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नैनीताल: परिवार नियोजन पर करोड़ों खर्च और दहाई भी नहीं

सरकार के करोड़ों रुपये खर्च कर देने के बाद भी पुरुष नसबंदी करवाने के लिए जागरुक नहीं हैं. एक रिपोर्ट के अनुसार, नैनीताल जिले में एक प्रतिशत पुरुषों ने भी नसबंदी नहीं करवाई है.

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Published : Nov 25, 2019, 5:43 PM IST

Updated : Nov 25, 2019, 6:20 PM IST

नैनीताल: एक प्रतिशत पुरुषों ने भी नहीं कराई नसबंदी.

हल्द्वानी: सरकार द्वारा परिवार नियोजन को लेकर हर साल जन जागरुकता अभियान चलाया जाता है. इस अभियान के तहत लोगों को नसबंदी के लिए जागरुक किया जाता है. वहीं, इस अभियान में लोग पुरुष नसबंदी के अपेक्षा महिलाओं की नसबंदी को ज्यादा तवज्जों दे रहे हैं. इस समय नैनीताल जिले में 24 नवंबर से 4 दिसंबर तक पुरुष नसबंदी पखवाड़ा चलाया जा रहा है. वहीं एक रिपोर्ट के अनुसार, नैनीताल में पुरुषों की भागीदारी एक प्रतिशत भी नहीं है, जबकि महिलाओं की संख्या में थोड़ा बहुत इजाफा जरूर हुआ है.

नैनीताल: एक प्रतिशत पुरुषों ने भी नहीं कराई नसबंदी.

24 नवंबर से 4 दिसंबर तक पुरुष नसबंदी पखवाड़ा मनाया जा रहा है. सरकार परिवार नियोजन के नाम पर जागरुकता कार्यक्रम में करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, लेकिन इसका कोई नतीजा सामने नहीं आ रहा है. बात नैनीताल जिले की करें तो साल 2018 में 1288 महिलाओं ने नसबंदी कराई थी, जबकि 29 पुरुषों ने ही नसबंदी कराई. वहीं, साल 2019 के अक्टूबर माह तक 428 महिलाओं ने नसबंदी कराई, जबकि मात्र 17 पुरुषों ने नसबंदी कराई है.

ये भी पढ़ें: उत्तराखंड में तेजी से बदल रहा मौसम, ये सावधानियां आपको रखेंगी अस्पताल से दूर

डिप्टी सीएमओ मनमोहन तिवारी ने बताया कि सरकार द्वारा परिवार नियोजन के लिए कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं. नसबंदी के लिए नैनीताल बीडी पांडे हॉस्पिटल जबकि रामनगर सब जिला अस्पताल के अलावा हल्द्वानी के बेस अस्पताल में पुरुष नसबंदी की व्यवस्था है. जागरुकता के तहत समय-समय पर पुरुष नसबंदी का कार्यक्रम चलाया जाता है.

प्रोफेसर संतोष मिश्रा ने बताया कि नसबंदी को लेकर पुरुषों में कुछ भ्रम की स्थिति है. इस भ्रम के अनुसार, नसबंदी से पुरुषों में मर्दाना ताकत खत्म नहीं होती है और न ही इसका कोई साइड इफेक्ट है. उन्होंने कहा कि साल 2000 में उन्होंने खुद नसबंदी को अपनाया और आज वो स्वस्थ हैं. उनको किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं है. ऐसे में नसबंदी को लेकर पुरुषों को जागरुक होने की जरूरत है. बता दें कि पुरुष की नसबंदी करना महिलाओं की अपेक्षा ज्यादा सुरक्षित और आसान होता है.

हल्द्वानी: सरकार द्वारा परिवार नियोजन को लेकर हर साल जन जागरुकता अभियान चलाया जाता है. इस अभियान के तहत लोगों को नसबंदी के लिए जागरुक किया जाता है. वहीं, इस अभियान में लोग पुरुष नसबंदी के अपेक्षा महिलाओं की नसबंदी को ज्यादा तवज्जों दे रहे हैं. इस समय नैनीताल जिले में 24 नवंबर से 4 दिसंबर तक पुरुष नसबंदी पखवाड़ा चलाया जा रहा है. वहीं एक रिपोर्ट के अनुसार, नैनीताल में पुरुषों की भागीदारी एक प्रतिशत भी नहीं है, जबकि महिलाओं की संख्या में थोड़ा बहुत इजाफा जरूर हुआ है.

नैनीताल: एक प्रतिशत पुरुषों ने भी नहीं कराई नसबंदी.

24 नवंबर से 4 दिसंबर तक पुरुष नसबंदी पखवाड़ा मनाया जा रहा है. सरकार परिवार नियोजन के नाम पर जागरुकता कार्यक्रम में करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, लेकिन इसका कोई नतीजा सामने नहीं आ रहा है. बात नैनीताल जिले की करें तो साल 2018 में 1288 महिलाओं ने नसबंदी कराई थी, जबकि 29 पुरुषों ने ही नसबंदी कराई. वहीं, साल 2019 के अक्टूबर माह तक 428 महिलाओं ने नसबंदी कराई, जबकि मात्र 17 पुरुषों ने नसबंदी कराई है.

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डिप्टी सीएमओ मनमोहन तिवारी ने बताया कि सरकार द्वारा परिवार नियोजन के लिए कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं. नसबंदी के लिए नैनीताल बीडी पांडे हॉस्पिटल जबकि रामनगर सब जिला अस्पताल के अलावा हल्द्वानी के बेस अस्पताल में पुरुष नसबंदी की व्यवस्था है. जागरुकता के तहत समय-समय पर पुरुष नसबंदी का कार्यक्रम चलाया जाता है.

प्रोफेसर संतोष मिश्रा ने बताया कि नसबंदी को लेकर पुरुषों में कुछ भ्रम की स्थिति है. इस भ्रम के अनुसार, नसबंदी से पुरुषों में मर्दाना ताकत खत्म नहीं होती है और न ही इसका कोई साइड इफेक्ट है. उन्होंने कहा कि साल 2000 में उन्होंने खुद नसबंदी को अपनाया और आज वो स्वस्थ हैं. उनको किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं है. ऐसे में नसबंदी को लेकर पुरुषों को जागरुक होने की जरूरत है. बता दें कि पुरुष की नसबंदी करना महिलाओं की अपेक्षा ज्यादा सुरक्षित और आसान होता है.

Intro:sammry- पुरुष नसबंदी पखवाड़ा- नसबंदी मामले में 1% भी नहीं पुरुषों की भागीदारी (स्पेशल)

एंकर- जनसंख्या नियंत्रण को लेकर सरकार विधायक लेने लाने की बात तो कर रही हैं। जनसंख्या नियंत्रण के लिए सरकार पुरुषों और महिलाओं के लिए कई जागरूकता कार्यक्रम भी चलाया जा रहा है लेकिन नसबंदी के मामले में पुरुषों की भागीदारी 1% भी नहीं है। जबकि महिलाओं की संख्या में थोड़ा बहुत जरूर इजाफा है। लेकिन ताजा आंकड़े पुरुष नसबंदी के चौकाने वाले सामने आ रहे हैं।


Body:24 नवंबर से 4 दिसंबर तक पुरुष नसबंदी पखवाड़ा मनाया जा रहा है ।सरकार परिवार नियोजन के नाम पर जागरूकता कार्यक्रम में करोड़ों रुपए खर्च कर रही हैं लेकिन इसका नतीजा सामने नहीं आ रहा है। बात नैनीताल जनपद की करे तो वर्ष 2018 में 1288 महिलाओं ने नसबंदी कराया था जबकि 29 पुरुष ही मात्र नसबंदी करा पाए। तो वही वर्ष 2019 तक करे तो अक्टूबर माह तक 428 महिलाओं ने अपने नसबंदी कराया जबकि मात्र 17 पुरुष की नसबंदी कराए हैं।

डिप्टी सीएमओ मनमोहन तिवारी का कहना है कि सरकार द्वारा परिवार नियोजन के लिए कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। परिवार नियोजन के नसबंदी के लिए नैनीताल बीडी पांडे हॉस्पिटल जबकि रामनगर सब जिला अस्पताल के अलावा हल्द्वानी के बेस अस्पताल में पुरुष नसबंदी की व्यवस्था है। और जागरूकता के तहत समय-समय पर पुरुष नसबंदी का कार्यक्रम चलाया जाता है।

बाइट -मनमोहन तिवारी डिप्टी सीएमओ नैनीताल


Conclusion:वही प्रोफेसर संतोष मिश्रा का कहना है नसबंदी को लेकर पुरुषों में कुछ भ्रम की स्थिति पैदा है लेकिन नसबंदी से पुरुषों में मर्दाना ताकत खत्म नहीं होती है और इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2000 में उन्होंने खुद नसबंदी को अपनाया लेकिन आज वह स्वस्थ हैं और उनको किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं है ऐसे में नसबंदी को लेकर पुरुषों को जागरूक होने की जरूरत है साथ ही सरकार को भी चाहिए कि पुरुषों को नसबंदी को लेकर अभियान चलाएं।

बाइट संतोष मिश्रा प्रोफेसर एमबीपीजी कॉलेज
Last Updated : Nov 25, 2019, 6:20 PM IST
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