हल्द्वानी: राजस्थान में सियासी हलचल तेज हो गई है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सरकार बचाने की कवायद तेज कर दी है. साथ की कांग्रेस ने राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र की कार्यशैली पर भी सवाल उठाए है. कांग्रेस का मानना है कि राज्यपाल संवैधानिक दायित्वों का निर्वहन नहीं कर रहे है. उत्तराखंड की नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश ने कहा कि राज्यपाल को संवैधानिक दायित्वों का पालन करते हुए राजस्थान में जनता की चुनी हुई सरकार बरकरार रखना चाहिए. ताकि इस कठिन दौर से गुजर रही राजस्थान सरकार राज्य हित में काम कर सके.
हृदयेश ने कहां है कि संवैधानिक पदों पर बैठे सम्मानित व्यक्तियों को पार्टी लाइन का नहीं बल्कि संवैधानिक दायित्वों का पालन करना चाहिए. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत मंत्रिमंडल में दो बार सदन आहूत करने का निर्णय लेकर राज्यपाल महोदय से अनुरोध कर चुके हैं, लेकिन राज्यपाल ने अभीतक कोई निर्णय नहीं लिया. सदन ही वह स्थान होता है, जहां सरकार अपना विश्वास मत सिद्ध करती है और राज्यपाल सदन आहूत करता है.
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हृदयेश ने कहा कि राज्यपाल सदन आहुत कर सरकार को अपना बहुमत सिद्ध करने का अवसर देना चाहिए. जब सरकार खुद अपना बहुमत सिद्ध करना चाहती है तो राज्यपाल के उन्हें अवसर देना चाहिए और राजस्थान को इस अनिश्चिता की स्थिति से उभरना चाहिए.
हृदयेश ने कहा कि राज्यों में अलग-अलग पार्टियों की सरकार होती है. प्रदेश का राज्यपाल किसी भी पार्टी सदस्य हो सकता है, लेकिन संवैधानिक पद बैठने के बाद राज्यपाल को संवैधानिक परम्पराओं और निर्देशों के अनुसार ही काम करना चाहिए. राज्य के राज्यपाल के साथ देश और प्रदेशों की सरकारों की भी ये जिम्मेदारी की है कि वे संविधान की रक्षा करें. ताकि अस्थिरता का माहौल समाप्त हो. तिकड़म बाजी से यदि सरकार गिराने के पड़यत्र होगा तो लोकतंत्र इसे माफ नहीं करेगा. हृदयेश ने राजस्थान के राज्यपाल के अनुरोध किया है कि वे तत्काल सदन आहूत करे.