हल्द्वानी: सरकार द्वारा परिवार नियोजन को लेकर हर साल जन जागरुकता अभियान चलाया जाता है. इस अभियान के तहत लोगों को नसबंदी के लिए जागरुक किया जाता है. वहीं, इस अभियान में लोग पुरुष नसबंदी के अपेक्षा महिलाओं की नसबंदी को ज्यादा तवज्जों दे रहे हैं. इस समय नैनीताल जिले में 24 नवंबर से 4 दिसंबर तक पुरुष नसबंदी पखवाड़ा चलाया जा रहा है. वहीं एक रिपोर्ट के अनुसार, नैनीताल में पुरुषों की भागीदारी एक प्रतिशत भी नहीं है, जबकि महिलाओं की संख्या में थोड़ा बहुत इजाफा जरूर हुआ है.
24 नवंबर से 4 दिसंबर तक पुरुष नसबंदी पखवाड़ा मनाया जा रहा है. सरकार परिवार नियोजन के नाम पर जागरुकता कार्यक्रम में करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, लेकिन इसका कोई नतीजा सामने नहीं आ रहा है. बात नैनीताल जिले की करें तो साल 2018 में 1288 महिलाओं ने नसबंदी कराई थी, जबकि 29 पुरुषों ने ही नसबंदी कराई. वहीं, साल 2019 के अक्टूबर माह तक 428 महिलाओं ने नसबंदी कराई, जबकि मात्र 17 पुरुषों ने नसबंदी कराई है.
ये भी पढ़ें: उत्तराखंड में तेजी से बदल रहा मौसम, ये सावधानियां आपको रखेंगी अस्पताल से दूर
डिप्टी सीएमओ मनमोहन तिवारी ने बताया कि सरकार द्वारा परिवार नियोजन के लिए कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं. नसबंदी के लिए नैनीताल बीडी पांडे हॉस्पिटल जबकि रामनगर सब जिला अस्पताल के अलावा हल्द्वानी के बेस अस्पताल में पुरुष नसबंदी की व्यवस्था है. जागरुकता के तहत समय-समय पर पुरुष नसबंदी का कार्यक्रम चलाया जाता है.
प्रोफेसर संतोष मिश्रा ने बताया कि नसबंदी को लेकर पुरुषों में कुछ भ्रम की स्थिति है. इस भ्रम के अनुसार, नसबंदी से पुरुषों में मर्दाना ताकत खत्म नहीं होती है और न ही इसका कोई साइड इफेक्ट है. उन्होंने कहा कि साल 2000 में उन्होंने खुद नसबंदी को अपनाया और आज वो स्वस्थ हैं. उनको किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं है. ऐसे में नसबंदी को लेकर पुरुषों को जागरुक होने की जरूरत है. बता दें कि पुरुष की नसबंदी करना महिलाओं की अपेक्षा ज्यादा सुरक्षित और आसान होता है.