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उत्तराखंड में बढा कैंसर पीड़ितों का आंकड़ा, पहाड़ी क्षेत्रों के हैं अधिकतर मरीज - cancer patients news in Uttarakhand

उत्तराखंड में कैंसर के रोगियों के इजाफा होता ही जा रहा है. बीते दस सालों के मुकाबले साल 2019 में कैंसर के मरीजों में सबसे अधिक इजाफा हुआ है.

cancer patients news in Uttarakhand
कैंसर के रोगियों के इजाफा
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Published : Feb 5, 2020, 6:33 AM IST

हल्द्वानी: कैंसर का नाम सुनते ही जहन में खौफ पैदा हो जाता है. हर साल हजारों की संख्या में लोग कैंसर के चलते अपनी जान गंवा देते हैं. वहीं अब उत्तराखंड में भी कैंसर रोगियों के इजाफा होता जा रहा है. पूर्व कैबिनेट मंत्री प्रकाश पंत और सुरेंद्र राकेश की भी मौत कैंसर से जुझते हुए हो चुकी है. साल दर साल लगातार कैंसर रोगियों की बढ़ती संख्या से स्वास्थ्य महकमा भी काफी चिंतित नजर आ रहा हैं. हर साल 15 से 20 प्रतिशत कैंसर के रोगियों में इजाफा हो रहा है.

हर साल 15 से 20 प्रतिशत कैंसर के रोगियों में हो रहा इजाफा.

कुमाऊं में कैंसर पीड़ित मरीजों की संख्या को लेकर हल्द्वानी स्थित स्वामी राम कैंसर अस्पताल और अनुसंधान केंद्र के आंकड़े पर गौर करें तो अकेले कुमाऊं में ही बीत पिछले 10 सालो में 6 गुना वृद्धि हुई है. हर साल रोगियों की संख्या में भारी वृद्धि हुई है. साल 2010 में 2,889, साल 2011 में 3,295 साल 2012 में 4,047, साल 2013 में 5,685 , साल 2014 में 6,241 ,साल 2015 में 6,846, साल 2016 में 7,274, साल 2017 में 7,746 जबकि 2018 में 8,021 और 2019 में 8,701 कैंसर के मरीज इलाज कराने पहुंचे हैं.

लगातार बढ़ती रोगियों की संख्या से डॉक्टर भी काफी चिंतित हैं. डॉक्टरों का कहना है कि मुंह और फेफड़े में कैंसर के मरीज उनके रिसर्च सेंटर में इलाज के लिए पहुंच रहे हैं. जिनमें ज्यादातर लोग अधिक ठंड वाले इलाकों के रहने वाले हैं.

ये भी पढ़ें: उत्तराखंडः केमिकल डिजास्टर को लेकर मॉक एक्सरसाइज, बचाव और राहत की दी गई जानकारी

श्रीराम कैंसर अनुसंधान के निदेशक कैलाश चंद्र पांडे का कहना है कि इस समय सबसे ज्यादा मुंह और फेफड़े के कैंसर रोगी सामने आ रहे हैं. उन्होंने बताया कि उच्च हिमालय क्षेत्र में लोग ठंड से बचने के लिए आग और धुम्रपान का अधिक सेवन करते हैं. जिससे मुंह और फेफड़े के कैंसर का खतरा पैदा हो रहा है. साथ ही बताया कि कई बार लोग खांसी-जुकाम होने पर बिना डॉक्टर के राय लिए दवाइयों का इस्तेमाल कर लेते हैं. ऐसे में रिएक्शन होने के चलते कई बार बीमारी कैंसर में बदल जाती है. जिससे लोगों को बचना चाहिए.

हल्द्वानी: कैंसर का नाम सुनते ही जहन में खौफ पैदा हो जाता है. हर साल हजारों की संख्या में लोग कैंसर के चलते अपनी जान गंवा देते हैं. वहीं अब उत्तराखंड में भी कैंसर रोगियों के इजाफा होता जा रहा है. पूर्व कैबिनेट मंत्री प्रकाश पंत और सुरेंद्र राकेश की भी मौत कैंसर से जुझते हुए हो चुकी है. साल दर साल लगातार कैंसर रोगियों की बढ़ती संख्या से स्वास्थ्य महकमा भी काफी चिंतित नजर आ रहा हैं. हर साल 15 से 20 प्रतिशत कैंसर के रोगियों में इजाफा हो रहा है.

हर साल 15 से 20 प्रतिशत कैंसर के रोगियों में हो रहा इजाफा.

कुमाऊं में कैंसर पीड़ित मरीजों की संख्या को लेकर हल्द्वानी स्थित स्वामी राम कैंसर अस्पताल और अनुसंधान केंद्र के आंकड़े पर गौर करें तो अकेले कुमाऊं में ही बीत पिछले 10 सालो में 6 गुना वृद्धि हुई है. हर साल रोगियों की संख्या में भारी वृद्धि हुई है. साल 2010 में 2,889, साल 2011 में 3,295 साल 2012 में 4,047, साल 2013 में 5,685 , साल 2014 में 6,241 ,साल 2015 में 6,846, साल 2016 में 7,274, साल 2017 में 7,746 जबकि 2018 में 8,021 और 2019 में 8,701 कैंसर के मरीज इलाज कराने पहुंचे हैं.

लगातार बढ़ती रोगियों की संख्या से डॉक्टर भी काफी चिंतित हैं. डॉक्टरों का कहना है कि मुंह और फेफड़े में कैंसर के मरीज उनके रिसर्च सेंटर में इलाज के लिए पहुंच रहे हैं. जिनमें ज्यादातर लोग अधिक ठंड वाले इलाकों के रहने वाले हैं.

ये भी पढ़ें: उत्तराखंडः केमिकल डिजास्टर को लेकर मॉक एक्सरसाइज, बचाव और राहत की दी गई जानकारी

श्रीराम कैंसर अनुसंधान के निदेशक कैलाश चंद्र पांडे का कहना है कि इस समय सबसे ज्यादा मुंह और फेफड़े के कैंसर रोगी सामने आ रहे हैं. उन्होंने बताया कि उच्च हिमालय क्षेत्र में लोग ठंड से बचने के लिए आग और धुम्रपान का अधिक सेवन करते हैं. जिससे मुंह और फेफड़े के कैंसर का खतरा पैदा हो रहा है. साथ ही बताया कि कई बार लोग खांसी-जुकाम होने पर बिना डॉक्टर के राय लिए दवाइयों का इस्तेमाल कर लेते हैं. ऐसे में रिएक्शन होने के चलते कई बार बीमारी कैंसर में बदल जाती है. जिससे लोगों को बचना चाहिए.

Intro:samney-कैंसर के रोगियों आंकड़े मे लगातार हो रही है वृद्धि मुँह और फेफड़े के रोगी सबसे ज्यादा।(स्पेशल) एंकर- कैंसर रोग का नाम सुनते ही हर किसी के जेहन में खौफ पैदा हो जाता है। कैंसर रोग के मामले में उत्तराखंड भी सबसे ज्यादा संवेदनशील माना जा रहा है। पूर्व कैबिनेट मंत्री प्रकाश पंत और सुरेंद्र राकेश की मौत लांस कैंसर से हो चुकी है। बात उत्तराखंड की कुमाऊ मंडल की करे तो यहां लगातार कैंसर को मरीजों में इजाफा हो रहा है ।


Body: साल दर साल लगातार बढ़ रहे कैंसर रोगियों की संख्या के बाद स्वास्थ्य महकमा भी चिंतित हैं। उत्तराखंड भी अब कैंसर के मकड़जाल में धीरे-धीरे फैलता जा रहा है। हर साल 15 से 20% कैंसर के रोगियों में इजाफा हो रहा है जो चिंता का विषय बनता जा रहा है। हल्द्वानी स्थित स्वामी राम कैंसरअस्पताल और अनुसंधान केंद्र के आंकड़े पर गौर करें तो कुमाऊं मंडल में हर साल रोगियों की संख्या में लगातार वृद्धि हुई है बात वर्ष 2010 मे 2889,2011 में 3295,,2012 में 4047, 2013 में 5685 ,2014 में 6241 ,2015 में 6846,2016 में 7274,2017 में 7746जबकि 2018 में 8021 जबकि 2019 में 8701 कैंसर के मरीज इलाज कराने पहुंचे हैं। बात पिछले 10 सालो में केंसर के रोगियों की संख्या में 6 गुनी वृद्धि हुई है। जबकि वर्ष 2019 में सबसे ज्यादा रोगियों की संख्या में इजाफा हुई है। लगातार बढ़ती रोगियों की संख्या के बाद डॉक्टर भी चिंतित हैं। डॉक्टरों की मानें तो सबसे ज्यादा कैंसर के रोग मुंह और फेफड़े के कैंसर के मरीज उनके रिसर्च सेंटर में पहुंच रहे हैं जिसमें सबसे ज्यादा उत्तराखंड के सबसे ज्यादा ठंड वाले जिले के रोगी शामिल है।


Conclusion:श्रीराम कैंसर अनुसंधान के निदेशक कैलाश चंद्र पांडे का कहना है कि इस समय सबसे ज्यादा कैंसर के रोगी मुह और फेफड़े के सामने आ रहे हैं इसके अलावा पाइल्स के कैंसर की भी संख्या अधिकतर सामने देखे जा रहे हैं। पहाड़ो के उच्च हिमालय क्षेत्र होने के चलते ज्यादा ठंड के चलते लोग ठंड से बचने के लिए धूम्रपान और आग का सेवन करते हैं ऐसे में आग की अधजली धुँवा लोगों के फेफड़े में समा जाते हैं जिसके चलते अधिकतर कैंसर का खतरा पैदा हो जाता है। कई बार खांसी जुकाम होने का दौरान बिना डॉक्टर के लोग गलत दवाइयों का इस्तेमाल कर देते हैं जिसके चलते उनका बीमारी बिगड़ जाती है और कैंसर का रूप धारण कर लेती है। बाइट कैलाश चंद्र पांडे निदेशक श्री राम कैंसर अनुसंधान हल्द्वानी
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