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युवा प्रदेश की ऐसी हकीकतः सड़क नहीं होने से 15 किमी तक डोली में लाए मरीज

नैनीताल जिले के दूरस्थ गांव कूकना और ओखलकांडा में आजादी के सात दशक और राज्य गठन के 18 साल बीत जाने के बाद भी सुविधाएं नहीं पहुंच पाई हैं. यहां पर एक युवक की तबीयत खराब होने पर ग्रामीणों ने कुर्सी की डोली के जरिए 15 किलोमीटर दूर सड़क तक पहुंचाया. उधर, दूसरी घटना ओखलकांडा की है. जहां पर ग्रामीण एक वृद्ध को 6 किलोमीटर नदी के रास्ते अपनी जान हथेली पर रखकर अस्पताल पहुंचे.

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Published : Oct 5, 2019, 11:25 PM IST

नैनीतालः आजादी के सात दशक और राज्य गठन के 18 साल बीत जाने के बाद भी ग्रामीण क्षेत्रों में मूलभूत सुविधाएं नहीं पहुंच पाई है. आज भी सड़क, बिजली, पानी, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसे बुनियादी सुविधाओं से ग्रामीण महरूम हैं. इसकी बानगी नैनीताल जिले के दूरस्थ गांव कूकना और ओखलकांडा में देखने को मिल रही है. यहां पर एक युवक की तबीयत खराब होने पर ग्रामीणों ने कुर्सी की डोली के जरिए 15 किलोमीटर दूर सड़क तक पहुंचाया. उधर, ओखलकांडा में एक वृद्ध को 6 किलोमीटर नदी के रास्ते अपनी जान हथेली पर लेकर ग्रामीण अस्पताल पहुंचे.

डोली के जरिए 15 किमी सफर कर सड़क तक पहुंचाया मरीज.

सरकार गांवों में बेहतर सुविधाएं मुहैया कराने को लेकर लाख दावे करती है, लेकिन धरातल पर सिस्टम और सरकार के सारे दावे हवाई साबित नजर आ रहे हैं. आज भी कई गांव के लोग आजादी के बाद से ही सड़क की बाट जोह रहे हैं. ऐसे में सड़क सुविधा ना होने से ग्रामीण कई किमी की पैदल दूरी तय कर सड़क मार्ग तक पहुंचते हैं. इतना ही नहीं ग्रामीण पहाड़ी घंने जंगल, नदी-नालों और भूस्खलन वाले मार्गों से आवागमन करने को मजबूर हैं.

ये भी पढ़ेंः पंचायत चुनाव: ग्रामीणों ने किया चुनाव बहिष्कार, बताई ये वजह

गांवों की बदहाली का एक नमूना तब देखने को मिला, जब नैनीताल के दूरस्थ गांव कूकना में 25 वर्षीय प्रकाश की अचानक तबीयत खराब हो गई. गांव में स्वास्थ्य और सड़क सेवा नहीं होने की वजह से ग्रामीण पहले तो मरीज प्रकाश को 15 किलोमीटर तक कुर्सी की डोली बनाकर सड़क तक पहुंचाया. जिसके बाद प्रकाश को इलाज के लिए गांव से 150 किलोमीटर दूर हल्द्वानी के सुशीला तिवारी अस्पताल ले गए. जिससे प्रकाश का इलाज हो सका.

वहीं, दूसरी घटना ओखलकांडा की है. जहां पर बीते 2 दिन पहले ग्रामीण एक वृद्ध को 6 किलोमीटर नदी के रास्ते अपनी जान हथेली पर रखकर अस्पताल पहुंचे. क्योंकि, इनके गांव में भी सरकार और प्रशासन की अनदेखी की वजह से सड़क नहीं पहुंच सकी है. सड़क की मांग को लेकर ग्रामीण शासन-प्रशासन से कई बार गुहार लगा चुके हैं, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है.

ये भी पढ़ेंः सात फेरों से पहले दुल्हन ने डाले वोट, कहा- मतदान करना सभी का कर्तव्य

ग्रामीणों का कहना है कि वो बीते लंबे समय से अपने गांवों को सड़क से जोड़ने की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार मामले को गंभीरता से नहीं ले रही है. जिसकी वजह से ग्रामीणों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. आलम ये है कि कई बार सड़क और स्वास्थ्य सेवा ना होने की वजह से मरीज रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं. साथ ही कहा कि सरकार महज चुनावी मुद्दे और घोषणाओं तक सिमट गई है.

उधर, डीएम सविन बंसल का कहना है कि ग्रामीणों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के लिए लगातार काम किए जा रहे हैं. जिन गांवों में सड़कें नहीं बनी है, उनका काम युद्ध स्तर पर किया जा रहा है. जिससे ग्रामीणों को सड़क से जोड़ा जा सके. वर्तमान में कई गांवों को सड़क से जोड़ने के लिए डीपीआर बनाकर शासन को भेजी गई है. जो गांव सड़क योजना से छूट रहे हैं. उन्हें प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना या अन्य किसी योजना के माध्यम से जोड़ा जाएगा.

नैनीतालः आजादी के सात दशक और राज्य गठन के 18 साल बीत जाने के बाद भी ग्रामीण क्षेत्रों में मूलभूत सुविधाएं नहीं पहुंच पाई है. आज भी सड़क, बिजली, पानी, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसे बुनियादी सुविधाओं से ग्रामीण महरूम हैं. इसकी बानगी नैनीताल जिले के दूरस्थ गांव कूकना और ओखलकांडा में देखने को मिल रही है. यहां पर एक युवक की तबीयत खराब होने पर ग्रामीणों ने कुर्सी की डोली के जरिए 15 किलोमीटर दूर सड़क तक पहुंचाया. उधर, ओखलकांडा में एक वृद्ध को 6 किलोमीटर नदी के रास्ते अपनी जान हथेली पर लेकर ग्रामीण अस्पताल पहुंचे.

डोली के जरिए 15 किमी सफर कर सड़क तक पहुंचाया मरीज.

सरकार गांवों में बेहतर सुविधाएं मुहैया कराने को लेकर लाख दावे करती है, लेकिन धरातल पर सिस्टम और सरकार के सारे दावे हवाई साबित नजर आ रहे हैं. आज भी कई गांव के लोग आजादी के बाद से ही सड़क की बाट जोह रहे हैं. ऐसे में सड़क सुविधा ना होने से ग्रामीण कई किमी की पैदल दूरी तय कर सड़क मार्ग तक पहुंचते हैं. इतना ही नहीं ग्रामीण पहाड़ी घंने जंगल, नदी-नालों और भूस्खलन वाले मार्गों से आवागमन करने को मजबूर हैं.

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गांवों की बदहाली का एक नमूना तब देखने को मिला, जब नैनीताल के दूरस्थ गांव कूकना में 25 वर्षीय प्रकाश की अचानक तबीयत खराब हो गई. गांव में स्वास्थ्य और सड़क सेवा नहीं होने की वजह से ग्रामीण पहले तो मरीज प्रकाश को 15 किलोमीटर तक कुर्सी की डोली बनाकर सड़क तक पहुंचाया. जिसके बाद प्रकाश को इलाज के लिए गांव से 150 किलोमीटर दूर हल्द्वानी के सुशीला तिवारी अस्पताल ले गए. जिससे प्रकाश का इलाज हो सका.

वहीं, दूसरी घटना ओखलकांडा की है. जहां पर बीते 2 दिन पहले ग्रामीण एक वृद्ध को 6 किलोमीटर नदी के रास्ते अपनी जान हथेली पर रखकर अस्पताल पहुंचे. क्योंकि, इनके गांव में भी सरकार और प्रशासन की अनदेखी की वजह से सड़क नहीं पहुंच सकी है. सड़क की मांग को लेकर ग्रामीण शासन-प्रशासन से कई बार गुहार लगा चुके हैं, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है.

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ग्रामीणों का कहना है कि वो बीते लंबे समय से अपने गांवों को सड़क से जोड़ने की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार मामले को गंभीरता से नहीं ले रही है. जिसकी वजह से ग्रामीणों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. आलम ये है कि कई बार सड़क और स्वास्थ्य सेवा ना होने की वजह से मरीज रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं. साथ ही कहा कि सरकार महज चुनावी मुद्दे और घोषणाओं तक सिमट गई है.

उधर, डीएम सविन बंसल का कहना है कि ग्रामीणों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के लिए लगातार काम किए जा रहे हैं. जिन गांवों में सड़कें नहीं बनी है, उनका काम युद्ध स्तर पर किया जा रहा है. जिससे ग्रामीणों को सड़क से जोड़ा जा सके. वर्तमान में कई गांवों को सड़क से जोड़ने के लिए डीपीआर बनाकर शासन को भेजी गई है. जो गांव सड़क योजना से छूट रहे हैं. उन्हें प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना या अन्य किसी योजना के माध्यम से जोड़ा जाएगा.

Intro: नोट - खबर के विजुअल मेल से भेजे गए हैं

Summry

उत्तराखंड बनने के 19 साल बाद भी आज भी बदहाल हैं सैकड़ों गांव, मूलभूत सुविधाओं के लिए दर-दर भटकने को है मजबूर ग्रामीण।

Intro

उत्तराखंड राज्य की स्थापना यहां के दूरस्थ गांव और दुरस्त क्षेत्रो के विकास की अवधारणा के लिए किया गया था, लेकिन उत्तराखंड बनने के बाद भी प्रदेश के गांव और दूरस्थ क्षेत्र मूलभूत सुविधाएं स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार की समस्याओं से ज्यों के त्यों है और आज तक गांव में किसी भी प्रकार की सुविधाएं नहीं पहुंची है,और उत्तराखंड बनने के 19 साल बाद भी आज ग्रामीणों को मूलभूत सुविधाओं के लिए काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।


Body:जिले के गांवों की बदहाली का एक नमूना तब देखने को मिला जब नैनीताल के दूरस्थ गांव कूकना में 25 वर्षीय प्रकाश की अचानक तबीयत खराब हो गई और उसको गांव में स्वास्थ्य और सड़क सेवा नही होने की वजह से ग्रामीण प्रकाश को पहले तो 15 किलोमीटर तक कुर्सी की डोली बनाकर सड़क तक लाए जिसके बाद प्रकाश को स्वास्थ्य सेवा देने के लिए गांव से 150 किलोमीटर दूर हल्द्वानी के सुशीला तिवारी अस्पताल में भर्ती कराया गया जिसके बाद प्रकाश को स्वास्थ्य सेवा मुहैया हो सकी,

वहीं दूसरी घटना ओखलकांडा की है जहाँ बीते 2 दिन पहले ग्रामीण एक वृद्ध को 6 किलोमीटर नदी के रास्ते अपनी जान हथेली पर रखकर वृद्ध को लेकर अस्पताल पहुचे, क्योंकि इनके गांव में भी सरकार और प्रशासन की अनदेखी की वजह से सड़क नहीं पहुंच सकी है।
ग्रामीणों का कहना है कि वो लंबे समय से अपने गांवों को सड़क से जोड़ने की मांग कर रहे हैं लेकिन सरकार है कि उनकी बातों को सुना अनसुना कर देती है, जिस वजह से ग्रामीणों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है हालात यहां तक है कि कई बार सड़क और स्वास्थ्य सेवा ना होने की वजह से मरीज रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं।


Conclusion:वही आज भी गांवों में सड़क और अस्पताल ना होने के मामले पर नैनीताल के डीएम सबीन बंसल का कहना है कि ग्रामीणों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के लिए कार्य किए जा रहे हैं और जिन गांवों में सड़कें नहीं बनी है उनका काम युद्ध स्तर पर किया जा रहा है ताकि ग्रामीणों को सड़क से जोड़ा जा सके और अभी भी वर्तमान में कई गांवों को सड़क से जोड़ने के लिए डीपीआर बनाकर शासन को भेजी गई है, और जो गांव सड़क योजना से छूट रहे हैं उनको प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना या अन्य किसी योजना के माध्यम से जोड़ा जाएगा ताकि ग्रामीणों को किसी प्रकार की दिक्कत ना हो।

बाईट- सविन बंसल,डी एम नैनीताल
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