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वैदिक मंत्रोच्चार के साथ मां नंदा-सुनंदा महोत्सव का शुभारंभ

सरोवर नगरी में मंगलवार को मां नंदा सुनंदा महोत्सव का शुभारंभ हो गया है. जिसका शुभारंभ नैनीताल सांसद अजय भट्ट ने किया.

नैनीताल
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Published : Sep 4, 2019, 9:06 AM IST

नैनीताल: कुमाऊं में कुल देवी के रूप में पूजी जाने वाली मां नंदा-सुनंदा महोत्सव का शुभारंभ हो गया है. महोत्सव का शुभारंभ सांसद अजय भट्ट और विधायक संजीव आर्य ने पारंपरिक रूप से दीप प्रज्ज्वलन कर किया. इस मौके पर अजय भट्ट ने कहा कि इस मेले को राज्य स्तरीय या ए प्लस मेला घोषित करेंगे, ताकि देश-विदेश तक इस मेले की पहचान बन सके.

मां नंदा सुनंदा महोत्सव का शुभारंभ.

बीते मंगलवार को वैदिक मंत्रोच्चार के साथ मां नंदा देवी महोत्सव का आगाज के साथ हो गया है. इसके साथ ही राम सेवक सभा द्वारा प्रकाशित स्मारिका का भी विमोचन किया गया. जिसके बाद राम सेवक सभा ने मां नंदा देवी की मूर्ति निर्माण के लिए कदली वृक्ष लेने के लिए पारंपरिक तरीके से दल को रवाना किया.

जिस स्थान से कदली वृक्ष लाया जाएगा, उस स्थान पर राम सेवक सभा द्वारा वृक्षारोपण किया जाता है. जिसके माध्यम से पर्यावरण के प्रति प्रेम का संदेश दिया जाता है. इस दौरान कदली लेने गए टीम के द्वारा मां नंदा देवी के धार्मिक और पारंपरिक लाल-सफेद ध्वजाओं के साथ रवाना किया गया. इस मौके पर स्कूली बच्चों द्वारा नंदा देवी की झांकी निकाली और सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश किए.

कार्यक्रम के दौरान नैनीताल के सांसद अजय भट्ट मां की भक्ति में इतने लीन हो गए कि काफी देर मां की वंदना करते रहे. इस मौके पर उन्होंने कहा कि अगर मां नंदा सुनंदा भक्तों की सभी मुराद पूरी करती हैं.

पढ़ें- टिहरी स्कूल वैन हादसा: 10 बच्चों की मौत पर हाई कोर्ट गंभीर, सरकार से मांगा जवाब

बता दें, नैनीताल में हर साल नंदा अष्टमी के मौके पर इस मेले का आयोजन किया जाता है. मेले से पूर्व नंदा अष्टमी से पूर्व एक दल नैनीताल के आसपास के क्षेत्रों में जाकर केले (कदली) के वृक्ष को लेने जाते हैं, जिस जगह से मूर्ति निर्माण को लिए कदली लाया जाता है. वहां गांव वाले एकत्र होकर पेड़ों को इस तरह से मंदिर के लिए भेजते हैं, जिस तरह से शादी के समय माता-पिता अपने बेटी को विदा करते हैं. नैनीताल से कदली लेने गई टीम का बारात की तरह स्वागत किया जाता है. पारंपरिक रीति-रिवाज के साथ कदली वृक्ष को अगले दिन नैनीताल के लिए विदा किया जाता है.

दूसरे दिन विधि-विधान के साथ कदली वृक्षों को नैनीताल के लिए लाया जाता है. नैनीताल लाने पर इस केले के पेड़ों को महिलाओं के द्वारा पारंपरिक तरह से स्वागत कर मंदिर प्रांगण में लाया जाता है. जिसके बाद इस केले के पेड़ से मां नंदा सुनंदा की मूर्तियां बनाई जाती हैं. जिसके बाद इन मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा कर भक्तों के लिए दर्शन के लिए खोल दी जाती हैं.

नैनीताल: कुमाऊं में कुल देवी के रूप में पूजी जाने वाली मां नंदा-सुनंदा महोत्सव का शुभारंभ हो गया है. महोत्सव का शुभारंभ सांसद अजय भट्ट और विधायक संजीव आर्य ने पारंपरिक रूप से दीप प्रज्ज्वलन कर किया. इस मौके पर अजय भट्ट ने कहा कि इस मेले को राज्य स्तरीय या ए प्लस मेला घोषित करेंगे, ताकि देश-विदेश तक इस मेले की पहचान बन सके.

मां नंदा सुनंदा महोत्सव का शुभारंभ.

बीते मंगलवार को वैदिक मंत्रोच्चार के साथ मां नंदा देवी महोत्सव का आगाज के साथ हो गया है. इसके साथ ही राम सेवक सभा द्वारा प्रकाशित स्मारिका का भी विमोचन किया गया. जिसके बाद राम सेवक सभा ने मां नंदा देवी की मूर्ति निर्माण के लिए कदली वृक्ष लेने के लिए पारंपरिक तरीके से दल को रवाना किया.

जिस स्थान से कदली वृक्ष लाया जाएगा, उस स्थान पर राम सेवक सभा द्वारा वृक्षारोपण किया जाता है. जिसके माध्यम से पर्यावरण के प्रति प्रेम का संदेश दिया जाता है. इस दौरान कदली लेने गए टीम के द्वारा मां नंदा देवी के धार्मिक और पारंपरिक लाल-सफेद ध्वजाओं के साथ रवाना किया गया. इस मौके पर स्कूली बच्चों द्वारा नंदा देवी की झांकी निकाली और सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश किए.

कार्यक्रम के दौरान नैनीताल के सांसद अजय भट्ट मां की भक्ति में इतने लीन हो गए कि काफी देर मां की वंदना करते रहे. इस मौके पर उन्होंने कहा कि अगर मां नंदा सुनंदा भक्तों की सभी मुराद पूरी करती हैं.

पढ़ें- टिहरी स्कूल वैन हादसा: 10 बच्चों की मौत पर हाई कोर्ट गंभीर, सरकार से मांगा जवाब

बता दें, नैनीताल में हर साल नंदा अष्टमी के मौके पर इस मेले का आयोजन किया जाता है. मेले से पूर्व नंदा अष्टमी से पूर्व एक दल नैनीताल के आसपास के क्षेत्रों में जाकर केले (कदली) के वृक्ष को लेने जाते हैं, जिस जगह से मूर्ति निर्माण को लिए कदली लाया जाता है. वहां गांव वाले एकत्र होकर पेड़ों को इस तरह से मंदिर के लिए भेजते हैं, जिस तरह से शादी के समय माता-पिता अपने बेटी को विदा करते हैं. नैनीताल से कदली लेने गई टीम का बारात की तरह स्वागत किया जाता है. पारंपरिक रीति-रिवाज के साथ कदली वृक्ष को अगले दिन नैनीताल के लिए विदा किया जाता है.

दूसरे दिन विधि-विधान के साथ कदली वृक्षों को नैनीताल के लिए लाया जाता है. नैनीताल लाने पर इस केले के पेड़ों को महिलाओं के द्वारा पारंपरिक तरह से स्वागत कर मंदिर प्रांगण में लाया जाता है. जिसके बाद इस केले के पेड़ से मां नंदा सुनंदा की मूर्तियां बनाई जाती हैं. जिसके बाद इन मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा कर भक्तों के लिए दर्शन के लिए खोल दी जाती हैं.

Intro:Summry

सरोवर नगरी में आज से मां नंदा सुनंदा का मेला शुरू हो गया है जिसका उद्घाटन लोकसभा क्षेत्र के सांसद अजय भट्ट ने किया।

Intro

कुमाऊं में कुल देवी के रूप में पूजी जाने वाली मां नंदा सुनंदा का आज से महोत्सव शुरू हो गया है इस महोत्सव का शुभारंभ नैनीताल लोकसभा सीट से सांसद अजय भट्ट ने किया इस दौरान अजय भट्ट ने कहां की मां नंदा सुनंदा केवल कुमाऊ की नहीं बल्कि उत्तराखंड की कुलदेवी है, मेले का शुभारंभ करने पहुंचे अजय भट्ट ने कहा कि मेले को राज्य स्तरीय या ए प्लस मेला घोषित करेंगे ताकि देश के लोगों तक इस मेले को पहुंचाया जा सके।


Body:हर वर्ष की भांति इस साल भी नैनीताल में मां नंदा देवी महोत्सव का आगाज वैदिक मंत्रों के साथ हो गया, राम सेवक सभा द्वारा आयोजित इस महोत्सव का शुभारंभ नैनीताल के सांसद अजय भट्ट और विधायक संजीव आर्य ने पारंपरिक रूप से दीप प्रज्वलन कर किया गया, इस अवसर पर राम सेवक सभा द्वारा प्रकाशित स्मारिका का भी विमोचन किया गया, जिसके बाद राम सेवक सभा ने मां नंदा देवी की मूर्ति निर्माण के लिए कदली वृक्ष लेने के लिए पारंपरिक तरीके से दल को रवाना करा गया, जिस स्थान से कदली( केले )के पेड़ को लाया जाएगा उस स्थान पर राम सेवक सभा द्वारा वृक्षारोपण किया जाता है,, जिसके माध्यम से पर्यावरण के प्रति प्रेम का संदेश दिया जाता है इस दौरान कदली लेने गए टीम के द्वारा मां नंदा देवी के धार्मिक और पारंपरिक लाल सफेद ध्वजाओ के साथ रवाना किया गया, इस मौके पर स्कूली बच्चों द्वारा नंदा देवी की झांकी निकाली और सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश किए।
कार्यक्रम के दौरान नैनीताल के सांसद अजय भट्ट मां की भक्ति में इतने दिन हो गए कि कुछ देर खुद भी मां की वंदना करते रहे और बताया कि किस तरह मां अपने भक्तों की मुराद पूरी करती है और जब मां विदा होती है तो किस तरह भक्त गमगीन हो जाते हैं।

बाईट- अजय भट्ट सांसद नैनीताल।


Conclusion:आपको बता दें कि नैनीताल में हर साल नंदाअष्टमी के मौके पर इस मेले का आयोजन किया जाता है मेले से पूर्व नंदाअष्टमी से पूर्व एक दल नैनीताल के आसपास के क्षेत्रों में जाकर केले(कदली) के पेड़ को लेने जाते हैं, जिस जगह से मूर्ति निर्माण को लिए कदली लाया जाता है वहां गांव वाले एकत्र होकर पेड़ों को इस तरह से मंदिर के लिए भेजते हैं मानो जिस तरह से शादी के समय माता पिता लड़की की विदाई करते हैं, और नैनीताल से कदली लेने गई टीम का बरात की तरह स्वागत किया जाता है, और पूरे पारंपरिक रीति-रिवाज के साथ कदली वृक्ष को अगले दिन नैनीताल के लिए विदा करा जाता है।
वही दूसरे दिन पूरे विधि विधान के साथ कदली वृक्षो को नैनीताल लाया जाता है नैनीताल लाने पर इस केले के पेड़ों को महिलाओं के द्वारा पारंपरिक तरह से स्वागत कर मंदिर प्रांगण में लाया जाता है जिसके बाद इस केले के पेड़ से मां नंदा सुनंदा की मूर्तियां बनाई जाती हैं जिसके बाद इन मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा कर भक्तों के लिए दर्शन के लिए खोल दी जाती हैं।

बाईट- मुकेश जोशी,राम सेवक।
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