जिसके बाद 16 सितंबर को कुछ जगह पर आरक्षण में बदलाव कर दिया गया और चुनाव आयोग को आरक्षण में बदलाव करने के निर्देश भी दे दिए गए।
हाई कोर्ट पहुंचे याचिकाकर्ता का कहना है कि अगर एक बार चुनाव के लिए नोटिफिकेशन जारी हो जाए तो उसमें किसी भी प्रकार का बदलाव नहीं किया जा सकता।


Conclusion:अगर सरकार को किसी भी विशेष परिस्थिति में आरक्षण में बदलाव करना होता है तो उसके लिए चुनाव खत्म होने के बाद चुनावी याचिका दायर की जाती है लेकिन सरकार ने नियम विरुद्ध तरीके से नोटिफिकेशन में बदलाव कर दिया गया जो गलत है।
आपको बता दें कि प्रदेश में विभिन्न स्थानों पर आरक्षण में त्रुटियों को लेकर पूर्व में एक जनहित याचिका नैनीताल हाईकोर्ट में दायर की गई थी जिसकी सुनवाई करते हुए नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने निर्देशक पंचायती राज को निर्देश दिए थे कि वह याचिकाकर्ताओं के प्रत्यावेदन का निस्तारण करें जिसके बाद पंचायती राज निर्देशक ने हाईकोर्ट के आदेश का पालन करते हुए नोटिफिकेशन में बदलाव किए।
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